• 28 Apr, 2025

नगरीय निकाय और पंचायत के चुनाव एकसाथ होने के आसार नहीं ..

नगरीय निकाय और पंचायत के चुनाव एकसाथ होने के आसार नहीं ..

■ दिसंबर से पहले नगरीय निकायों के चुनाव जरूरी ■ ननि महापौर, नपा-नपं अध्यक्ष सीधे ही चुने जाएंगे, पर अंतिम फैससा होना बाकी है अभी..

रायपुर। छत्तीसगढ़ में नगरीय निकायों के ही त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं समकालिक सथानीय आम चुनाव एक साथ कराने की संभावना बहुत कम है। कहा जा रहा है कि व्यवहारिक दिक्कतें ही इसकी प्रमुख वजह है। वहीं दूसरी ओर नगरीय निकायों के चुनाव इस बार भी मतपत्र या मतपेटियों से होने के आसार हैं। प्रारंभिक तौर पर इसकी प्रशासनिक तैयारियां भी शुरू कर दी गई हैं।

इसके साथ ही नगर पालिक निगमों के महापौर , नगर पालिक परिषद और नगर पंचायतों के अध्यक्ष का चुनाव अप्रत्यक्ष के बजाय प्रत्यक्ष प्रणाली से कराने के लिए सत्ता व संगठन स्तर पर आम सहमति बन गई है। हालांकि इस पर राज्य सरकार की ओर से अंतिम फैसला लिया जाना अभी शेष है।

इस बारे में बताया गया है कि नगरीय निकायों और त्रिस्तरीय पंचायतों के चुनाव एक साथ कराने के संबंध में विचारण और परीक्षण के लिए गठित समिति द्वारा आम लोगों से सुझाव व विचार आमंत्रित किये जा चुके हैं। पता तो चला है पर इन सुझावों के बारे में आधिकारिक रूप से जानकारी नही दी गई है पर जानकार सूत्रों का कहना का है कि समिति के पास बहुत कम सुझाव आये हैं।  जो सुझाव आए भी हैं उनमें ज्यादातर लोगों ने नगरीय निकाय और पंचायत के चुनाव एक साथ कराए जाने में व्यवहारिक दिक्कतों का जिक्र किया है।

इसी तरह निर्वाचन कार्य से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि नगरीय निकाय और त्रिस्तरीय पंचायतों के चुनाव एक साथ कराया जाय यह संभव नहीं है। दोनो चुनाव एक साथ कराने से भारी भरकम अमले की जरूरत पड़ेगी जो अभी के हालात में संभव नही दिखाई देता।

पर्याप्त संख्या में ईवीएम नहीं  होने की बात कही गई है…

दूसरी ओर प्रदेश के नगरीय निकायों में इस बार भी मतपत्रों व मतपेटियों के माघ्यम से ही चुनाव कराने की तैयारी है। दरअसल सभी जिलों में वर्तमान में पर्याप्त संख्या में ईवीएम मशीन उपलब्ध नही है। जो पुरानी ईवीएम रखी  भी हुईं हैं वे भी रखरखाव के अभाव में खराब हालत में हैं। पुरानी ईवीएम का दोबारा इस्तेमाल करने से पहले इन ईवीएम की एफएलसी का कार्य ईवीएम निर्माता कंपनी के इंजीनियरों द्वारा कराया जाना है लेकिन इसके लिए जितना समय चाहिए होता है उतना समय नहीं बचा है। जाहिर है कि इन हालातों में नगरीय निकायों के चुनाव इस बार भी  पहले की तरह ही मतपत्रों और मतपेटियों की मदद से ही कराने की तैयारी चल रही है। दरअसल कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलो द्वारा भी नगरीय निकाय चुनाव मतपत्र और मतपेटियों से कराये जाने की मांग लगातार उठाई जा रही है। इसके अलावा नगर निगम के महापौर, नगरपालिका परिषद व नगर पंचायतों के अध्यक्ष का निर्वाचन अप्रत्यक्ष प्रणाली से होगा ये लगभग तय लग रहा है।

लिहाजा इसके लिए छत्तीसगढ़ नगर पालिक अधिनियम और  नगर पालिका अधिनियम सहित स्थानीय निर्वाचन नियमोंं में बदलाव किया जाना है। विधानसभा सत्र आहूत नहीं होने की स्थिति में संशोधन विधेयक के बजाए राज्य सरकार इस संबंध में अध्यादेश भी ला सकती है।

इधर भाजपा संगठन भी प्रत्यक्ष प्रणाली से ही चुनाव चाहता है। भाजपा सरकार के पिछले कार्यकाल में महापौर पालिकाध्यक्ष व नगर पंचायत अध्यक्ष का सीधे ही चुनाव होता रहा है। राज्य में 2018 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद अधिनियम में बदलाव कर नगर पंचायत अध्यक्ष चुनने की प्रक्रिया शुरू की गई थी। इसमें बदलाव करने के लिए राज्य सरकार को कैबिनेट में फैसला कर अधिसूचना जारी करनी होगी।

  • दिसंबर से पहले निकाय चुनाव जरूरी

अधिनियम के प्रावधानों के मुताबिक नगरीय निकायों में आम चुनाव इस साल दिसंंबर से पहले कराना आवश्यक है। दरअसल 3 जनवरी के बाद कुछ नगरीय निकायों में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है इसलिए राज्य निर्वाचन आयोग निर्धारित समयावधि से पहले चुनाव कराने में जुटा हुआ है।

  • एक साथ चुनाव में है दिक्कत-

नगरीय निकाय व पंचायतों का चुनाव एक साथ कराने के लिए पर्याप्त मानव संसाधन और सुरक्षा इंतजाम की जरूरत पड़ेगी। देखा गया है कि स्थानीय चुनाव में आमतौर पर तनाव की स्थिति निर्मित होती ही है और ऐसे में केन्द्र की ओर से स्थानीय चुनाव में अतिरिक्त अर्धसैनिक बल सहित अन्य जरूरी सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाती हैं। इस तरह राज्य स्तर पर इंतजाम करने पड़ेंगे, जो एक साथ संभव नहीं है।

   डॉ. सुशील त्रिवेदी, पूर्व राज्य निर्वाचन आयुक्त

 मतदाता सूची की प्रक्रिया में देरी -


सभी निकायों में परिसीमन की कार्यवाही पूरी होने के बाद मतदाता सूची तैयार करने के संबंध में राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा सभी जिला कलेक्टरों को विस्तृत दिशा-निर्देश जारी  किए जाएंगे, हालांकि अभी तक यह प्रक्रिया शुरू हो जानी थी, लेकिन विलंब हो चुका है। मतदाता सूची का प्रारंभिक प्रकाशन के बाद दावा-आपत्ति मंगाई जाएगी। दावा आपत्ति का निराकरण कर सूची का अंतिम प्रकाशन किया जाएगा। इस पूरी प्रक्रिया में कम से कम डेढ़ से दो माह का समय लग सकता है। 20 अक्टूबर से पहले तक मतदाता सूची का प्रकाशन कराया जाना है। भारत- निर्वाचन आयोग से मतदाता सूची का डेटा भी राज्य निर्वाचन आयोग को प्राप्त नहीं हुआ है।