• 28 Apr, 2025

पहली बार रीयूजेबल हाइब्रिड रॉकेट लॉन्च

पहली बार रीयूजेबल हाइब्रिड रॉकेट लॉन्च

■ रूमी रॉकेट का दोबारा इस्तेमाल होगा, रॉकेट से 53 सैटेलाइट लॉन्च

चेन्नई । देश में पहली बार दोबारा इस्तेमाल हो सकने वाला (रीयूजेबल) हाइब्रिड रॉकेट रूमी -1 की शनिवार 24 अगस्त को सफल लॉन्चिंग हुई। चेन्नई तट से सुबह 7.25 बजे लॉन्च हुई रॉकेट रूमी -1 अंतरिक्ष में 35 किमी की ऊंचाई तक उड़ान भरी। रॉकेट में तीन क्यूब सैटेलाइट और 50  पीको सैटेलाइट्स को लॉन्च किया।

  ये सभी गैर पारंपरिक सैटेलाइट्स ग्लोबल वार्मिंंग,ओजोन परत और जलवायु परिवर्तन से संबंधित अन्य पहलुओं का अध्ययन कर जानकारियां भेजेंगे। रॉकेट में जैनेरिक फ्यूल आधारित हाइब्रिड मोटर और बिजली से चलने वाले पैराशूट्स डेप्लायर लगे हुए हैं।  इस तकनीक की विशेषता यह है कि इसे एक बार उड़ान के बाद फिर से जमीन पर सफलता पूर्वक लैंड कराया जा सकेगा। रॉकेट में जैनेरिक फ्यूल में लिक्विड और सालिड दोनो का इस्तेमाल किया गया था।

   लगभग 80 किलोग्राम वजन वाले रूमी-1 रॉकेट के 70 फीसदी से ज्यादा हिस्से का दोबारा इस्तेमाल किया जा सकेगा। इससे पहले इसरो रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल आरएलवी  और एलईएक्स का सफल परीक्षण कर चुका है। इस रीयूजेबल लांच व्हीकल के सहारे रॉकेट की दोबारा लॉन्चिंग हो सकती है। रूमी रॉकेट का निर्माण तमिलनाडु के स्टार्टअप स्पेस जोन इंडिया और मार्टिन ग्रुप ने मिल कर किया है।

  • रूमी रॉकेट ने मोबाइल लॉन्चर से भरी उड़ान
    रूमी -1 रॉकेट को सबआर्बिटल ट्रेजेक्ट्री में मोबाइल लॉन्चर की मदद से लॉन्च किया गया है। मोबाइल लॉन्चर से इस रॉकेट को कही से भी लॉन्च किया जा सकता है। मिशन रूमी को दुनिया में हाइब्रिड रॉकेट का पहला मोबाइल लॉन्च बताया जा रहा है।
     
  •    पारंपरिक रॉकेट से कई गुना कम लागत आएगी-
    रीयूजेबल हाइब्रिड रॉकेट पारंपरिक रॉकेट से कई गुना सस्ते होंगे। इनके दो बड़े कारण हैं पहला- रूमी रॉकेट में लिक्विड और सालिड फ्यूल का इस्तेमाल किया गया है। दूसरा- इसके पार्ट्स का फिर से इस्तेमाल किया जा सकेगा । इससे रॉकेट लॉन्च की लागत कई गुना कम हो जाएगी। इसका मतलब है कि रीयूजेबल रॉकेट लॉन्च के बाद अब भारत अन्य देशों के ज्यादा सैटेलाइट लॉन्च कर सकेगा।