• 28 Apr, 2025

अब श्रमिकों को टनल से निकालने रोबोट का सहारा

अब श्रमिकों को टनल से निकालने रोबोट का सहारा

• उत्तरकाशी की निर्माणाधीन टनल में फंसे हैं 41 मजदूर

देहरादून। एक ओर समूचा देश दीवाली पर्व की खुशियां मना रहा था वहीं उत्तरकाशी की निर्माणाधीन सुरंग में हुए एक हादसे में 41 मजदूर फंसे रहे। जिन्हें 19 नवंबर रविवार की रात तक भी बाहर नहीं निकाला जा सका था। ये राहत कार्य का आठवां दिन था। बताया गया है कि अब तो वहां फंसे श्रमिकों का धैर्य भी जवाब देने लगा है। आपदा सचिव डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया रेस्क्यू ऑपरेशन में अब रोबोट की मदद ली जाएगी। सुरंग में मशीनों के इस्तेमाल से दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। ऊपर से मलबा लगातार गिर रहा है जिससेबचाव के काम में बाधा हो रही है। 

  • मजदूरों को डिप्रेशन से बचाने के लिऐ भेजी दवा- उत्तराखंड के उत्तरकाशी में टनल के भीतर फंसे  41 श्रमिकों को अवसाद से बचाने के लिए एंटी डिप्रेशन दवाइयां भेजी जा रही हैं। इसके साथ ही सूखे मेवे और मल्टीविटामिन की दवाएं भी भेजी जा रही हैं। सड़क परिवहन और राजमार्ग  सचिव अनुराग जैन ने रविवार 19 नवंबर को बताया कि श्रमिकों को डिप्रेशन से उबारने दवाएं और मेवे भेजे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक अच्छी बात यह है कि भीतर बिजली का कनेक्शन रिस्टोर हो चुका है। इससे टनल के भीतर रोशनी है। पाइप  लाइन से पानी भी भेजा जा रहा है जिसके लिए एक चार इंच की पाइप लाइन का इस्तेमाल किया गया है। 
  • इस पाइप लाइन के  जरिए ही खाना भेजा-  सचिव जैन ने कहा कि इसी पाइप लाइन के जरिए पहले दिन से ही भीतर फंसे लोगों के लिए खाना भी भेजा रहा है। सुरंग का निर्माण राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड कर रहे हैं। सुरंग रविवार 12 नवंबर की सुबह साढ़े पांच बजे ढह गई थी।

फंसे श्रमिकों को बाहर निकालना प्राथमिकता -गडकरी

 केन्द्रीय सड़क परिवहन और राज्यमंत्री नितिन गड़करी ने रविवार 19 नवंबर को कहा कि सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों को बचाने के लिए हर संभव कोशिशें की जा रही है और उन्हें जल्द बाहर निकालना सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ ही मौके पर पहुंचे केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि विषम हिमालयी परिस्थितियों को देखते हुए बचाव अभियान चलाया जाना मुश्किल हो रहा है। मौके पर बचाव कार्यों की समीक्षा करने के बाद गड़करी ने संवाददाताओं से बताया कि वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए अमरीकी आगर मशीन से मलबे में श्रैतिज ड्रिलिंग करके पहुंचना श्रमिकों तक सबसे जल्दी पहुंचने का तरीका हो सकता है।