अब महाराष्ट्र-झारखंड में चुनावी सरगर्मियां तेज..
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• नेशनल मडिकल काउंसिल ने जारी किए नए नियम
नई दिल्ली। दवा बाजार की जानकारी नहीं होने से आम आदमी को साधारण सी दवाई की भी बहुत ज्यादा कीमत चुकानी पड़ती है। आम मरीजों को इस लूट से निजात दिलवाने के लिए यह अनिवार्य किया जा रहा है कि अब डॉक्टरों को पर्चे पर जेनेरिक दवाएं ही लिखनी होंगी। नेशनल मेडिकल कमिशन ने इस आशय के नए नियमों और निर्देश के मुताबिक ऐसा न करने पर उनका लाइसेंस भी कुछ समय के लिए निलंबित हो सकता है।
कमीशन ने कहा कि देश में लोक कमाई का बड़ा हिस्सा स्वास्थय पर खर्च करते हैं। और इसमें भी एक बड़ी राशि सिर्फ दवाओं पर ही खर्च होती है। बता दें कि जेनेरिक दवाएं ब्रांडेड दवाओं से 30 ले 80 फीसदी तक स्स्ती है। इस तरह जेनेरिक दवाएं लिखने से मरीजों को दवा खरीदने में थोड़ी तो राहत होगी।
अगस्त के पहले हफ्ते में ही जारी प्रोफेशनल कंडक्ट ऑफ रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर रेगुलेशन में कहा गया है कि डॉक्टर ब्रांडेड दवाएं लिखने से बचें। रजिस्टर्ड डॉक्टर्स जेनेरिक नाम ले ही दवा लिखें। नियम का उल्लंघन करने पर डॉक्टर को रेगुलेशन के प्रति सतर्क रहने की चेतावनी दी जा सकती है या फिर पेशेवर प्रशिक्षण के लिए ट्रेनिंग में शामिल होने रहा जा सकता है।
छत्तीसगढ़ में आईएमए खिलाफ में, कहा जल्दबाजी में लागू नहीं होगा नियम |
छत्तीसगढ़ के सभी शहरों में डॉक्टरों के ग्रुप में एनएमसी की ओर से जारी किए गए नियम दो दिनों से वायरल हैं। डॉक्टरों की संस्था इंडियन मेडिकल एसोसियेशन (आईएमए) इस नए नियम के विरोध में आ गई है। (आईएमए) के अध्यक्ष डॉक्टर राकेश गुप्ता ने बताया कि यह जल्दबाजी में लिया गया निर्णय है। ये पूरी तरह व्यवहारिक नहीं है और ऐसे फैसले लेते समय पूरी प्लानिंग होनी चाहिए। ऐसे अचानक ही लोगों के स्वास्थ्य से जुड़े मसलों पर निर्णय नहीं लेना चाहिए, नहीं ले सकते। सरकार को पहले ब्रांडेड दवा की फैक्ट्री बंद करवानी होगी। इसके बाद जेनेरिक दवा का ही उपयोग हो सकेगा। डॉक्टरों के लाइसेंस सस्पेंड करने के बारे में फैसला यहां की मेडिकल काउंसिल ही करेगी। सेंट्रल की विंग केवल सिफारिश कर सकती है। किसी मामले में लाइसेंस सस्पेंड करना या नहीं करना स्थानीय तौर पर ही तय होगा। |
■ भाजपा ने दोनों राज्यों में लगाई सौगातों -वादों की झड़ी ■ विपक्षी खेमा भी सक्रिय हुआ ■ इन दोनों राज्यों में चुनाव नवंबर में होने की चर्चा
हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं । हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। चाहे वे किसी धर्म या व्यवसाय के हों। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है फिर वह गुरूद्वारा हो, दरगाह या फिर मंदिर, तो उसे हटाना ही पड़ेगा। यह जनता के आवागमन में बाधा नहीं डाल सकती। साथ ही अवैध निर्माण तोड़ने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए। महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं । - जस्टिस बी.आर. गवई
हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं । हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। चाहे वे किसी धर्म या व्यवसाय के हों। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है फिर वह गुरूद्वारा हो, दरगाह या फिर मंदिर, तो उसे हटाना ही पड़ेगा। यह जनता के आवागमन में बाधा नहीं डाल सकती। साथ ही अवैध निर्माण तोड़ने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए। महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं । - जस्टिस बी.आर. गवई
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