अब महाराष्ट्र-झारखंड में चुनावी सरगर्मियां तेज..
■ भाजपा ने दोनों राज्यों में लगाई सौगातों -वादों की झड़ी ■ विपक्षी खेमा भी सक्रिय हुआ ■ इन दोनों राज्यों में चुनाव नवंबर में होने की चर्चा
● दो बार पूर्ण बहुमत के बाद गठबंधन की सरकार, इस बार सर्वाधिक 11 मंत्री सहयोगी दलों के ● 30 कैबिनेट मंत्री, 5 राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार और 36 राज्यमंत्री बनाए गए
नई दिल्ली । नरेन्द मोदी ने लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। उन्होंने देश के लोकतांत्रिक इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा है। देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरु के बाद वे ऐसा कर पाने वाले दूसरे व्यक्ति हैं। राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में सात देशों के राष्ट्र प्रमुखों की मौजूदगी में 8 हजार से भी ज्यादा अतिथियों की उपस्थिति में उन्होंने ईश्वर के नाम पर पद और गोपनीयता की शपथ ली। नरेन्द्र मोदी के बाद वरिष्ठ मंत्री राजनाथ सिंह और अमित शाह ने भी शपथ ली।
इसके बाद मोदी के दूसरे कार्यकाल के वरिष्ठ मंत्रियों में गिने जाने वाले नीतीन गडकरी,निर्मला सीतारमण और एस.जयशंकर प्रसाद को नई कैबिनेट में भी शामिल किया गया है। नई सरकार में पीएम मोदी को छोड़कर छह पू्र्व मुख्यमंत्री शामिल किए गए हैं जिनमें चार भाजपा और दो सहयोगी पार्टियों के हैं। एनडीए के पांच सहयोगी दलों को कैबिनेट में जगह दी गई है। जद(एस) के एचडी कुमारस्वामी, हिन्दुस्तान आवामी मोर्चा के जीतनराम मांझी, जद यू के राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, टीडीपी के राममोहन नायडु और लोजपा के चिराग पासवान को कैबिना दर्जे के साथ मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है।
पीएम मोदी के अलावा मंत्रिमंडल में 71 सदस्य शामिल हैं। इनमें 30 कैबिनेट, पांच स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री और 36 राज्यमंत्री शामिल हैं। कैबिनेट मंत्रियों में जेपी नड्डा एक ऐसा नाम हैं जो14 की मोदी की पहली कैबिनेट में तो थे पर उन्हें 2019 में पीएम मोदी के दूसरे कार्यकाल में मंत्रिमंडल में नहीं लिया गया था।
पिछली बार राज्यसभा से मंत्रिमंडल में आए पीयूष गोयल,धर्मेंद्र प्रधान और भूपेन्द्र यादव इस बार लोकसभा से जीत कर आए और मंत्रिमंडल में शामिल हुए हैं। पिछली सरकार का हिस्सा रहे सर्वानंद सोनवाल, अश्विनी वैष्णव,प्रहलाद जोशी, गिरीराज सिंह,मनसुख मांडविया,हरदीप सिंह पुरी, किरेन रिजिजू और गजेन्द्र सिंह शेखावत भी कैबिनेट का दर्जा पाने में कामयाब हो गए हैं। कैबिनेट के 30 सदस्यों में से 25 भाजपा के हैं। मोदी सरकार के पिछले सरकार में शामिल जिन नामों को इस बार जगह नहीं मिली है उनमें सिर्फ अनुराग ठाकुर एक चौकाने वाला नाम है। वैसे पिछली सरकार के कुल 27 चेहरे इस बार नहीं दिखेंगे क्योंकि इनमें से कई तो चुनाव हार गए हैं। कुछ चेहरे बाहर हैं जिनका भाजपा से गठबंधन टूट चुका है।
