• 28 Apr, 2025

पहली बार गर्भ में पल रही बच्ची के ब्रेन का सफल ऑपरेशन..

पहली बार गर्भ में पल रही बच्ची के ब्रेन का सफल ऑपरेशन..

• अमेरिका के अस्पताल में ब्रेन के भीतर 4 मिली में जमें खून की विकृति दूर की कुशल डॉक्टरों की टीम ने

बोस्टन। डेनवर कोलमैन जो बमुश्किल अभी सात आठ हफ्ते की है उसे तो खबर तक नहीं है कि वह कितने बड़े चमत्कार के बाद इस दुनिया में आ सकी है। दरअसल जब यह बच्ची अभी गर्भ में ही थी तभी उसके ब्रेन की सर्जरी कर वहां जमे खून के एक थक्के को बाहर निकाला जा सका।  बोस्टन के करीब रहने वाली इस बच्ची की जान बचाने यह सर्जरी की गई जो एक इतिहास बन गया। 
    उल्लेखनीय है कि यह अमेरिका जैसे उन्नत देश में भी जहां सभी तरह की चिकित्सकीय तकनीक की कोई कमी नहीं है यह ऑपरेशन एक तरह का चमत्कार ही था। बोस्टन चिल्ड्रन हास्पिटल के विशेषज्ञ डॉ. डैरेन ओरबेक ने बताया कि बच्ची के ब्रेन में रेयर ब्लड वैसल एबनॉर्मेल्टी ( नसों में खून जम जाने की समस्या को कहते हैं) थी। मेडिकल साइंस में इसे वैन ऑफ गेलेन मालफार्मेशन (वीओजीएम) कहते हैं। इस कंडीशन में ब्रेन से हार्ट तक रक्त ले जाने वाली नसें सही तरीके से विकसित नहीं हो पाती हैं। इससे दिल पर अतिरिक्त जोर पड़ता है।  
  डॉ. ओरबैक बताते हैं कि बच्ची डेनवर के दिमाग में 14 मिली चौड़े पाकेट में ब्लड जमा होने लगा था। इससे बच्चों को अक्सर हार्ट अटैक या फिर ब्रेन डैमेज की समस्या हो जाती है। इस तरह पैदा हुए बच्चे फिर बहुत समय तक जीवित नहीं रह पाते । डॉ. ओरबैक के मुताबिक केन्याटा कोलमैन की गर्भावस्था के 30 वें हफ्ते में हमें रूटीन अल्ट्रासाउंड से ही यह समस्या पता चली।  15 मार्च को गर्भावस्था के 34 वें हफ्ते सर्जरी प्लान की गई ।  माँ को रीड की हड्डी में निश्चेतक (एनेस्थिसिया) दिया गया ताकि वह जागृत अवस्था में रहे।  वह पूरे समय संगीत सुन रही थीं और आनंद में थीं। 

  • क्या थी डॉक्टरों की बड़ी चुनौतीः-
    डॉ ओरबैक बताते हैं कि – दूसरा चरण था भ्रूण को घुमाना ताकि ब्रेन को सामने लाकर पहुंच बना सकें।  भ्रूण को दर्द से बचाने और मुवमेंट रोकने के लिए इंजेक्शन भी दिया गया था। हम 10 डॉक्टरों की टीम ने लंबी नीडिल को भ्रूण तक पहुंचाने के लिए अल्ट्रासाउंड की मदद ली। वेसेल पूरी तरह से विकसित नहीं हुई थी इसलिए रक्त स्राव ज्यादा था।  टीम के सदस्यों ने नीडल के जरिये उसके चारो ओर कैथेटर पहुंचाया। जिससे कि रक्त से भरी हुई जगह पर छोटे छोटे प्लेटिनम क्वाइल भी डाल सके यह एक तकनीक है जिसमें हर क्वाइल भीतर जाकर विस्तारित होती थी। इससे धमनी और नस के जंक्शन को अवरूध्द ब्लाक करने में मदद मिली। इस दौरान टीम के कुछ सदस्यों ने बच्ची के दिमाग में ब्लड फ्लो पर निगरानी रखी। जब यह सुनिश्चित हो गया कि रक्तचाप सामान्य स्तर पर आ गया है तब क्वाइल इंजेक्ट करना बंद कर दिया गया। सर्जरी पूरी तरह सफल रही और दो दिनों बाद उक्त बच्ची डेनेवर दुनिया में आ गई। 
  • बीपी सामान्य हुआ तब सुकून मिलाः- 
    इस जटिल ऑपरेशन के टीम लीडर  ओरबैक कहते हैं – स्कैनिंग के समय बीपी नार्मल दिखा और जन्म के समय बच्ची 1.9 किलो की थी। कोई अक्षमता नहीं थी। डाक्टर कहते हैं माँ और बच्ची पूरी तरह स्वस्थ हैं। माँ केन्याटा कहती हैं जब मैने बेटी का रोना सुना तो वह फीलिंग बयां नहीं कर सकती।