एसआई और एएसआई के 600 से ज्यादा पदों पर होगी भर्ती
● पुलिस भर्ती के लिए वैकेंसी इसी महीने ● इस बार व्यापमं से मंगाए जाएंगे आवेदन
• प्रदेश सरकार ने कोदो-कुटकी का समर्थन मूल्य बढ़ाया • कोदो के समर्थन मूल्य में 200 रुपये और कुटकी में 250 रुपये की वृध्दि • स्टेट पावर कंपनी के करीब दस हजार अधिकारी कर्मचारी लाभांन्वित
रायपुर। विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच राज्य में 6 अक्टूबर शुक्रवार को मुख्यमंत्री भूपेश बूघेल ने तीन बड़े फैसलों का एलान किया। सीएम बघेल ने गोधन न्याय योजना के हितग्राहियों को राशि वितरण कार्यक्रम में मिलेट्स उत्पादक किसानों के हित में कोदो और कुटकी के समर्थन मूल्य में अच्छी वृध्दि करते हुए बड़ी घोषणा की। श्री बघेल ने खरीफ 2023 हेतु कोदो का समर्थन मूल्य 3000 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 3200 रुपये प्रति क्विंटल और कुटकी का समर्थन मूल्य 3100 रुपये क्विंटल से बढ़ाकर 3350 रुपये क्विंटल किये जाने की घोषणा की। इससे फैसले से राज्य के हजारों किसानों को सीधे लाभ होगा। घोषणा के कुछ ही देर बाद विभाग ने इस आशय के आदेश भी जारी कर दिये।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में शुक्रवार 6 अक्टूबर की शाम उनके निवास स्थान पर हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में भी कई अन्य महत्वपूर्ण निर्णय भी लिये गए। छत्तीसगढ़ स्टेट पावर कंपनीज के जनवरी 2004 या उसके बाद के नियुक्त अधिकारियों-कर्मचारियों के लिए नवीन अंशदान पेंशन योजना की जगह पुरानी पेंशन योजना बहाल करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी गई।
इस निर्णय से स्टेट पावर कंपनीज के करीब दस हजार अफसर कर्मी प्रभावित होंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार कोदो और कुटकी का समर्थन मूल्य घोषित नहीं करती है। राज्य सरकार ने कई बार केन्द्र सरकार से कोदो-कुटकी का समर्थन मूल्य घोषित करने की मांग की गई पर केन्द्र सरकार की ओर से इसकी घोषणा नहीं की गई। सीएम बघेल ने गोविंदपुर में आयोजित नगरीय निकाय पंचायती राज महासम्मेलन में उक्ताशय की घोषणा के साथ अन्य महत्वपूर्ण घोषणाएं की। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ स्टेट पावर कंपनीज के अधिकारी-कर्मचारी जो जनवरी 2004 अथवा उसके बाद नियुक्त हुए हैं उनके लिए अंशदान पेंशन योजना की जगह पुरानी पेंशन याजना बहाल करने की घोषणा की।
छत्तीसगढ़ राज्य महुआ बोर्ड बनेगा कैबिनेट की बैठक में महुआ संग्रहण, मूल्य संवर्धन, प्रसंस्करण और उसके उपयोग को बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़ राज्य महुआ बोर्ड के गठन का महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। महुआ बोर्ड बनाने के फैसले के पीछे की वजह के बारे में राज्य सरकार का कहना है कि प्रदेश में महुआ के वृक्ष बहुतायत में मिलते हैं। राज्य में महुआ की उपलब्धता और उसके उपयोग की बहुलता तथा वन और उसके आसपास रहने वाले ग्रामीणों की आजीविका का मुख्य स्रोत होने के कारण यह जरूरी है कि उसके विकास के लिए विशेष प्रयास किया जाए। इसके खाद्य और औषधीय उपयोग के साथ-साथ प्रसंस्करण को भी बढ़ावा मिलेगा और बायोडीजल या एथेनाल के उत्पादन के उद्योगों की स्थापना भी संभव होगी। |
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■ असंतुलन- नीति आयोग के वर्किंग पेपर से चौकाने वाला खुलासा ■ वेतनभोगी कर्मियों की मांग घट गई, औपचारिक रोजगार दोगुना
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