• 28 Apr, 2025

बेमौसम बारिश से घान, फसलों को करोड़ों का नुकसान

बेमौसम बारिश से घान, फसलों को करोड़ों का नुकसान

• प्रदेश में खेत, खलिहान से लेकर उपार्जन केन्द्र तक लाखों टन धान खुले आसमान के नीचे • राज्यभर के अनेक उपार्जन केन्द्रों में खरीदी हुई प्रभावित • खरीदी नहीं हो पाई थी किसानों के धान की • खेतों में डाले गए गेहूं और चने के बीच नष्ट होंगे • धान का करपा भीगा, खड़ी फसल को भी नुकसान

रायपुर/ दुर्ग । छत्तीसगढ़ में खेत-खलिहान से लेकर उपार्जन केन्द्रों तक लाखों टन धान हर बार की तरह ही खुले आसमान के नीचे पड़ा है। बेमौसम की बारिश से खुले में पड़े धान के खराब होने के साथ अतिरिक्त लागत बढ़ने से करोड़ों रुपयों के नुकसान की आशंका है।  28 नवंबर को अचानक बिना लक्षण और बेमौसम की बारिश ने प्रदेश के छोटे किसानों की चिंता बढ़ा दी है क्योंकि कई उपार्जन केन्द्रों में खरीदी भी प्रभावित हुई। वहीं अपना धान लेकर बेचने पहुंचे अनेक किसानों को भी कई जगह बहुत परेशानी  का सामना करना पड़ा। जिन किसानों के धान नहीं बिक पाया था उन्हें पूरी रात वहीं रुकना पड़ा था।

             धान बिकने की जानकारी के अनुसार प्रदेश के 2216 उपार्जन केन्द्रों में अब तक कुल 131 लाख क्विंटल से अधिक धान की खरीदी हो चुकी है जिनमें से मिलर्स ने 30 लाख, 18 हजार 196 क्विंटल धान का उठाव किया है।  वहीं वर्तमान में हजारों करोड़ रुपये कीमत का 101 लाख, 26 लाख और 420 क्विंटल धान उपार्जन केन्द्रों में खुले आसमान के नीचे असुरक्षित पड़ा है। महीने की आखिर में 28 नवंबर को सुबह से हो रही बारिश के कारण करोड़ों के धान के भीगकर खराब होने  की आशंका है। 

     कई समितियों में धान को तालपतरियों से ढापने की कवायद तो की गई पर कई जगह तो ढाकने का कोई साधन उपलब्घ नहीं था। धान की स्टैकिंग नही होने ( ढेरियां नहीं बने होने के कारण) से उन्हें पूरी तरह नहीं ढांका  जा सका है। 28 नवंबर को छत्तीसगढ़ में सभी जगह मिलाकर कुल 13 लाख टन धान की खरीदी हुई जबकि पिछले साल इसी तारीख को कुल 19 लाख टन धान की खरीदी हुई थी। जानकारी के अनुसार कई समितियों में 28 नवंबर को धान लेकर पहुंचे किसानों के धान की खरीदी संभव नहीं हो सकी थी। 

लाखों हेक्टेयर के अरहर और लाखड़ी की फसल खराब ..

छत्तीसगढ़ के किसानों ने लगभग सवा चार लाख हेक्टेयर रकबे में अरहर की फसल लगाई है और इस फसल के पौधों में अभी फूल और फल लग रहे हैं और ऐन फ्लावरिंग के समय बेमौसम की बारिश ने जो तबाही मचाई कि इन पौधों के तमाम फूल ही झड़ रहे हैं। अरहर उत्पादक किसानों का कहना है कि जिन पौधों में फल लग चुके हैं उन पर तो कीड़े लगना तय है। इसी तरह प्रदेश के लाखों किसान रबी में लाखड़ी  की फसल लेते हैं और इन किसानों की फसल लाखड़ी के पौधे तैयार भी हो गए हैं। अब 28 ले लगातार हो रही बेमौसम की बारिश से इनका खराब होना तय है। इस समय किसान चना और गेहूं की बुआई कर रहे हैं और जिन किसानों ने इसकी बुआई कर सिंचाई भी कर ली है उनके चने और गेहूं के बीज खेत में अतिरिक्त पानी से खराब होने की आशंका है। 

ओडिशा में 2 दिसंबर तक फिर चक्रवात की चेतावनी

ओडिशा सरकार ने दक्षिण अंडमान पर कम दबाव का क्षेत्र बनने के बीच राज्य के सात तटीय जिलों के लिए 28 नवंबर मंगलवार को अलर्ट जारी किया। अधिकारियों के मुताबिक कम दबाव वाले इलाकों में दबाव क्षेत्र में बदलाव होकर दो दिसंबर तक चक्रवात में बदलने के संकेत हैं। दक्षिणी अंडमान सागर में बने कम दबाव वाले क्षेत्र में तब्दील होकर बाद में चक्रवाती तूफान में बदलने की आशंका है। भुनेश्वर मौसम विज्ञान केन्द्र के निदेशक एच.आर.  बिस्वास ने बताया कि तूफान के सटीक मार्ग का पता तब चलेगा जब कम दबाव वाला क्षेत्र दबाव क्षेत्र में बदल जाएगा। 
     खबर लिखे जाने तक जानकारी है कि दबाव के प्रभाव की वजह से एक दिसंबर को मध्य बंगाल की खाड़ी के ऊपर की गति 40 से 50 किलोमीटर प्रति घंटे और दो दिसंबर की 50 से 60 किमी प्रतिघंटे तक हो सकती है। मौसम में अचानक आए इस बदलाव का असर छत्तीसगढ़ के मौसम पर भी दिखेगा।