• 28 Apr, 2025

खेती में नवाचार करना है तो जरूरी है मिट्टी परीक्षण

खेती में नवाचार करना है तो जरूरी है मिट्टी परीक्षण

किसान खेतों में फसल बुआई से पहले जरूर कराएं मिट्टी परीक्षण

बसंत शाहजीत , जांजगीर 
जांजगीर।  जुलाई में खरीफ फसल बुआई की जाएगी। इससे पहले आप सचेत हो जाइए ताकि आपको अपने खेतों से पैदावार अच्छी प्राप्त हो। आपको पता है कि जीवित मिट्टी में ही सूक्ष्मजीव फंगस, नीमेटोड, बैक्टिरिया, प्रोटोजोआ, छोटे जीव-जंतु उपस्थित रहते हैं। पौधों के आवश्यक विकास के लिए मिट्टी में 16-18 पोषक तत्वों की आवश्यकता होती हैं। मिट्टी में पोषक तत्वों की उपस्थिति की जांच के लिए वैज्ञानिक प्रक्रिया का पालन कर मिट्टी का सैंपल लिया जाता है। जांच में मिले परिणाम के आधार पर ही पोषक तत्वों की उचित मात्रा खेतों में डालने की सलाह किसानों को दी जाती है। आप अपने छोटे से गार्डन या घर के पीछे की बाड़ी का भी मिट्टी परीक्षण कर पोषक तत्वों की उपस्थिति का पता लगाकर अच्छा परिणाम प्राप्त कर सकते हैं। 

मिट्टी परीक्षण के लिए कैसे लें नमूना-
आइए जानते हैं किसानों को अपने खेतों से मिट्टी का नमूना कैसे एकत्र करना चाहिए। एक एकड़ के खेत से कम से कम जगहों से नमूना इकट्ठा करना चाहिए। साथ ही समतल भूमि से नमूना इकट्ठा करें। पिलाई नाली, पेड़ के किनारों के पांच फीट का घेराव छोड़कर, गड्ढे व पानी भराव वाले क्षेत्रों से मिट्टी का नमूना नहीं लेना चाहिए। आप नमूना लेने के लिए खुदाई औजार फावड़ा, आगर या खुरपी से अंग्रेजी के वी आकार में 15 सेमीमीटर का गड्ढा बनाएं। फिर ऊपरी सतह से लेकर 15 सेमीमीटर गहराई तक की मिट्टी नमूना के लिए निकाल लें और सभी नमूनों को अच्छे से मिलाएं और उसे एक प्लास्टिक शीट या साफ-सुथरी प्लास्टिक बोरी के ऊपर पर रखें। सभी जगहों से हमारा नमूना एक एकड़ भूमि से ढाई किलो होना चाहिए। मिट्टी को मसलकर उसे पाउडर बना लें और उसे अपनी अंगुली की सहायता से चार भागों में बांटे। चतुर्भुज आकार के कोणों के हिस्सों को हटा लें और फिर बचे दो हिस्सों को मिला लें। इस प्रक्रिया को तब तक करें जब तक कि मिट्टी 250 ग्राम के आसपास बच जाए। 

कहां भेजें परीक्षण के लिए-
नमूने को एक पालीथीन बैग में रखें और उस नमूने के साथ किसान अपना नाम, पता, मोबाइल नंबर, आधार संख्या, भूमि का खसरा नंबर, भूमि का स्थानीय नाम, दिनांक, पहले लगाई गई फसल, इच्छित फसल का नाम, पूर्व में किए गए खाद का प्रयोग आदि विवरण की एक पर्ची डालकर उसे पैक कर दें। अब इसे किसी नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र, कृषि विभाग या नजदीकी मिट्टी परीक्षण केंद्र में पहुंचाएं। 

मिट्टी परीक्षण तीन साल में एक बार ही कराएं-
किसान साथियों, ध्यान रखे कि सब्जियों की गहरी जड़ों वाली फसलों के लिए 30 सेमीमीटर एवं बागवानी फसलों के लिए अंग्रेजी के वी आकार में एक मीटर की गहराई से नमूना इकट्ठा करना चाहिए। मिट्टी परीक्षण तीन साल में एक बार कराना चाहिए। यदि भूमि ऐसे क्षेत्र में हो जहां पर आर्गेनिक कार्बन की प्रतिशत मात्रा 0.75 से 9 प्रतिशत हो वहां की मिट्टी का परीक्षण की आवश्यकता नहीं होती है। ऐसे क्षेत्रों में सूक्ष्म पोषक तत्वों प्रतिशत मात्रा अच्छी होती है। साथियों किसानों के साथ आपको यह बताते हुए मुझे अच्छा लग रहा है कि जंगली क्षेत्रों की भूमि अपनी पारिस्थतिक तंत्र की बदौलत बेहद उपजाऊ होती है।

प्रदेश के कृषि विवि ने बनाई है मिट्टी परीक्षण किट-
इंदिरा गांधी कृषि विवि रायपुर द्वारा मृदा परीक्षण किट भी तैयार की गई है। इसमें आप सभी छह तत्वों की जांच अपने घर पर ही कर सकते हैं। एक किट से 50 नमूनों का परीक्षण किया जा सकता है। इसमें आपको छह परिणाम मिलेंगे जिसमें पीएच मान, जैविक कार्बन, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम और विद्युत चालकता शामिल हैं। 

फसल अच्छी चाहिए तो जैविक कार्बन की उपस्थिति सुनिश्चित करें-
किसान साथियों, आप अपनी मिट्टी को हमेशा अच्छा रखना चाहते हैं तो उस मिट्टी में जैविक कार्बन की उपस्थिति को निश्चित करें। यहीं जैविक कार्बन ही है जो मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों को पौधों को ग्रहण करने में सहायता देती है। अगर आप मिट्टी में जैविक कार्बन की उचित मात्रा को निश्चित करते हैं तो आप अपनी भूमि के स्वास्थ्य को अच्छा रखने में 50 फीसदी कामयाब हो जाते हैं। 

मिट्टी परीक्षण के लिए अभी कृषि वैज्ञानिक कई विधियों का इस्तेमाल करते हैं। वे वृहद क्षेत्रों के लिए मिट्टी स्वास्थ्य मानचित्र, जीआईएस और रिमोट सेसिंग का उपयोग करते हैं। कृषि वैज्ञानिक मिट्टी की भौतिक आधार व लक्षण के अनुसार भी बिना मिट्टी परीक्षण किए जरूरी सलाह देते हैं। मिट्टी उन किसानों के लिए बहुत ज्यादा जरूरी है जो कृषि को व्यवसाय के स्तर पर करते हैं। पाॅली हाउस में लगाई जाने वाली फसलों के पोषक तत्वों की उचित मात्रा निर्धारित करने के लिए मिट्टी परीक्षण आवश्यक हो जाता है।

किसान साथियों, हमें यह याद रखना है कि 
मिट्टी ही जीवन का आधार है 
और मिट्टी को धूल बनने से रोकना है।

basant-shahjeet.JPG(आलेख कृषि वैज्ञानिक खेमादास महंत, विषय वस्तु विशेषज्ञ, कृषि विज्ञान केंद्र रायगढ़ से चर्चा एवं लेखक के कृषि अनुभव पर आधारित है।)
- बसंत शाहजीत , जांजगीर।
परिचय- लेखक करीब डेढ़ दशक तक पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य करने के बाद छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी में जनसंपर्क अधिकारी के पद पर सेवा दे रहे हैं।