अब महाराष्ट्र-झारखंड में चुनावी सरगर्मियां तेज..
■ भाजपा ने दोनों राज्यों में लगाई सौगातों -वादों की झड़ी ■ विपक्षी खेमा भी सक्रिय हुआ ■ इन दोनों राज्यों में चुनाव नवंबर में होने की चर्चा
■ दिल्ली शराब नीति- सुप्रीम कोर्ट का जमानत पर फैसला सुरक्षित
नई दिल्ली। दिल्ली शराब नीति घोटाला मामले में आरोपी दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है । जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ के समक्ष केजरीवाल ने दो याचिकाएं दायर की थीं। पहली उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने के लिए और दूसरी जमानत के लिए।
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष केजरीवाल की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सीबीआई द्वारा की गई गिरफ्तारी को - बीमा अरेस्ट करार दिया क्योंकि यह गिरफ्तारी ईडी मामले में केजरीवाल की रिहाई के ठीक पहले 26 जून को की गई थी। सिंघवी ने कहा कि उन्हें फिर इसलिये गिरफ्तार किया गया ताकि उन्हें जेल में ही रखना सुनिश्चित किया जा सके। बताया गया कि मामला अगस्त 22 में दर्ज किय गया था लेकिन उन्हें दो साल तक गिरफ्तार नहीं किया गया ।
सीबीआई की ओर से एडिशनल सोलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा केजरीवाल ने ट्रायलकोर्ट में अपनी जमानत के लिए याचिका ही दायर नहीं की है। सीधे सुप्रीम कोर्ट आना सही नहीं है पहले जमानत के लिए ट्रायल कोर्ट जाया जाता है। इसके बाद असाधारण परिस्थितियां हों तो सीधे हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने तो केजरीवाल की जमानत याचिका खारिज कर दी थी और उन्हें निचली अदालत में अर्जी दायर करने कहा था पर वे वहां नहीं गए और सीधे ही सुप्रीम कोर्ट आ गए।
कोर्टरूम लाइव -
एएसजी - जमानत दी तो हाईकोर्ट निराश होगा
जस्टि - ऐसा न कहें
सिंघवी - सीबीआई ने केजरीवाल की गिरफ्तारी जिन बयानों के आधार पर की वो जनवरी के थे, गिरफ्तारी 25 जून को की। इनके पास कोई सबूत नहीं थे।
जस्टिस सूर्यकांत- जब कोई हिरासत में है तो गिरफ्तार करने के लिए कोर्ट की अनुमति की जरूरत नहीं होती।
एएसजी राजू- हमें स्पेशल कोर्ट से अनुमति मिली थी , वारंट जारी हुआ तब हमने उसके बाद गिरफ्तारी की थी। जब कानूनी प्रक्रिया का अनुसरण किया जाता है तो किसी आरोपी के मौलिक अधिकार वहां पर लागू नहीं होते।
सिंघवी- गिरफ्तारी के पहले दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 ए के तहत नोटिस नहीं दिया गया था।
एएसजी राजू- जब व्यक्ति पहले ही से हिरासत में था तो धारा 42 ए के तहत नोटिस देने की आवश्यकता नहीं थी। वह तर्क केवल तकनीकी था।
सिंघवी- स्वतंत्रता के मामले तकनीकी नहीं हो सकते, ये उनके साथ सांप-सीढ़ी का गेम खेल रहे हैं। जब वे बाहर आने वाले होते हैं तो ये प्रयास करते हैं कि वे जेल में ही रहें। इस तरह अवैध गिरफ्तारी उन्हें जमानत का हकदार बनाती है।
एएसजी राजू- मनीष सिसोदिया और के. कविता आदि सभी पहले ट्रायल कोर्ट गए थे। मगर अरविंद केजरीवाल सांप-सीढ़ी के गेम की तरह शार्टकट अपना रहे हैं। यह वही सांप -सीढ़ी का गेम है जिसका वे उदाहरण दे रहे थे। उन्हें लगता है कि वे असाधारण व्यक्ति हैं जिनके लिए अलग व्यवस्था होनी चाहिए। मगर मेरा कहना है कि गिरफ्तारी पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट पहली अदालत नहीं होनी चाहिए ऐसे में जमानत देने से हाई कोर्ट का मनोबल गिरेगा।
जस्टिस भुइयां- ऐसा न कहिए ये मनोबल गिराने वाला कैसे है।
एएसजी राजू- यह इसलिए कहा क्योंंकि हाईकोर्ट को मामले पर उसके गुण-दोष के आधार पर विचार का अवसर ही नहीं मिला ।
जस्टिस सूर्यकांत- यह हम तय करेंगे कि इस मामले में दखल देना है या नहीं। हाई कोर्ट को तुरंत ही निर्णय लेना चाहिए था। उसी दिन आदेश पारित करना था। जब नोटिस जारी किया गया था।
जस्टिस भुइंया- ( आश्चर्य से) - हाईकोर्ट ने तीन पैरा का आदेश लिखने में एक हफ्ते लगा दिये।
एएसजी राजू- छुट्टी के दिन भी सुनवाई की , हाईकोर्ट पर मुकदमों का ज्यादा बोझ है।
जमानत पर सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने यह भी कहा- एक जमानत मामले ने पूरा दिन ले लिया, हम जितनी संख्या में केसों से निपट रहे हैं ऐसे में दूसरे केसों के बारे में सोचिये।
■ भाजपा ने दोनों राज्यों में लगाई सौगातों -वादों की झड़ी ■ विपक्षी खेमा भी सक्रिय हुआ ■ इन दोनों राज्यों में चुनाव नवंबर में होने की चर्चा
हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं । हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। चाहे वे किसी धर्म या व्यवसाय के हों। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है फिर वह गुरूद्वारा हो, दरगाह या फिर मंदिर, तो उसे हटाना ही पड़ेगा। यह जनता के आवागमन में बाधा नहीं डाल सकती। साथ ही अवैध निर्माण तोड़ने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए। महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं । - जस्टिस बी.आर. गवई
हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं । हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। चाहे वे किसी धर्म या व्यवसाय के हों। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है फिर वह गुरूद्वारा हो, दरगाह या फिर मंदिर, तो उसे हटाना ही पड़ेगा। यह जनता के आवागमन में बाधा नहीं डाल सकती। साथ ही अवैध निर्माण तोड़ने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए। महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं । - जस्टिस बी.आर. गवई
■ हमारे साझा सरोकार "निरंतर पहल" एक गम्भीर विमर्श की राष्ट्रीय मासिक पत्रिका है जो युवा चेतना और लोकजागरण के लिए प्रतिबद्ध है। शिक्षा, स्वास्थ्य, खेती और रोजगार इसके चार प्रमुख विषय हैं। इसके अलावा राजनीति, आर्थिकी, कला साहित्य और खेल - मनोरंजन इस पत्रिका अतिरिक्त आकर्षण हैं। पर्यावरण जैसा नाजुक और वैश्विक सरोकार इसकी प्रमुख प्रथमिकताओं में शामिल है। सुदीर्ध अनुभव वाले संपादकीय सहयोगियों के संपादन में पत्रिका बेहतर प्रतिसाद के साथ उत्तरोत्तर प्रगति के सोपान तय कर रही है। छह महीने की इस शिशु पत्रिका का अत्यंत सुरुचिपूर्ण वेब पोर्टल: "निरंतर पहल डॉट इन "सुधी पाठको को सौपते हुए अत्यंत खुशी हो रही है। संपादक समीर दीवान
Address
Raipur
Phone
+(91) 9893260359