अब महाराष्ट्र-झारखंड में चुनावी सरगर्मियां तेज..
■ भाजपा ने दोनों राज्यों में लगाई सौगातों -वादों की झड़ी ■ विपक्षी खेमा भी सक्रिय हुआ ■ इन दोनों राज्यों में चुनाव नवंबर में होने की चर्चा
शराब घोटालाः- बघेल सरकार ने कहा , ईडी मुख्यमंत्री को फंसाने की कोशिश में... सरकार ने कहा कि ईडी की धमकियों की वजह से अफसर विभाग में काम करने तैयार नहीं अधिकारियों को धमकी, परिजनों को शारीरिक उत्पीड़न का आरोप लगाया ईडी पर पीठ ने राज्य की याचिका पर ईडी को जवाब देने का निर्देश दिया सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह के बर्ताव से जायज वजह भी संदिग्ध हो जाती है
रायपुर। उच्चतम न्यायालय ने 16 मई मंगलवार को जांच एजेंसी ईडी से डर का माहोल न पैदा करने को कहा है। यह तब हुआ जब छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रवर्तन निदेशालय पर बुरा बर्ताव करने और राज्य में कथित तौर पर 2000 करोड़ रुपये के शराब घोटाले से जुड़े धन शोधन के मामले में मुख्यमंत्री बघेल को फंसाने की कोशिश करने का आरोप लगाया। राज्य सरकार ने न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति ए अमानुल्ला की पीठ के समक्ष आरोप लगाया कि राज्य के आबकारी विभाग के कई अधिकारियों ने शिकायत की है कि ईडी उन्हें तथा उनके परिवार के सदस्यों को गिरफ्तार करने की धमकी दे रही है और मुख्यमंत्री को फंसाने की कोशिश की रही है। राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि अधिकारियों ने राज्य सरकार से कहा है कि वे विभाग में काम नहीं करेंगे। छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पीठ से कहा कि – ईडी बुरा बर्ताव कर रही है वे आबकारी अधिकारियों को धमकियां दे रहे हैं यह हैरान करने वाली स्थिति है। अब चुनाव आ रहे हैं इसलिए यह सब हो रहा है।ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सोलिसिटर जनरल एस वी राजू ने उक्त आरोपों का विरोध किया औऱ कहा कि जांच एजेंसी राज्य में एक घोटाले की जांच कर रही है । इस पर पीठ ने कहा कि जब आप इस तरीके से बर्ताव करते हैं तो जायज वजह भी संदिग्ध हो जाती है। डर का माहौल पैदा हो जाता है।
मनी लांड्रिंग संबंधी प्रावधानों को सरकार की चुनौती | एक अर्जी दायर कर 52 अफसरों ने लिखित में शिकायत की | राज्य ने कहा कानून के दायरे से बाहर जा रही ईडी |
छत्तीसगढ़ सरकार ने मनीलांड्रिंग धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के कुछ प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने के लिए उच्चतम न्यायालय का रुख किया था और आरोप लगाया था कि केन्द्रीय जांच एजेंसियों का इस्तेमाल गैर भाजपा सरकार को डराने, परेशान करने तथा सामान्य कामकाज को बाधित करने के लिए किया जा रहा है। इसके साथ ही छत्तीसगढ़, धन शोधन निवारण अधिनियम के प्रावधानों को चुनौती देने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। सीएम भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत अधिनियम के प्रावधानों को चुनौती देते हुए मूल वाद दायर किया। यह अनुच्छेद किसी राज्य को केन्द्र या किसी अन्य राज्य के साथ विवाद की स्थिति में सीधे उच्चतम न्यायालय का रुख करने की अनुमति देता है। | सुप्रीम कोर्ट ने 16 मई मंगलवार को छत्तीसगढ़ के दो लोगों की याचिका पर सुनवाई की जिनमें से एक को ईडी ने इस मामले के संबंध में गिरफ्तार किया है। याचिका में धन शोधन रोधी एजेंसी द्वारा शुरू की गई कार्रवाई को चुनौती दी गई है। राज्य ने इस मामले में पक्षकार बनाये जाने का अनुरोध करते हुए एक अर्जी दायर करते हुए दावा किया गया है कि आबकारी विभाग के 52 अधिकारियों ने लिखित में शिकायत देते हुए जांच के दौरान ईडी के अधिकारियों द्वारा मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किए जाने का आरोप लगाया है। अपनी अर्जी में छत्तीसगढ़ ने दावा किया है कि कई अधिकारियों ने गंभीर आरोप लगाये हैं कि न केवल उन्हें धमकाया बल्कि उनके परिवार के सदस्यों का शारीरिक उत्पीड़न भी किया गया है और उन्हें कोरे कागज और पहले से टाइप्ड दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर करने की धमकी भी दी गई है। याचिका में कहा गया है कि प्रवर्तन निदेशालय ईडी के अधिकारी राज्य के अफसरों को धमकी दे रहे हैं कि यदि वे मुख्यमंत्री या राज्यशासन के अन्य वरिष्ठ अफसरों को फंसाने के लिए उनके मुताबिक बयान नहीं देते और हस्ताक्षर नहीं करते तो वे उन्हें गिरफ्तार कर लेंगे और झूठे मामलों में फंसा देंगे। इस पर पीठ ने ईडी को राज्य की याचिका पर जवाब देने के निर्देश दिये हैं। | छत्तीसगढ़ सरकार ने अपनी अर्जी में दावा किया है कि लिखित में शिकायत करने वाले अधिकारियों को अब दंडात्मक कार्रवाई करने तथा राज्य पुलिस के समक्ष दिये बयान वापस लेने की धमकी दी जा रही है। जो अपने आप में अपराध की जांच में हस्तक्षेप है। सरकार ने कहा कि जिस मुख्य वजह से वह शीर्ष न्यायालय का रुख करने के लिए बाध्य हुई है वह यह है कि ईडी की कार्रवाई न केवल दबाव डालने वाली, गैरकानूनी, पक्षपात पूर्ण, मनमानी, राजनीतिक रूप से प्ररित है बल्कि पूरी तरह कानून के अधिकार क्षेत्र से बाहर की है। उसने दावा किया कि प्रतिवादी जांच एजेंसी अपने राजनीतिक आकाओं के इशारे पर काम कर रही है और जांच पूरी तरह पक्षपात पूर्ण और गैर स्वतंत्र है और छत्तीसगढ़ में अस्थिरता लाने के लिए सभी कदम पूर्व नियोजित है। |
■ भाजपा ने दोनों राज्यों में लगाई सौगातों -वादों की झड़ी ■ विपक्षी खेमा भी सक्रिय हुआ ■ इन दोनों राज्यों में चुनाव नवंबर में होने की चर्चा
हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं । हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। चाहे वे किसी धर्म या व्यवसाय के हों। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है फिर वह गुरूद्वारा हो, दरगाह या फिर मंदिर, तो उसे हटाना ही पड़ेगा। यह जनता के आवागमन में बाधा नहीं डाल सकती। साथ ही अवैध निर्माण तोड़ने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए। महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं । - जस्टिस बी.आर. गवई
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