• 28 Apr, 2025

पीएम मोदी ने गुरुपुरब पर कहा- हमारी तपस्या में कहीं कमी रही विपक्ष ने सरकार के इस फैसले को किसानों की बड़ी जीत बताया संसद के शीत सत्र में पूरी की जाएगी वापसी की पूरी प्रक्रिया यूपी -पंजाब सहित पाँच राज्यों का चुनावी फैक्टर दिल्ली की सीमाओं पर एक साल से किसान प्रदर्शन कर रहे टिकैत ने कहा -अभी खत्म नहीं होगा किसान आंदोलन प. उप्र में विधानसभा की 136 सीटें थीं भाजपा की चिंता

नई दिल्ली . दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला सुना कर एक बार फिर देश को चौका दिया। वे नोट बंदी के समय से इसी तरह के फैसलों के लिए जाने जाते हैं। देश के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि संसद के शीत सत्र में इस कानून को वापस लेने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। उन्होंने कहा कि हमारी तपस्या में ही कोई कमी रह गई होगी जिसकी वजह से हम कुछ किसानों को नहीं समझा पाए। उन्होंने कृषि कानूनों को अब भी सही ठहरया और कहा कि कुछ किसानों को नहीं समझने के कारण यह फैसला लेना पड़ा।
 इधर विपक्ष सरकार के इस फैसले को किसानों की बड़ी जीत बता रहा है। कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री की यह घोषणा सियासी रूप से बहुत अहम है क्यों कि अगले साल  पंजाब और उप्र सहित देश के पाँच राज्यों में विधानसभाओं के लिए चुनाव होने वाले हैं। कृषि कानून वापस लेने की बड़ी वजह भी चुनाव को ही माना जा रहा है। दिल्ली सीमा पर आंदोलन कर रहे किसानों में ज्यादातर तो पंजाब और उप्र के हैं। दिल्ली की सीमाओं पर अब भी किसान आंदोलन जारी है। 
पीएम मोदी ने किसानों से अब घर लौटने की अपील की और कहा कि इस कानून को खत्म करने की प्रक्रिया अब संसद के शीतकालीन सत्र में शुरू हो जाएगी। उन्होंने कहा कि मकसद ये था कि देशभर के किसानों को खासकर छोटे किसानों को और ताकत मिले। उन्हें अपनी फसल बेचने के लिए ज्यादा से ज्यादा विकल्प और अपने उपजाये अनाज की  वाजिब कीमत मिले। लेकिन इतनी पवित्र बात, पूर्ण रूप से किसानों के हित की बात हम अपने प्रयासों के बावजूद भी कुछ किसानों को समझा नहीं पाए। कृषि अर्थशास्त्रियों ने, वैज्ञानिकों ने और प्रगतिशील किसानों न भी उन्हें कृषि कानूनों के महत्व को समझाने का भरपूर प्रयास किया।
सांसदों व विधायकों से मिल रहा था फीडबैक
सरकार पर तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का चौतरफा दबाव पड़ रहा था। भाजपा के नेतृत्व को लगातार इस बात का फीडबैक मिल रहा था कि जिस तरह किसान अभी तक आंदोलन पर बैठे हैं यदि ऐसे में कृषि कानून वापस नहीं लिए गए तो पार्टी को पंजाब, यूपी और उत्तराखड़ के चुनाव में बड़ा  नुकसान उठाना पड़ सकता है। फीडबैक देने वालों में भाजपा सांसद, विधायक और उसके जमीनी कार्यकर्ता शामिल हैं। कई जगहों पर भाजपा नेताओं को किसानों के विरोध का सामना करना पड़ रहा था। पश्चिमी उत्तरप्रदेश के 16 जिलों में विधानसभा की 136 सीटें हैं। भाजपा को इन इलाकों में भी बड़े नुकसान का अंदेशा था। अब कृषि कानूनों के खत्म होने पर भाजपा की उम्मीद फिर जगी है। 2017 में भाजपा ने पश्चिमी यूपी की 109 सीटों पर कब्जा किया  था।
किसानों और सिखों को एकसाथ साधने की कोशिश
ठीक गुरूनानक जयंती गुरुपूरब के मौके पर इस कृषि कानून को वापस लेने की घोषणा कर सरकार ने पंजाब के सिख समुदाय को एक बड़ा संदेश देने की कोशिश की है। गुरूनानक जयंती का सिख समुदाय के लिए बड़ा महत्व है। भाजपा को उम्मीद है कि इस मौके पर तीनों कृषि कानून वापस लाने की घोषणा सिखों को वापस अपने पाले में खींच लाएगी। सरकार के इस फैसले को सीधे तौर पर सिख समुदाय और किसानों को एक साथ साधने की कोशिश की तरह देखा जा रहा है।
चुनाव में विपक्ष की धार कुंद होगी
कृषि कानूनों के विरोध  में किसान पूरे सालभर से प्रदर्शन कर रहे थे। विपक्षी पार्टी लगातार सरकार पर हमलावर थी और कृषि कानून वापस लेने की मांग कर रही थी। तकरीबन सभी विपक्षी पार्टियां एक स्वर से किसानों की इस मांग को जायज ठहराते हुए उसके साथ थीं। उप्र में कांग्रेस, सपा और रालोद किसानों के बीच पहुंच कर उनका समर्थन कर रहे थे और सरकार के खिलाफ माहोल बन रहा था, विपक्ष विधानसभा चुनाव में इसे बड़ा मुद्दा बनाने जा रहा था। अब सरकार के इस फैसले से विपक्ष के इस रणनीति की हवा निकल गई है।


न्यूनतम समर्थन मूल्य पर समिति
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि एमएसपी को और अधिक प्रभावी व पारदर्शी बनाया जाएगा। ऐसे सभी विषयों पर भविष्य में ध्यान रखते हुए निर्णय लेने के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा। इस कमेटी में केन्द्र और राज्य सरकारों के प्रतिनिधि होंगे। इनके साथ किसान, अर्थ शास्त्री और कृषि वैज्ञानिक भी शामिल होंगे।
एमएसपी पर टकराव की आशंका
तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए बीते डेढ़ साल से कुछ किसान संगठन विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं हालांकि अभी एमएसपी पर टकराव होने की आशंका बनी हुई है, इसके संकेत राकेश टिकैत ने भी दिए हैं। किसान नेता और आंदोलने के अगुवा राकेश टिकैत ने कहा है- मुझे अभी भी इस फैसले पर यकीन नहीं है।
अकाली -भाजपा गठबंधन नहीं 
सुखबीर सिहं बादल ने भाजपा के साथ गठबंधन की संभावना से इंकार किया है, सुखबीर ने मोदी सरकार के फैसले पर कहा कि 700 जाने चली गईं, शहादतें हो गईं, मैने संसद में पीएम मोदी से कहा था कि जो आपने काले कानून बनाए हैं उसे देश के किसान नहीं मानते, बादल से जब पूछा गया कि क्या अकाली दल दोबारा भाजपा से गठबंधन करेगी तो उन्होंने इससे इंकार किया।