• 28 Apr, 2025

कानूनों में सबसे बड़ा बदलाव

कानूनों में सबसे बड़ा बदलाव

• अब तीन साल में होगा इंसाफ..| • तारीख पर तारीख नहीं ...कानून की धाराएं बदली गईं, धोखाधड़ी की धारा अब 420 नहींस 316 होगी, हत्या की धारा 302 नहीं बल्कि 99 होगी | • गृह मंत्री अमित शाह ने पेश किये बिल संसद में पास होने का रास्ता साफ |

नई दिल्ली।  अंग्रेजों के जमाने के कुछ कानून जो स्वरूप में ही सामंती से थे  उन्हें खत्म करने की शुरुआत हो चुकी है। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 160 साल तक पुराने तीन मूलभूत कानूनों में बदलाव के लिए बिल 11 अगस्त को लोकसभा में पेश किये। इसमें कहा गया है कि सबसे बड़ा बदलाव राजद्रोह कानून को लेकर है जिसे नए स्वरूप में लाया जाएगा। इससे एक बड़ी  बात और होगी कि अब तक जुबान पर चढ़ी कई धाराएं और प्रावधान बदल जाएंगे। आईपीसी में कुल 511 धाराएं हैं नए बदलाव के  बाद केवल 356 बचेंगी और 175 धाराएं बदली जाएंगी। इसी तरह इसमें 8 नई धाराएं जोड़ी  जाएंगी और 22 धाराएं खत्म ही कर दी जाएंगी। इसी तरह सीआरपीसी में कुल 533 धाराएं बचेंगी। 160 धाराएं बदलेंगी 9 नई जुड़ेंगी और 9 खत्म होंगी। इसमें एक विशेष बात होगी कि पूछताछ से ट्रायल तक वीडियो कांफ्रेंस से करने का प्रावधान होगा। जो पहले नहीं था।  
 इस होने जा रहे बदलाव का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि अब ट्रायल कोर्ट को हर फैसला अधिकतम तीन साल में देना होगा। एक आकड़े के मुताबिक देश में पांच करोड़ कोर्ट केस पेंडिंग हैं लेकिन  केवल ट्रायल कोर्ट में ही चल रहे हैं केस की संख्या 4.44 करोड़ के करीब है। इसी तरह जिला अदालतों में जजों के 25, 042 पदोंल में 5850 पद खाली हैं। 

