अब महाराष्ट्र-झारखंड में चुनावी सरगर्मियां तेज..
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नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शराब घोटाला केस में सीबीआई की तरफ से दर्ज मुकदमे में जमानत मिल गई है। उन्हें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के मुकदमे में पहले से ही जमानत मिली हुई है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आते ही केजरीवाल के जेल से बाहर निकलने का रास्ता पूरी तरह साफ हो गया और वे जेल से रिहा कर दिये गए।
सुप्रीम कोर्ट के दो जजों जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने केजरीवाल की जमानत अर्जी पर मुहर लगा दी। केजरीवाल को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था, वो गिरफ्तारी वैध थी या नहीं, इस पर दोनों जजों ने परस्पर विरोधी विचार दिए। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि सीबीआई की गिरफ्तारी में कानूनी दृष्टि से कोई खामी नहीं है, यानी गिरफ्तारी पूरी तरह वैध है।
वहीं, जस्टिस भुइयां ने कहा कि सीबीआई ने सिर्फ और सिर्फ इसलिए केजरीवाल को गिरफ्तार किया था क्योंकि उन्हें ईडी केस में जमानत मिलने के बाद जेल से निकलने का मौका नहीं मिले। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की इस पीठ के सामने केजरीवाल की तरफ से दो अर्जियों पर फैसला देना था- एक तो यह कि क्या सीबीआई की गिरफ्तारी वैध थी और क्या केजरीवाल को जमानत मिलनी चाहिए? आइए जानते हैं कि इन दोनों मामलों पर किस जज ने क्या कहा।
तीन प्रश्न हैं- क्या सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी में कानून का उल्लंघन हुआ था? क्या उन्हें (अरविंद केजरीवाल को) तत्काल रिहा किया जा सकता है? और क्या आरोप पत्र दाखिल करना इस प्रकार का है कि उसे केवल ट्रायल कोर्ट जाना होगा? जांच के उद्देश्य से किसी ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार करने में कोई बाधा नहीं है जो पहले से ही किसी अन्य मामले में हिरासत में है। सीबीआई ने अपने आवेदन में उल्लेख किया है कि गिरफ्तारी क्यों आवश्यक थी। चूंकि न्यायिक आदेश था इसलिए धारा 41(ए)(3) का कोई उल्लंघन नहीं हुआ। इसलिए इस बात में कोई वजन नहीं है कि धारा 41(ए)(3) का अनुपालन नहीं किया गया। जब मजिस्ट्रेट ने वारंट जारी किया है तो आईओ (जांच अधिकारी) को इसके लिए कोई कारण बताने से छूट है। हमने माना है कि अपीलकर्ता की गिरफ्तारी में किसी प्रक्रिया का उल्लंघन नहीं हुआ है, इसलिए गिरफ्तारी वैध है।
अब जमानत पर बात। विकसित समाज के लिए जमानत को लेकर एक विकसित न्यायशास्त्र जरूरी है और मुकदमे के दौरान अभियुक्तों को लंबे समय तक जेल में रखना उचित नहीं ठहराया जा सकता है, इस न्यायालय के निर्णयों में यह माना गया है। जब मुकदमा पटरी से उतर जाता है तो (संविधान के) अनुच्छेद 21 के मद्देनजर न्यायालय स्वतंत्रता की ओर झुकता है। अगस्त 2022 को एफआईआर दर्ज की गई और 4 आरोपपत्र दाखिल किए गए हैं। ट्रायल कोर्ट ने संज्ञान लिया है और 17 अभियुक्तों की जांच की जानी है। निकट भविष्य में ट्रायल पूरा होने की संभावना नहीं है। केजरीवाल जमानत देने के लिए तीन शर्तों को पूरा करते हैं। इस कारण हम (जमानत का) आदेश देते हैं।
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हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं । हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। चाहे वे किसी धर्म या व्यवसाय के हों। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है फिर वह गुरूद्वारा हो, दरगाह या फिर मंदिर, तो उसे हटाना ही पड़ेगा। यह जनता के आवागमन में बाधा नहीं डाल सकती। साथ ही अवैध निर्माण तोड़ने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए। महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं । - जस्टिस बी.आर. गवई
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