केन्द्रीय मंत्रिमंडल के शपथ समारोह में पड़ोसी देशों नेपाल, भूटान,श्रीलंका, बांग्लादेश, मालदीव के शासन प्रमुख मुख्यरूप से शामिल हुए ।इसके अलावा अभिनेता शहारुख खान, दिग्गज उद्योगपति मुकेश अम्बान और गौतम अडाणी से लेकर सेंट्रल विस्टा परियोजना के काम करने वाले श्रमिक, उपराष्ट्रपति जगदीप धनगड़,देश के मुख्यन्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़,टीडीपी प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडु और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गणमान्य अतिथियों में शामिल किए गए थे।
नई सरकार में ओबीसी, एससी, एसटी का प्रतिनिधित्व 58 फीसदी आम चुनाव के पहले और दौरान आरक्षण खत्म होने के फैलाये गए भ्रम के कारण चुनाव में हुए राजनीतिक नुकसान की भरपाई के लिए भाजपा ने वंचित वर्ग को समुचित प्रतिनिधित्व दिया है। केन्द्र की नई सरकार में एससी, एसटी और ओबीसी का प्रतिनिधित्व 58 फीसदी से ज्यादा है। इसमें ओबीसी को 37.5 प्रतिशत, एससी को 14 और एसटी को 7 प्रतिशत का भागीदारी दी गई है। कहा जा रहा है कि मोदी सरकार के पिछले दो कार्यकाल की तुलना में वंचित वर्ग को सबसे ज्यादा भागीदारी दी गई है। पीएम मोदी की नई टीम में ओबीसी 27,एससी के 10 और एसटी के पांच मंत्री बनाये गए हैं। अगड़ी जातियों के 21 , अल्पसंख्यक समुदाय से 5 मंत्री शामिल किये गए हैं। हालांकि मुसलमानों को जगह नहीं दी गई है। ईसाई से एक और जैन तथा बौध्द से एक-एक प्रतिनिधि शामिल किये गए हैं। | उप्र से सर्वाधिक 11 मंत्री पीएम के अतिरिक्त राजनाथ सिंह, हरदीप पुरी, एसपीएस बघेल, जितिन प्रसाद,बीएल वर्मा, पंकज चौधरी,कमलेश पासवान ,कीर्तिवर्धन सिंह के एक सांसद जीतने वाले एनसीपी -अजीत गुट कैबिनेट मंत्री नहीं बनाने से खफा है। कहा यह भी जा रहा है कि स्वतंत्र प्रभार वाले मंत्री पद के लिए पार्टी नेताओं में खींचतान इसकी वजह बनी हुई है। कहा जा रहा है कि पार्टी ने प्रफुल्ल पटेल का नाम दिया था । अजीत पहले कैबिनेट मंत्री रहे हैं इसलिए राज्यमंत्री नहीं बनेंगे। यद्यपि अजीत पवार केन्द्रीय मंत्रिमंडल की शपथ समारोह में शामिल हुए थे। |
■ भाजपा ने दोनों राज्यों में लगाई सौगातों -वादों की झड़ी ■ विपक्षी खेमा भी सक्रिय हुआ ■ इन दोनों राज्यों में चुनाव नवंबर में होने की चर्चा
हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं । हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। चाहे वे किसी धर्म या व्यवसाय के हों। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है फिर वह गुरूद्वारा हो, दरगाह या फिर मंदिर, तो उसे हटाना ही पड़ेगा। यह जनता के आवागमन में बाधा नहीं डाल सकती। साथ ही अवैध निर्माण तोड़ने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए। महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं । - जस्टिस बी.आर. गवई
हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं । हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। चाहे वे किसी धर्म या व्यवसाय के हों। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है फिर वह गुरूद्वारा हो, दरगाह या फिर मंदिर, तो उसे हटाना ही पड़ेगा। यह जनता के आवागमन में बाधा नहीं डाल सकती। साथ ही अवैध निर्माण तोड़ने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए। महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं । - जस्टिस बी.आर. गवई
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