कार जो सड़क पर फर्राट भरती और नदी में तैरती है..
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● सरकार देती है फर्निश्ड घर, रोजगार और इसलिए लोग ज्यादा खर्च कर रहे ...
गंगटोक। उत्तर पूर्व का सबसे कम आबादी और सबसे ज्यादा आमदनी वाला प्रदेश है सिक्किम । यहां के लोग अपेक्षाकृत ज्यादा खुशहाल हैं। ज्यादा खर्च करने की क्षमता भी है। नेशनल सैम्पल सर्वे ऑफिस की रिपोर्ट कहती है कि सिक्किम के ग्रामीण हर महीने 7,731 रुपये तो शहरी लोग 12,105 रुपये मासिक खर्च करते हैं। यह रकम देश में सबसे ज्यादा है।
देखा जाय तो उत्तर-पूर्व ही नहीं बल्कि देश के दूसरे सबसे छोटे राज्य में जहां कि आबादी सिर्फ साढ़े छह लाख है, लोग इतना खर्च किस तरह कर पाते हैं ?इस बात की पड़ताल पर पता चला कि मेहनती हैं आबादी कम है और सरकारी नीतियां और योजनाएं यहां के लोगों को संपन्न बनाने में मददगार साबित हो रहीं हैं।
यहां के शहरी और ग्रामीण दोनों तरह की आबादी की सम्पन्नता के कारण यहां के लोग खुद ही बयां करते हैं । सिक्किम की राजधानी गंगटोक से 95 किलोमीटर दूर हीबरमियोग गांव के ओरहान लिम्बो और पाक्योंग जिले के भस्मेय गांव के चंद्र प्रसाद छेत्री की जबानी सिक्किक की तरक्की की कहानी सुनना रोचक प्रसंग था। इन्होंने बताया कि यहां सबसे बड़ी बचत तो घर की है। सरकार यहां गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों को
19 लाख रुपये का घर देती है। इन घर सिर्फ दरो-दीवार भर नहीं होते बल्कि पूरा घर सजा कर देती है सरकार। इन घरों में टीवी, फ्रिज, अलमारी, सोफा, बिस्तर आदि सब कुछ ही होता है। इतना ही नहीं यहां - एक परिवार एक सरकारी नौकरी योजना यहां लागू है। इसलिए हर घर में कम से कम दो लोग कमाने वाले हैं ।
इलाइची की पैदावार से चलती है आर्थिकी -- यहां बहुतायत में इलायची की पैदावार होती है । जो लोग नौकरियों में नहीं हैं वे इलाइची की खेती में लगे हैं। देश के 80 फीसदी इलायची का उत्पादन अकेले सिक्किम में होती है। यही वजह है कि प्रदेश के 40 फीसदी युवा इलायची की खेती से जुड़े हैं। यही वजह है कि लोग ज्यादा पैसा खाने-पीने, बच्चों की पढ़ाई और कपड़ों पर खर्च करते हैं। डेढ़ हजार लोगों की आबादी वाले गांव में आधे से ज्यादा घर सरकारी हैं। इतने ही घरों में कारें और हर घर में एक दपहिया वाहन जरूर है। औसतन हर घर में दो मोबाइल फोन भी है। | 6.5 लाख की आबादी में एक लाख सरकारी नौकरियों में गंगटोक स्थित एमएसएसओ के सांख्यिकी अधिकारी सोनम जांगपो देसमें बताते हैं कि सिक्किम राज्य में एक लाख से ज्यादा लोग सरकारी नौकरियों में हैं। यही प्रमुख वजह है कि यहां के सभी 448 गांव बेहतर आर्थिक स्थिति में हैं। राज्य के मुख्य सचिव विजय भूषण पाठक के मुताबिक 76.01 प्रतिशत आबादी ग्रामीण वहीं 23.99 प्रतिशत शहरी है। इनमें 81.42 प्रतिशत लोग साक्षर हैं। कमाई के कई साधन हैं इसलिए लोग शौक पूरा करने पर खर्च करते हैं। एनएसएसओ के संयुक्त निदेशक उत्तम क्षेत्री के मुताबिक यहां के पर्यटन उद्योग ने तो गांवों की किस्मत ही बदल कर रख दी है। यहां लोग होम स्टे बना रहे हैं। इको टूरिज्म तैयार कर रहे हैं। इससे यहां की गरीब बहुत हद तक कम हो गई है और राज्य में अब महज 8 फीसदी लोग ही गरीबी रेखा के नीचे हैं। |
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