• 28 Apr, 2025

बढ़ने की जगह घट गए बाघ, केवल 17 ही बचे

बढ़ने की जगह घट गए बाघ, केवल 17 ही बचे

• टाइगर प्रोजेक्ट एरिया में सिर्फ 7 बाघ, बाकी सामान्य जंगलों में | • 2014 में छत्तीसगढ़ में 46 बाघ होने का दावा किया गया था अभी दावे से ढाई गुना कम हो गए | • ओडिशा में 16 वर्षों में 45 से घट कर 20 रह गए | • मप्र का टायगर स्टेट का दर्जा कायम, 785 बाघों के साथ पहले स्थान पर | • कर्नाटक में 563, उत्तराखंड औऱ महाराष्ट्र भी बहुत पीछे नहीं |

रायपुर। देशभर के जंगलों और अभ्यारण्यों में बाघों की आबादी सुरक्षित संरक्षित रखने के प्रयास हो रहे हैं। समुचित संरक्षण के अभाव में उनकी आबादी बड़ी संख्या में शिकार के बाद खतरे में पड़ रही थी। 29 जुलाई शनिवार को केन्द्रीय वन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने बाघ गणना 2022 के राज्यवार आंकड़े जारी किए जिसमें छत्तीसगढ़ की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। देशभर में मध्यप्रदेश 785 बाघों के साथ अव्वल है। इस तरह मध्यप्रदेश ने अपना टाइगर स्टेट का दर्जा बनाए रखा है। 

दूसरे स्थान पर कर्नाटक है जहां अभी 563 बाघ हैं, इसी तरह उत्तराखंड में 560,  महाराष्ट्र में 444 बाघ मिले हैं। छत्तीसगढ़ के लिए साल 2022 के लिए हुई बाघों की गणना उत्साहवर्धक खबर नहीं है। एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक पूरे छत्तीसगढ़ के जंगलों में कुल 17 बाघों के होने की पुष्टि हुई है। ये संख्या 2018 में हुई ऐसी ही गणना के मुकाबले 2 कम हैं उस समय कुल 19 बाघों की पुष्टि हुई थी। जबकि उससे चार साल पहले 2014 में वन विभाग ने छत्तीसगढ़ में 46 बाघ होने का दावा किया था। साफ है जो बाघ नहीं मिल रहे वे मार डाले गए हैं। 

  • छत्तीसगढ़ से कोई प्रतिक्रिया नहीं –

बाघों की संख्या के बारे में आई इस ताजा रिपोर्ट के बाद छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। लगभग 9 साल पहले 2014 के बाद की गणना में जब बाघों की संख्या इस तरह कम हुई थी तो राज्य ने बाघों के सर्वे के तरीके पर ही सवाल उठाये थे। साथ ही उस समय दावे किये गए थे कि असल संख्या कुछ और है यानी जो बताया जा रहा है वह कम हैं। वास्तविक बाघों की संख्या बताई गई संख्या से कही अधिक होने का दावा किया गया था।     टाइगर रिजर्व इलाके से आधे से ज्यादा बाघों का बाहर होना भी छत्तीसगढ़ की दूसरी बड़ी चिंता का विषय है। कथित रूप से यहां बाघों की वैसी सुरक्षा नहीं होती । कहा जा रहा है कि इनमें से ज्यादातर बाघ महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के जंगलों से आए हैं।  उक्त दोनों ही राज्यों में बाघों की संख्या अधिक होने से ये नई जगहों की तलाश में छत्तीसगढ़ में प्रवेश कर जाते हैं। इन बाघों पर भी अवैध शिकार का खतरा बना रहता है। राज्य में टाइगर रिजर्व के बाहर दर्ज किये गए 10 बाघों के बारे में केन्द्र सरकार की रिपोर्ट में कोई जिक्र नहीं मिला है। 
सूत्रों के मुताबिक जुलाई के बाद अगस्त के पहले हफ्ते में इन बाघों की मौजूदगी वाले इलाकों का खुलासा हो सकता है।  इसके बाद राज्य में बाघों की संख्या के बारे में राज्य की तस्वीर और साफ हो जाएगी।
कहा गया है कि इसके अलावा बाघों की आवाजाही वाले जंगल के भीतर के कारीडोर में उन जानवरों की भारी कमी है जो बाघों का भोजन होते हैं।

  • मध्यप्रदेश में 4 साल में बढ़े 259 बाघ 

यहां बाघ सरंक्षण के प्रयास 2006 से बढ़ने शुरू हुए हैं। इसी के बाद से मप्र में बाघों की गिनती लगातार बढ़ती रही है। 2006 में मध्यप्रदेश 300 बाघों के साथ सबसे ज्यादा  बाघों वाला राज्य था परन्तु 2010 में बाघ घटकर 357 हो गए औऱ तभी मघ्यप्रदेश से टाइगर स्टेट का दर्जा कर्नाटक ने छीन लिया था। 2018 में कर्नाटक से सिर्फ 2 बाघ अधिक होने पर मघ्यप्रदेश ने टाइगर स्टेट का दर्जा वापस हासिल कर लिया था। इसके बाद इस मामले में मध्यप्रदेश की स्थिति बाघों के मामले में नंबर वन बनी हुई है।  कर्नाटक से सिर्फ 2 बाघों का अंतर 2022 आते आते 222 बाघों का अंतर बन गया है। 

