• 28 Apr, 2025

अब बच्चे के जन्म पर माता और पिता दोनों के धर्म का ब्योरा देना होगा जरूरी

अब बच्चे के जन्म पर माता और पिता दोनों के धर्म का ब्योरा देना होगा जरूरी

नई दिल्ली। अब बच्चे के जन्म के रजिस्ट्रेशन में माता और पिता के धर्म का ब्योरा अलग अलग दर्ज होना जरूरी होगा। अब तक बच्चे के जन्म के समय परिवार के धर्म का विवरण दर्ज होता था। गृह मंत्रालय ने इस बारे में माडल रूल्स का ड्राफ्ट बनाया है। यह ड्राफ्ट राज्यों को भी भेजा जाएगा।

   फॉर्म नम्बर-1 में बच्चे के परिवार के धर्म के साथ एक कॉलम और जोड़ा गया है जिसमें माता-पिता के धर्म का उल्लेख होगा। गोद लेने की प्रक्रिया में भी फॉर्म नम्बर -1 जरूरी होगा। पिछले  साल पारित जन्म मृत्यु (संशोधन) कानून के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर जन्म और मृत्यु का पंजीयन होगा।  एक अक्टूबर 2023 को प्रभावी हुए कानून के अनुसार जन्म और मृत्यु का डिजिटल रजिस्ट्रेशन होगा। बच्चे के माता-पिता के धर्म के बारे में जानकारी सांख्यिकी विभाग के साथ साझा रहेगी।

  •  इस डेटाबेस के आधार पर एनपीआर और वोटर लिस्ट भी अधतन होगी-

जन्म रजिस्ट्रेशन के नए फॉर्म नंबर -1 से मिले डेटाबेस के आधार पर एनपीआर, आधार कार्ड, वोटर लिस्ट, राशन कार्ड, पासपोर्ट और ड्राइविंग लाइसेंस जैसे दस्तावेज को भी अधतन ( अपडेट ) किया  जा सकेगा। जन्म का यह डिजिटल सर्टिफिकेट सिंगल डाक्यूमेंट ( एकल दस्तावेज) के रूप में मान्य होगा। ये किसी भी शिक्षण संस्थान में दाखिले के लिए मान्य दस्तावेज होगा।

  • मृत्यु प्रमाण पत्र में तात्कालिक कारणों के साथ पुरानी बीमारी का जिक्र भी-

गृह मंत्रालय के रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया ने मृत्यु प्रमाण पत्र में अब मृत्यु के तात्कालिक कारणों के साथ साथ पुरानी बीमारी के जिक्र को भी जरूरी किया गया है। आरजीआई देशभर में जन्म और मृत्यु के डाटा का संधारण राष्ट्रीय स्तर पर करेगा। आरजीआई को राज्यों के चीफ रजिस्ट्रार से लेकर पंचायत स्तर के अधिकारियों के साथ समन्वय के अधिकार भी सौंपे गए हैं।

दूसरा बदलाव पुस्तकों में --

  • एनसीईआरटी की किताब से गुजरात दंगे समेत कई संदर्भ हटाए गए-
     

नई दिल्ली ।  राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की किताबों में ताजा संशोधन के तहत अयोध्या में बाबरी मस्जिद, गुजरात दंगों में मुस्लिमों की हत्या, हिन्दुत्व और मणिपुर के भारत में विलय से जुड़े संदर्भ हटा दिये गए हैं। ये बदलाव 11 वीं और 12 वीं कक्षा के राजनीति शास्त्र की पुस्तकों में किये गए हैं।

अधिकारियों ने बताया कि ये बदलाव रूटीन अपडेट का  हिस्सा हैं।  नये पाठ्यक्रम की रूपरेखा के तहत नई किताबों के विकास से इसका कोई संबंध नहीं है। एनसीईआरटी की पाठ्यक्रम मसौदा समिति द्वारा तैयार किये गए परिवर्तनों का विवरण देने वाले एक दस्तावेज के अनुसार राम जन्मभूमि आंदोलन के संदर्भों को - 'राजनीति में नवीनतम विकास के साथ' बदल दिया गया है। वहीं 11 वीं की किताब में धर्मनिरपेक्षता पर अध्याय 8 में गोधरा दंगों के संदर्भ को बदला गया है। इसमें पहले था- 'गुजरात में 2002 में गोधरा दंगों के बाद एक हजार से ज्यादा मुस्लिम मारे गए थे।'- इसे बदलकर '2002 में गुजरात में गोधरा के बाद हुए दंगों में 1000 से अधिक लोग मारे गए थे'- कर दिया गया है।
  
एनसीईआरटी का तर्क है किसी भी दंगे में सभी समुदाय के लोगों को नुकसान होता है, किसी एक का नहीं ।