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सुधार की तैयारीः- तकनीकी सहारा और प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, नई कंपनियां आएंगी
नई दिल्ली। बीमा हमारे देश में एक ऐसी सुरक्षा है जिसकी जरूरत तो सभी को है पर दुर्भाग्य से हमारे देश में यह सुरक्षा 140 करोड़ की आबादी में बमुश्किल सिर्फ 5 फीसदी आबादी के पास ही है। आज के कठिन दौर में सुरक्षा पहली प्राथमिकता है तब सरकार इस क्षेत्र की दुश्वारियां दूर करने जा रही है। इससे इंश्योरेंस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। विदेशी कंपनियों सहित कई नई कंपनियां आएंगी। तकनीकी सहयोग बढ़ेगा जिससे बीमा लेना सस्ता और आसान हो जाएगा।
प्रस्तावित संशोधन में पूंजी की जरूरत को तर्कसंगत बनाना, कंपोजिट रजिस्ट्रेशन, वैल्यू एडेड सर्विसेज और अन्य फायनेंशियल प्रोडक्ट की बिक्री शामिल है। यह बात बीमा नियामक (इरडा) इंश्योरेंस रेगुलेशन डिवेलपमेंट अथारिटी के चेयरमैन देवाशीष पंडा ने कही। अभी बीमा कंपनियों को न्यूनतम 100 करोड़ रुपये की पूंजी की जरूरत होती है। री- इंश्योरेंस कंपनियों के लिए यही सीमा 200 करोड़ रुपये तक की है। इसे कम करने पर नई कंपनियां इस क्षेत्र में कदम रखेंगी।
पिछले संशोधन के बाद का असरः-
2021 में बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा 49 फीसदी से बढ़ाकर 74 फीसदी की गई थी। इससे अमेरिकन इंटरनेशनल ग्रुप और प्रूडेंशियल फायनेंशियल इंक जैसी वैश्विक स्तर की कंपनियां भारत आईं।
60 लाख करोड़ की इंडस्ट्री है बीमाः-
देश की बीमा कंपनियां लगभग 60 लाख करोड़ की संपत्तियां सम्हाल रही हैं। ये पौलेंड औस स्वीडन जैसे देशों की अर्थव्यवस्था से कहीं ज्यादा बड़ी रकम है। बीते वित्त वर्ष में इश्योरेंस सेक्टर की ग्रोथ 13.7 फीसदी रही है।
कानून में बदलाव जरूरीः-
इंश्योरेंस सेक्टर को ज्यादा तकनीकी क्षमता, विशेषज्ञता, टेक सपोर्ट और पूंजी की जरूरत है। इसलिए इससे संबंधित कानून में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है।
- देवाशीष पांडा, चेयरमैन इरडा..
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