  • 6.1 फीसदी की रफ्तार से बढ़ रहे हैं बाघ

बाघों के आंकड़ों के लिए वाइल्डलाफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कैमरा ट्रैप्ड के साथ –साथ बिना कैमरों वाले इलाकों से लिए गए आकड़ों का विश्लेषण किया इसके अनुसार अघिकतम 3925 बाघ हैं। इसके आघार पर औसत 3682 बाघ होने का दावा किया गया है। यह हर साल 6.1 फीसदी की वृध्दि दर्शाता है। कहा गया है कि शिवालिक हिल्स और गंगा के मैदानों में बाघों की संख्या बढ़ी है। विशेष रूप से मघ्यप्रदेश, उत्तराखंड और महाराष्ट्र में। यद्यपि पश्चिमी घाट में बाघों की संख्या में कमी आई है। 

  • जिम कॉर्बेट में सबसे अधिक बाघ

टाइगर रिजर्व की बात करें  तो उत्तराखंड का जिम कॉर्बेट 260 बाघों का साथ सबसे पहले नंबर पर रहा है। इसके बाद बांदीपुर 150, नागरहोल 141 , बांधवगढ़ 135, दुधावा 135, मदुमली 114, कान्हा 105, कांजीरंगा 104, सुंदरबन 100, ताड़ोबा 97, सत्यमंगलम 85 और पेंच मध्यप्रदेश 77 रहे हैं। बहुत से टाइगर रिजर्व में  बाघों की संख्या में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है जबकि कुछ में कम भी हुई है जिससे बाघों के संरक्षण की चुनौतियां उभरी हैं। टाइगर रिजर्व में संरक्षण के उपायों, आवास के पुनरस्थापन और बाघों को फिर से बसाये जाने की जरूरत बताई गई है। 

करोड़ों खर्च करने के बाद भी घट रहे बाघ

ताजा रिपोर्ट के बाद सामने आए आंकड़े बताते हैं कि छत्तीसगढ़ में बाघों की संख्या बढ़ाना चुनौतीपूर्ण बनता जा रहा है। यहां हालत ये है कि बीते कुछ सालों में बाघ संवर्धन और संरक्षण के करोड़ों रुपये खर्च करने  के बाद भी बाघों की संख्या उलटे कम हो गई। सरकारी प्रयास और आंकड़ों को मानें तो तीनो टाइगर रिजर्व में 2014 के बाद से   अब तक 500 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। औसतन हर साल इन तीनों रिजर्व में 60 करोड़ रुपये खर्च किये जाते हैं।

राज्य और केन्द्र के दावों में बहुत फर्क 

केन्द्र सरकार ने बाघों की आबादी के बारे में जो रिपोर्ट 29 जुलाई शनिवार को जारी की है उसके अनुसार राज्य में रिकॉर्ड किये गए कुल 17 बाघों में से केवल 7 ही छत्तीसगढ़ के कुल तीन टाइगर रिजर्व में मिले हैं। बिलासपुर के अचानकमार टाइगर रिजर्व में केवल पांच बाघ मिले हैं जहां दो दिन पहले राज्य सरकार ने 8 बाघ होने का दावा किया था।  इसी तरह बस्तर के इंद्रावती टाइगर रिजर्व में राज्य सरकार ने 6 बाघ  होने का दावा किया था लेकिन 2022 की गणना में केवल एक ही बाघ वहां होने की पुष्टि हुई है।

छत्तीसगढ़ में लगातार बाघ का शिकार

छत्तीसगढ़ बाघों का पसंदीदा रहवास रहा है। आजादी के पहले यहां हजारों की संख्या में बाघों की मौजूदगी रहने के प्रमाण हैं। कोरिया इलाके में एक राजा ने तब 1200 से ज्यादा बाघों का शिकार करने का दावा किया था।  इसका बाकायदा उन्होंने रिकार्ड भी रखा हुआ था। आज इतनी ज्यादा संख्या में बाघ देख चुका प्रदेश बाघों की इतनी कम संख्या के लिए जाना जाने लगा है। बाघों का शिकार राज्य में बाघ संरक्षण की दिशा में सबसे बड़ी चुनौती है। पिछले दस सालों में चार से पांच बाघों के शिकार होने की पुष्टि हो चुकी है। 
इंद्रावती टाइगर रिजर्व में एक बाघ के शिकार की हाल ही में एक खबर मिली थी। इसके पहले उदंती, इंद्रावती और भानुप्रतापपुर   कांकेर में भी बाघ का शिकार होने की बात सामने आई थी।


 

छत्तीसगढ़ में इस तरह कम हुए बाघराज्य में कहां कितने बाघ 
  • 2006  - 26
  • 2010  - 26
  • 2014  - 46
  • 2018  - 19
  • 2022  - 17
  • 5 – अचानकमार टाइगर रिजर्व
  • 3 – इंद्रावती रिजर्व 
  • 3 – उदंती सीतानदी रिजर्व
  • 10 – बाघ टाइगर रिजर्व एरिया से बाहस