अब महाराष्ट्र-झारखंड में चुनावी सरगर्मियां तेज..
■ भाजपा ने दोनों राज्यों में लगाई सौगातों -वादों की झड़ी ■ विपक्षी खेमा भी सक्रिय हुआ ■ इन दोनों राज्यों में चुनाव नवंबर में होने की चर्चा
● पिछले चुनावों से करीब डेढ़ फीसदी अधिक मतदान, दंतेवाड़ा और कोंटा का बड़ा योददान ● 8 विस क्षेत्रों में से 5 में 2019 से कम मतदान हुआ ● वोटिंग में सबसे बड़ी गिरावट जगदलपुर में, 3 प्रतिशत वोटिंग कम हुई ● नक्सल प्रभावित बस्तर सीट में कहीं कोई बड़ी वारदात नहीं हुई
जगदलपुर, रायपुर। आमचुनाव के पहले चरण में नक्सल प्रभावित बस्तर लोकसभा क्षेत्र में शुक्रवार 19 अप्रैल को 67.56 प्रतिशत वोटिंग हुई। राज्य मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय के मुताबिक यह आंकड़ा बढ़ सकता है क्योंकि कड़े धूप में आंकड़ा समाचार लिखे जाने तक बढ़ सकने की भी संभावना बताई गई है क्योंकि कई बूथों से आखिरी संख्या तब तक नहीं मिल पाई थी। कहा गया है कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में इस निर्वाचन क्षेत्र में 66.04 प्रतिशत मतदान रिकार्ड किया गया था।
कहा जा रहा है कि पिछले चुनावों की तुलना में वोटिंग में मामूली बढ़त में बस्तर लोकसभा क्षेत्र के दो विधानसभा क्षेत्रों कोंटा और दंतेवाड़ा का बड़ा हाथ रहा है। कोंटा कांग्रेस के आदिवासी नेता और राज्य सरकार में मंत्री रहे कवासी लकमा का निर्वाचन क्षेत्र रहा है। जहां पिछले चुनावों की तुलना में लगभग 10.39 और 7.08 प्रतिशत ज्यादा मतदान रिकार्ड किया गया है। हालांकि क्षेत्र के पांच विधानसभा क्षेत्रों में पिछले चुनावों की तुलना में कम मतदान हुआ है। इसमें करीब तीन प्रतिशत कम मतदान के साथ शहरी विधानसभा क्षेत्र जगदलपुर सबसे आगे रहा। शाम पांच बजे तक के आंकड़ों के अनुसार जगदलपुर में मतदान पहले की तुलना में 10. 06 फीसदी कम था।
इसके बाद से भाजपा और कांग्रेस दोनो ही पार्टियां हार-जीत को लेकर आंकलन में जुट गई हैं। मतदान के दौरान कोई बड़ी नक्सली हिंसा की घटना नहीं हुई। बीजापुर क्षेत्र में अंडर बैरल ग्रेनेड लांचर ( यूबीजीएल) का गोला दुर्घटनावश फट जाने से केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल ( सीआरपीएफ ) के एक जवान की मौत हो गई। अधिकारियों ने बताया कि बस्तर लोकसभा क्षेत्र में शुक्रवार को मतदान शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो गया और क्षेत्र से माओवादी हिंसा की कोई बड़ी घटना सामने नहीं आई।
बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने बताया कि अब हमारा ध्यान मतदान दलों की सुरक्षित वापसी पर ही है। बस्तर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत कुल 8 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इनमें से कोंडागांव, नारायणपुर, चित्रकूट , दंतेवाड़ा, बीजापुर, कोंटा और जगदलपुर 72 मतदान केन्द्रों में मतदाताओं ने सुबह सात बजे से अपरान्ह तीन बजे तक मतदान किया। अधिकारियों ने बताया कि क्षेत्र के बस्तर और जगदलपुर के शेष 175 मतदान केन्द्रों में शाम 5 बजे तक मतदान हुआ।
क्षेत्र में आम चुनाव के पहले चरण में शांतिपूर्ण मतदान सुनिश्चित करने के लिए 60 हजार से अधिक राज्य पुलिस बल, सहित अर्ध सैनिक बलों के जवानों को तैनात किया गया था। आई जी सुंदरराज ने बताया कि ज्यादातर मतदान दल अपने -अपने जिला मुख्यालयों के स्ट्रांग रूम तक लौट आए हैं और खबर लिखे जाने तक कहा गया था कि शेष दलों के भी जल्द ही पहुंच जाने की उम्मीद है। पुलिस के मुताबिक पिछले विधानसभा चुनाव में बस्तर लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले 8 विधानसभा क्षेत्रों में चार मुठभेंड़ें हुई थीं जिसमें चार सुरक्षाकर्मी घायल भी हुए थे। उन्होंने बताया कि इस बार इनमें से किसी भी स्थान पर सुरक्षाकर्मियों और नक्सलियों के बीच कोई मुठभेड़ नहीं हुई।
मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित बस्तर लोकसभा क्षेत्र में 11 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं लेकिन चुनाव में मुख्य मुकाबला यहां सत्ताधारी पार्टी भारतीय जनता पार्टी भाजपा और कांग्रेस पार्टी के बीच ही है। सन 2000 हजार में पृथक छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद नक्सल प्रभावित इस लोकसभा क्षेत्र में 2004, 2009 और 2014 में भाजपा के उम्मीदवार की जीत हुई थी लेकिन 2019 के चुनाव में यहां के मतदाताओं ने कांग्रेस के दीपक बैज पर अपना भरोसा जताया था। बस्तर लोकसभा क्षेत्र के लिए इस बार सत्ताधारी दल भाजपा ने एक नये चेहरे महेश कश्यप को मैदान में उतारा है। कश्यप पूर्व में विश्व हिन्दू परिषद के सदस्य रह चुके हैं। इधर इनके मुकाबले में मौजदा सांसद दीपक बैज जो कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं का टिकट काटकर पूर्व मंत्री और क्षेत्र के कद्दावर नेता कवासी लकमा को अपना उम्मीदवार बनाया है। | |
अंदरूनी इलाकों में भी वोटिंग के लिए लगी लंबी लाइन अधिकारियों ने बताया कि दंतेवाड़ा, बीजापुर और बस्तर जिलों के कई मतदान केन्द्रों में मतदाताओं की लंबी कतारें देखी गईं। कुछ बहुत बुजुर्ग मतदाता तो व्हील चेयर पर मतदान केन्द्रों तक पहुंचे थे। बस्तर जिले के भीतरी क्षेत्र के गांव चांदामेटा के मतदान केन्द्र में नक्सलियों के चुनाव बहिष्कार के आह्वान को नकारते हुए ग्रामीण वोट डालने के लिए लंबी कतार में खड़े दिखे। बताया गया कि 56 गांवों के निवासियों ने पहली बार लोकसभा क्षेत्र में अपने ही गांव में बने मतदान केन्द्रों में मतदान किया । | यूबीजीएल गोला दुर्घटनावश फटा एक जवान की मौत हो गई पुलिस अधिकारियों ने बताया कि बीजापुर क्षेत्र में एक यूबीजीएल गोला दुर्घटनावश अपनी जगह पर ही फट गया जिससे चुनाव सुरक्षा ड्यूटी पर तैनात सीआरपीएफ के एक जवान देवेन्द्र कुमार की मौत हो गई। यह दुर्घटना उस समय हुई जब सुरक्षाकर्मियों का दल उसूर थाना क्षेत्र के गलगम गांव में एक मतदान क्षेत्र के पास एक अभियान पर निकला था। एक अन्य घटना में बीजापुर जिले के भैरमगढ़ थाना क्षेत्र में नक्सलियों द्वारा लगाये गए प्रेशर बम में विस्फोट होने से केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) का एक जवान सहायक कमांडेंट मनु एच सी घायल हो गया। |
लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 21 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों की 102 सीटों पर शुक्रवार 19 अप्रैल को लगभग 63 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। लोकसभा चुनाव के साथ ही अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में विधानसभा चुनाव के लिए भी मतदान हुआ। इस दौरान पश्चिम बंगाल सहित कुछ स्थानों पर हिंसा की कुछ छिटपुट घटनाएं सामने आईं। दूसरी ओर छत्तीसगढ़ में एक ग्रेनेड लांचर के गोले में दुर्घटनावश विस्फोट होने से सीआरपीएफ के एक जवान की मृत्यु हो गई। पिछले लोकसभा चुनाव 2019 के पहले चरण के मतदान का आंकड़ा 69.43 प्रतिशत दर्ज किया गया था। उस बार कुछ लोकसभा क्षेत्र इस बार से अलग थे और तब कुल 91 संसदीय सीट के लिए ही पहले चरण में मतदान हुआ था। |
■ भाजपा ने दोनों राज्यों में लगाई सौगातों -वादों की झड़ी ■ विपक्षी खेमा भी सक्रिय हुआ ■ इन दोनों राज्यों में चुनाव नवंबर में होने की चर्चा
हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं । हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। चाहे वे किसी धर्म या व्यवसाय के हों। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है फिर वह गुरूद्वारा हो, दरगाह या फिर मंदिर, तो उसे हटाना ही पड़ेगा। यह जनता के आवागमन में बाधा नहीं डाल सकती। साथ ही अवैध निर्माण तोड़ने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए। महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं । - जस्टिस बी.आर. गवई
हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं । हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। चाहे वे किसी धर्म या व्यवसाय के हों। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है फिर वह गुरूद्वारा हो, दरगाह या फिर मंदिर, तो उसे हटाना ही पड़ेगा। यह जनता के आवागमन में बाधा नहीं डाल सकती। साथ ही अवैध निर्माण तोड़ने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए। महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं । - जस्टिस बी.आर. गवई
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