अब महाराष्ट्र-झारखंड में चुनावी सरगर्मियां तेज..
■ भाजपा ने दोनों राज्यों में लगाई सौगातों -वादों की झड़ी ■ विपक्षी खेमा भी सक्रिय हुआ ■ इन दोनों राज्यों में चुनाव नवंबर में होने की चर्चा
• राष्ट्रपति भवन में सेना बढ़ी, मुनीर के कमांडर बागी • मुनीर के दो बड़े दांव उल्टे पड़े
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के सियासी हालात बद से बदतरीन होते जा रहे हैं। वहां जाने ऐसा क्या है कि कोई भी चुनी हुई सरकार स्थिर नहीं रहने पाती और सेना का कुचक्र सारा कुछ उलट-पलट डालता है। इस बार तो फौज का दांव ही उल्टा पड़ गया है। आर्मी चीफ आसिम मुनीर अपनी ही बिछाई बिसात में घिरने लगे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के एक पखवाड़े बाद पाक आर्मी के 9 कमांडरों में से चार मुनीर के खिलाफ बागी हो गए हैं।
इन कंमाडरों का मानना है कि भले ही पूर्व प्रधानमंत्री इमरान की पार्टी पीटीआई के समर्थक सड़कों पर नहीं उतर रहे लेकिन ये तय है कि लोगों में आर्मी के खिलाफ भीतर ही भीतर बहुत गुस्सा भरा हुआ है।
इसी बीच आर्मी और सीक्रेट एक्ट बिल पर साइन नहीं करने का धमाकेदार बयान देने के बाद राष्ट्रपति आरिफ अल्वी हाउस अरेस्ट जैसी हालत में पहुंच गए हैं। विश्वस्त रक्षा सूत्रों से पता चला है कि राष्ट्रपति अल्वी के सरकारी कामकाज को ब्रिगेडियर रैंक का अफसर संभाल रहा है। अल्वी रविवार को बयान देने के बाद सार्वजनिक तौर पर देखे ही नहीं गए। इसके बाद सोमवार को अल्वी ने ट्वीट किया कि उन्होंने अपने सचिव वकार अहमद को हटा दिया है। दूसरी ओर यह भी बाताया गया कि राष्ट्रपति भवन ने आर्मी और बढ़ा दी गई है।
इमरान को फायदा – सीक्रेट एक्ट अब कानून नहीं रहेगा
राष्ट्रपति अल्वी का आफिशियल सीक्रेट एक्ट पर साइन नहीं करने के बयान के बाद ये अब संशोधन कानून नहीं रहेगा। इसका सीधा फायदा इमरान को ही मिलेगा। मुनीर इमरान पर तोशाखाना केस के बाद अमरिकी केबल से जुड़ा सीक्रेट एक्ट थोपना चाहते थे।
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हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं । हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। चाहे वे किसी धर्म या व्यवसाय के हों। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है फिर वह गुरूद्वारा हो, दरगाह या फिर मंदिर, तो उसे हटाना ही पड़ेगा। यह जनता के आवागमन में बाधा नहीं डाल सकती। साथ ही अवैध निर्माण तोड़ने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए। महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं । - जस्टिस बी.आर. गवई
हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं । हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। चाहे वे किसी धर्म या व्यवसाय के हों। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है फिर वह गुरूद्वारा हो, दरगाह या फिर मंदिर, तो उसे हटाना ही पड़ेगा। यह जनता के आवागमन में बाधा नहीं डाल सकती। साथ ही अवैध निर्माण तोड़ने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए। महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं । - जस्टिस बी.आर. गवई
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