  • राजद्रोह नहीं अब देशद्रोह – नई धारा में नए स्वरूप में प्रावधान किया, न्यूनतम सजा 7 साल की होगी
    ब्रिटिश काल के समय से चला आ रहा राजद्रोह शब्द हटा कर देशद्रोह शब्द जोड़ा जाएगा। अब धारा 150 के तहत राष्ट्र के खिलाफ कोई भी कृत्य चाहे बोला हो या लिखा हो,  या संकेत या तस्वीर या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से किया हो तो 7 साल से उम्रकैद तक की सजा संभव होगी। देश की एकता और संप्रभुता को खतरा पहुंचाना अपराध होगा। आतंकवाद शब्द भी इसके तहत परिभाषित होगा। अभी आईपीसी की धारा 142 ए में राजद्रोह में 3 साल से उम्र कैद तक होती है।
  • सामुदायिक सेवाः पहली बार प्रावधान, छोटे अपराधों में जेल नहीं, अमेरिका-यूके में कानून
    इस नए बिल में यह भी प्रावधान किया जा रहा है कि पहली बार छोटे अपराधों ( नशे में हंगामा, 5 हजार से कम की चोरी) के लिए 24 घंटे की सजा या एक हजार रुपये जुर्माना या सामुदायिक सेवा करने की सजा हो सकती है।  अभी इस तरह के अपराधों पर जेल भेजा जाता है।
  • मॉब लिंचिंग - में होगी मौत की सजा का प्रावधान । पांच या अधिक लोग जाति, नस्ल और भाषा के आधार पर किसी की हत्या करते हैं तो न्यूनतम 7 साल या फांसी की सजा होगी। अभी स्पष्ट कानून नहीं है। धारा 302, 147-148 में कार्रवाई होती है। 
  • न्याय का रास्ता..180 दिन में चार्ज शीट ट्रायल के बाद 30 दिन में फैसला
    पुलिस को अब 90 दिन में किसी भी मामले में आरोप पत्र दाखिल करना होगा। कोर्ट इसे 90 दिन बढ़ा सकेगा। लगभग 180 दिन में जांच पूरी कर ट्रायल के लिए भेजनी होगी। ट्रायल के बाद कोर्ट को 30 दिन में फैसला देना होगा। फैसला एक सप्ताह के भीतर ऑन लाइन अपलोड करना होगा। तीन साल से कम सजा वाले मामलों में संक्षिप्त सुनवाई पर्याप्त होगी।
    ( इससे सेशन कोर्ट के 40 फीसदी मुकदमे कम हो जाएंगे, इसमें सजा की दर 90 प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य है)
  • डिजिटलः एफआईआर से फैसले तक सब ऑन लाइन-
    डिजिटल रिकॉर्डिंग को वैधता देने से लेकर एफआईआर और कोर्ट के फैसले तक  पूरा सिस्टम डिजिटल और पेपर लेस होगा।  सर्च व जब्ती की वीडियोग्राफी होगी। जांच, अनुसंधान, फोरेंसिक विज्ञान पर आधारित होगा। 7 साल या अधिक सजा वाले मामलों में फोरेंसिक टीम मौके पर जरूर जाएगी। सभी अदालते 2017 तक कम्पयूचरीकृत होंगी। 
  • जीरो एफआईआरः देश में कहीं भी धारा समेत होगी दर्ज
    देश में कहीं भी एफआईआर दर्ज करवा सकेंगे। इसमें धाराएं भी जुड़ेंगी। अब तक जीरो एफआईआर में धाराएं नहीं जुड़तीं थीं। 15 दिनों में जीरो एफआईआर संबंधित थाने में भेजनी होगी।  हर जिले में पुलिस अधिकारी गिरफ्तार लोगों के परिवार को प्रमाणपत्र देगा कि वे गिरफ्तार व्यक्ति के लिए जिम्मेदार हैं। जानकारी ऑन लाइन और व्यक्ति गत देनी होगी। 
  • सिफारिश नहीः सजा माफी का सियासी इस्तेमाल सीमित 
    सरकारों द्वारा सजा में छूट का सियासी इस्तेमाल रोकने के लिए नया प्रावधान किया है। मौत की सजा सिर्फ आजीवन कारावास और आजीवन कारावास को 7 साल तक की सजा में बदला जा सकेगा। यह सुनिश्चित करेगा कि सियासी प्रभाव वाले लोग कानून से बच न सकें। राहसरकार पीड़ित को सुने बिना  7 साल की सजा वाले केस या अधिक सजा वाले केस वापस नहीं ले सकेगी। 
     
  1. राहत- विचाराधीन कैदी बाहर आएंगे, वोटर को रिश्वत पर सजा संभव
  2. सरकारी कर्मचारी पर केस दर्ज करने के लिए अथॉरिटी को 120 दिन में मंजूरी देनी होगी अन्यथा हां मानेंगे। 
  3. फरार घोषित अपराधी के बगैर भी मुकदमा चल सकेगा। दाउद जैसे अपराधियों की ट्रायल संभव होगी |
  4. चुनाव संबंधी अपराधों पर बिल में प्रावधान, चुनाव में मतदाता को रिश्वत देने पर एक साल कैद का प्रावधान है |
  5. पहली बार अपराध करने वाले व्यक्ति को कुल सजा का एक तिहाई हिस्सा जेल में बिताने पर जमानत दे दी जाएगी।