• 28 Apr, 2025

विपक्षी गठबंधन की राह आसान नहीं

विपक्षी गठबंधन की राह आसान नहीं

सीट बटवारे को लेकर जदयू -राजद के बीच खटास बढ़ने का संकट

नई दिल्ली। विपक्षी गठबंधन इंडिया की राह  अब आसान नहीं दिख रही। सीट बटवारे के बीच फंसे पेच के बीच बिहार में राजद और जदयू के बीच बढ़ी खटास ने गठबंधन की परेशानी बढ़ा दी है। महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल और उत्तरप्रदेश में क्षेत्रीय दल कांग्रेस के साथ को महत्व नहीं दे रहे।

    दूसरी ओर दिल्ली , हरियाणा और गुजरात में आम आदमी पार्टी ने सीट बटवारे को उलझा दिया है। दिक्कत तो यह है कि गठबंधन की अगली बैठक से पहले सीट बटवारे से संबंधित फार्मूले पर सहमति बन जानी थी पर इस दिशा में गठबंधन खबर लिखे जाने तक (जनवरी के पहले हफ्ते में) एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाया है। इस मामले में सबसे अहम दाव बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का है। राष्ट्रीय अध्यक्ष लखन सिंह को चलता कर खुद इस पद पर आए नीतीश ने गठबंधन के नेता के रूप में अपना दावा पेश कर दिया है। दावे को मजबूत करने के लिए नीतीश ने जातिगत जनगणना के सवाल पर पूरे देश में घूमने की योजना बनाई है।

     यह योजना ऐसे समय में बनाई गई है जब गठबंधन की कुछ ही दिनों पूर्व दिसंबर में हुई बैठक में टीएमसी अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने गठबंधन के नेता के तौर पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का नाम आगे बढ़ाया था।

  • सीएम रहते चेहरा बनना चाहते हैं नीतीश
    • राजद की रणनीति थी कि नीतीश को गठबंधन का नेता या संयोजक बनाकर तेजस्वी यादव के नेतृत्व में सरकार का गठन किया जाय।  इसके लिए राजद ने जद-यू के अध्यक्ष पद से हटाये गए ललन सिंह को साधा था। इसके उलट नीतीश की योजना बिहार का सीएम रहते गठबंधन का नेता बनने की है। 
    • नीतीश ने राजद के दांव के काट के लिए ही अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष की बलि ली है। अब खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद देशव्यापी दौरे की योजना बना कर नीतीश ने गठबंधन के नेता के तौर पर अपनी मजबूत दावेदारी पेश करने की कोशिश की है।
       
  • सामान्य नहीं रहे राजद-जद-यू के रिश्ते-
    • जद-यू के नेता नाम न छपवाने की शर्त पर बताते हैं कि राजद ने तेजस्वी की ताजपोशी के लिए ललन सिंह के साथ मिलकर पार्टी को तोड़ने की साजिश की थी। जाहिर तौर पर इसके बाद राजद और जद-यू के बीच अविश्वास का वातावरण तैयार हुआ है।
       
  • अगली बैठक में साफ होगी तस्वीर-
    • विपक्षी गठबंधन इन तमाम हालातों और पेंच के बाद बचेगा भी कि नहीं इसकी तस्वीर आगामी बैठक में साफ होगी। हालांकि सवाल तो यह भी है कि सीटों के बटवारे के बीच फंसे पेंच के बीच बैठक बुलाई भी जाएगी या कि नहीं यह भी साफ नहीं है। इसके अलावा यह भी है कि फिर नेता पद के लिए नीतीश की ओर से पेश की गई दावेदारी के इतर सवाल यह भी है कि क्या कांग्रेस बिहार, पश्चिम बंगाल,दिल्ली, पंजाब जैसे राज्यों में खाली हाथ  रहने के लिए तैयार है।