• 28 Apr, 2025

जंक फूड लीवर को पहुंचा रहा है क्षति

जंक फूड लीवर को पहुंचा रहा है क्षति

• बड़े और महंगे स्कूलों के बच्चे ज्यादा पीड़ित | • मोटापा और नान-एल्कोहलिक फैटी लीविर रोग |

हैदराबाद । इन दिनों घर से बाहर खान-पान का प्रचलन बढ़ा है। काम और पढ़ाई के लिए ज्यादातर घर से बाहर रहने पर एक बड़ी आबादी को रोजाना ही अपनी भूख की जरूरतें घर से बाहर ही पूरी करनी होती है ऐसे में रेस्तरां या होटल ही सहज विकल्प होते हैं और यहीं जंक फूड की आदत पड़ जा रही है। रोज बरोज हो रहे सैकड़ों अध्ययन में से एक ताजा अध्ययन में कहा गया है कि जंक फूड बच्चों के लिवर को क्षति पहुंचा रहे हैं। 
    अधिकतर बच्चों को परिस्थितिवश या कि जरूरत के समय घर के भोजन की जगह जंक फूड ही उपलब्ध होने पर इसकी एक तरह से लत पड़ जाती है। ऐसे में बच्चों को बहुत पसंद आने वाला जंक फूड उनके लिवर को नुकसान पहुंचा रहा है।  हैदराबाद में हुए एक ताजा अध्ययन में यह बात सामने आई है कि यहां के महंगे स्कूलों पढ़ने वाले बच्चों में इनकी वजह से मोटापा और नान एल्कोहलिक फैटी लिवर रोग ( एनएफएलडी) सरकारी स्कूलों के बच्चों के मुकाबले कहीं ज्यादा मिल रहा है।  सरकारी स्कूलों के ज्यादातर बच्चों को भूख के समय घर का टिफिन उपलब्ध होता है वहीं धनाड्यों के बच्चे बाहर रेस्तरां का खाना ज्यादा पसंद करते हैं जो जंक फूड ही होता है। 
  करीब 1200 बच्चों पर किये गए नए अध्ययन से पता चला है कि लगभग 50 से 60 फीसदी बच्चों में यह रोग घर कर गया है। इनमें से कुछ बच्चे तो अभी 8 साल के हैं। इस रोग में लिवर में अधिक वसा जमा होने लगती है जो धीरे धीरे नान एल्कोहलिक फैटी लिवर रोग ( एनएफएलडी) में बदलने लगती है। ऐसी अवस्था में लिवर में सूजन आ सकती है।  अधिकतर बच्चों में इसके लक्षण नजर नहीं आते , उन्हें पीलिया तक नहीं होता केवल अचानक ही बढ़ते वजन से इन्हें पहचाना जा सकता है। 
    इस रोग की पहचान के लिए लिवर फंक्शन टेस्ट भी करवाना होता है तो कुछ मामलों में लिवर फंक्शन टेस्ट भी करवाने बच्चों से कहा जा रहा है।  

 

  • ज्यादा खाना-पीना सेहत के लिए खतरनाक –

हाल के कुछ नए शोध के नतीजे बताते हैं कि सोडा,चाकलेट, नूडल्स, बिस्कुट जैसे प्रोसेस्ड (प्रसंस्कृत) खाद्य पदार्थ पीड़ित बच्चे सबसे अधिक खा रहे हैं। वहीं पीजा, बर्गर अत्यधिक नमक, चीनी फैट्स से बने पदार्थों को भी इस सूची में रखा जाता है।  चिकित्सकों के अनुसार मोटापा सीधे तौर पर नान एल्कोहलिक फैटी लिवर रोग ( एनएफएलडी)  से जुड़ा हुआ है।  इसके शिकार बच्चों में सबसे पहले मोटापा आता हैं खासकर अति सम्पन्न घरों के बच्चों में यह बहुतायत में देखा गया है।  सरकारी स्कूल के बच्चों में यह तुलनात्मक रूप से कम है।

  • बच्चों के अकादमिक प्रदर्शन पर असर

लिवर में सूजन से शारीरिक गतिविधियों में शामिल होने में बच्चों की रुचि घट जाती है और धीरे-धीरे अकादमिक प्रदर्शन भी गिरने लगता है। उम्र बढ़ने के साथ ही इन बच्चों की पीढ़ी भविष्य में सिरोसिस या लिवर कैंसर जैसी बीमारियों की गिरफ्त में आ सकती है। यह अमेरिका और यूरोप के स्कूली बच्चों में बहुतायत में मिलता है। लेकिन पश्चिमी जीवनशैली की नकल करने से अब यह भारतीय बच्चों में भी मिलने लगा है।