• 28 Apr, 2025

जब 36 युवक सड़क पर निर्वस्र दौड़ने लगे ...

जब 36 युवक सड़क पर निर्वस्र दौड़ने लगे ...

• फर्जी जाति प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी कर रहे 267 लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग, जेल गए | • पुलिस ही नहीं बल्कि विधानसभा की ओर जाने वाली मुख्य सड़क से गुजर रहे लोग भी हक्के-बक्के रह गए |

रायपुर।  अपनी मांगों के लिए आवाज उठाकर थक गए कुछ युवकों ने 18 जुलाई को विधानसभा के पास प्रदर्शन का अजीब तरीका अख्तियार किया और सड़क पर नग्न प्रदर्शन करने उतर आए। ये तमाम युवक  कथित रूप से फर्जी जाति प्रमाण पत्र  के आधार पर प्रदेश सरकार की नौकरी कर रहे 267 लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर  इस बात के विरोध के लिए गठित संघर्ष समिति के नेतृत्व में यह प्रदर्शन आयोजित किया था।

      कहा जा रहा है कि कथित रूप से वर्ग विशेष के हितों के साथ हो रहे अन्याय के विरोध में आवाज उठा रहे संगठन जब अपनी आवाज की अनसुनी से आजीज आ गए तब उन्होंने थक हार कर यह कदम उठाया। मंगलवार 18 जुलाई को इन युवकों को सड़कों पर इस हालत में देखकर पुलिस ही नहीं बल्कि विधानसभा की ओर जाने वाली मुख्य सड़क से गुजर रहे लोग भी हक्के-बक्के रह गए।  हालत और ही विचित्र हो गई जब पुलिस ने उन्हें रोकने का प्रयास किया तो ये युवक इसी हालत में मुख्य मार्ग पर मंत्रियों-विधायकों की कारों के सामने ही दौड़ने लगे। जैसे तैसे पुलिस ने इन्हें पकड़ कर वाहनों में बिठाया और मंदिर हसौद ले गई। मामले में 29 प्रदर्शनकारियों के खिलाफ आईटी एक्ट 67, 68 धारा 146,147, 294  और धारा 332, 353 के तहत अपराध पंजीबध्द किया गया है। सभी गिरफ्तार प्रदर्शनकारियों को जेल भेज दिया गया है।

      उल्लेखनीय है कि इन प्रदर्शन कारियों ने यह प्रदर्शन अचानक ही नहीं किया बल्कि 18 जुलाई से ही छत्तीसगढ़ विधानसभा का चार दिवसीय मानसून सत्र  शुरू हुआ है और इससे पूर्व ही अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग फर्जी प्रमाण पत्र मामला संघर्ष समिति इसी मुद्दे पर विधानसभा घेराव करने की अपनी पूर्व चेतावनी और पूर्व सूचना के तहत सड़क पर लगभग साढ़े 10 बजे नारेबाजी करते हुए नग्न प्रदर्शन करने उतर गए। पुलिस और प्रशासन ने इनकी पूर्व चेतावनी को शायद गंभीरता से नहीं लिया। 

इस तरह प्रदर्शन की नौबत क्यों आई...अब तक केवल 40 ही बर्खास्त 
 कहा जा रहा है कि राज्य सरकार में कथित रूप से 269 अधिकारी –कर्मचारी फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर बीते कई साल से कार्यरत हैं। जब इसकी शिकायत मिली थी तब राज्य सरकार ने एक छानबीन समिति बनाई और उक्त प्रकरणों की जांच की। इसमें सन 2000 स  2020 तक 758 शासकीय कर्मियों और अधिकारियों के इस तरह से नौकरी करने की शिकायत मिली थी। इसमें 659 मामलों की जांच में ही दो दशक लग गए। इसके बाद भी 369 अधिकारियों-कर्मचारियों के जाति प्रमाण पत्र गलत पाए गए। इस बारे में पूछताछ करने पर पता चला कि 269 प्रकरणों पर इस मामले में कार्रवाई की गई है। इनमें से केवल 40 लोगों को बर्खास्त किया गया है। वहीं 16 लोगों की मृत्यु हो चुकी है या वे रिटायर हो चुके हैं। 90 लोगों ने अपने बचाव में अदालत से स्थगन ले रखा है जबकि 17 लोगों के पक्ष में अदालत का फैसला आया है। चार लोगों के खिलाफ छानबीन की  जा रही है जबकि 102 लोगों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई विचाराधीन है। हालांकि सीएम भूपेश बघेल ने हाल में फर्जी जाति प्रमाणपत्र धारी सरकारी सेवकों को जांच में सही पाये जाने पर बर्खास्त करने के निर्देश दिये थे। 

रात तक चलती गतिविधियां....

  • शाम को राजभवन जाकर राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन को भाजपा विधायक दल ने इस मामले में ज्ञापन सौंपा और नग्न प्रदर्शन के मामले में कांग्रेस की सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए बर्खास्त करने की मांग की। पूर्व सीएम डॉ रमन सिंह ने कहा कि आक्रोष कांग्रेस की सरकार के खिलाफ चरम पर पहुंच गया है इसलिए इस तरह के प्रदर्शन हो रहे हैं। 
  • दूसरी ओर सीएम बघेल ने नग्न प्रदर्शन के मामले को गंभीरता से लिया है। सूत्रों के मुताबिक देर शाम उन्होंने कलेक्टर और एसएसपी को तलब कर इस मामले में पूरी जानकारी ली। प्रदेश कांग्रेस के नवनियुक्त अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि भाजपा के शासनकाल में झूठे जाति प्रमाण पत्र बनाए गए हैं और यह प्रदर्शन भाजपा द्वारा ही प्रायोजित है।