• 28 Apr, 2025

डोरबेल की जगह क्यूआर कोड ---

डोरबेल की जगह क्यूआर कोड ---

● मेहमान के स्कैन करते ही आपके पास वीडियो कॉल पहुंचेगा और ● लार से पता चल जाएगी भविष्य में होने वाली बीमार, इलाज होगा आसान ● प्लास्टिक सर्जरी के बाद चेहरा कैसा दिखेगा स्कैनर पहले ही बता देगा... ● साउंड से ग्राफ बनाकर देगा स्टेथोस्कोप

बेंगलूरू। दिनो दिन बढ़ती असुरक्षा और अविश्वास से जीवन का दुश्वार होता जा रहा है। बड़े शहरों में जहां आए दिन तरह तरह की धोखेधड़ी की शिकायतें मिलती हैं तो इनसे निबटने के उपाय भी खोज लिए जा रहे हैं। इसके साथ ही बढ़ती दूरियों की वजह से भी लोगों का सीधे मिल पाना कठिन होता जा रही है।  मसलन जैसे आप घर पर नहीं हैं और आपके दरवाजे पर कोई मेहमान खड़ा है तो पता चल सकता है। बिल्कुल एक बार कोड की मदद से यह संभव हो सकता है। इसके साथ ही हम डीएनए डिकोडिंग के जरिये यह पता कर सकते है कि पांच दस वर्षों में कौन सी बीमारी हमे तंग कर सकती है। रिलीज के दिन ही मोबाइल पर या स्मार्ट टीवी पर फिल्म देख सकेंगे। थाईलैंड की कंपनी ने एक ऐसा स्कैनर बनाया है जो प्लास्टिक सर्जरी से पहले ही बता देगा कि आने वाले समय में चेहरा कैसा दिखेगा। कुछ ऐसे ही इनोवेशन नवाचार बेंगलूरू में चल रही टेक समिट में पेश किये गए। इस बारे में विस्तार से पढ़िए-

1. डोर वीडियो कॉलिंग सिस्टम-

नोएडा के स्टार्टअप डोरवी ने दुनिया का पहला क्यूआर कोड आधारित डोर वीडियो कॉलिंग सिस्टम बनाया है। मोबाइल पर डोरवी एप डाउनलोड करने पर बारकोड स्टीकर मिलेगा इसे एक्टिवेट करके दरवाजे पर लगाना होगा। जब कोई दरवाजे पर आएगा तो  उसे बारकोड को स्कैन करना होगा। स्कैन होते ही आप वीडियो कॉलिंग से जुड़ जाएंगे और देख सकेंगे दरवाजे पर कौन है। भले ही आप घर पर न हों। आपका मोबाइल नंबर भी शेयर नहीं होगा।

2. डीएनए डिकोडिंग-

बेंगलूरु की लक्ष्मी पेंडराला ने लेमिफिट टेस्ट डिजाइन किया है। इसमें लार की टेस्टिंग से 113 बायोमार्कर के जरिये पता चलता है कि पांच दस साल में कौन सी बीमारियां घर कर सकती हैं और हम कितनी तेजी से बूढ़े हो रहे हैं। टेस्ट के नतीजे तीन हफ्ते में मिलते हैं। इस आधार पर सलाह दी जाती है कि कैसे खानपान व लाइफ स्टाइल बदलकर बीमारियां टाल सकते हैं।

3. एआई स्टेथ-

यह एआई आधारित स्टेथोस्कोप हार्ट,फेफड़े और पेट की ध्वनियों को ज्यादा साफ सुनने में मदद करता है। साथ ही उससे जुड़े मोबाइल पर इन साउंड्स को ग्राफ के रूप में दिखाता है। मशीन लर्निंग की मदद से पता चलता है कि अंग कैसे काम कर रहे हैं। इनोवेटर अश्विनी चंद्रशेखर कहते हैं प्राइमरी हेल्थ केयर सेंटर में कम अनुभव वाले डाक्टर्स को इससे मदद मिलेगी।

4 .डिजिटल थियेटर-

सिनेबाजार स्टार्टअप का डिजिटल थियेटर एप बिना पायरेसी के फिल्म दिखाता है हालांकि ओटीटी प्लेटफार्म पर रिलीज होने वाली फिल्में इस पर नहीं देख सकते। रिलीज के दिन मामूली दर का टिकट लेकर मोबाइल या स्मार्ट टीवी पर फिल्म देख सकते हैं। कंपनी के सीईओ भास्कर वी. ने बताया कि टिकिट लेने के 24 घंटे के पहले यह फिल्म देखनी होगी।

5. थ्रीडी फेस स्कैनर -

थाईलैंड की ल्युमियो थ्रीडी ने फेस स्कैनर बनाया है इसके 16 कैमरे एक ही समय में एकसाथ तस्वीरें लेकर 3 मिनट में डिजिटल अवतार दिखाते हैं। डॉक्टर डिजिटल पेंसिल के जरिये किसी भी हिस्से की लाइन घटा-बढ़ा सकते हैं। मरीज भी सुझाव दे सकते हैं। सर्जिकल संभावनाओं के आधार पर नया चेहरा बनता है। अगर चेहरा पसंद आया तो मरीज सर्जरी की मंजूरी दे सकता है।