• 28 Apr, 2025

अफसरों पर नकेल, रिटायरमेंट के बाद बोलने पर पाबंदी..

अफसरों पर नकेल, रिटायरमेंट के बाद बोलने पर पाबंदी..

• केन्द्र सरकार की अधिसूचना, विभाग को लेकर कुछ लिखा तो पेंशन बंद, उस समय 15 दिन का नोटिस देना होगा..

नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने ऑल इंडिया सर्विसेज के तहत आने वाले आईएएस, आईपीएस, आईएफएस और अन्य सेवाओं के अफसरों पर पहले भी कई तरह की पाबंदियां लगा चुकी है और अभी  सरकार ने रिटायर्ड अफसरों के लिए उनकी अभिव्यक्ति को लेकर कई तरह के नियम बना दिये हैं। 

नौबत ये है कि यदि किसी सेवानिवृत्त अफसर कर्मी ने अपने विभाग को लेकर कुछ लिखा तो उनकी पेंशन बंद हो सकती है या उसे कम किया जा सकता है। कहा गया है कि इस तरह के मामलों को गंभीर अपराध या गंभीर कदाचार माना जाएगा। केन्द्र सरकार उनकी किसी भी बात को उक्त अपराध की श्रेणी में शामिल कर सकती है। यहां जानना जरूरी है कि यदि ऐसी स्थिति आ भी जाय तो कौन सा अपराध सामान्य होगा और कौन सा गंभीर इसकी कोई पूर्व व्याख्या नहीं की गई है। 

यदि सरकार के लिए ऐसा करना आवश्यक हो भी गया तो उसे पेंशन को रोकने या बंद करने के लिए यूपीएससी की सलाह लेनी होगी। पेंशन को पूरी तरह रोकने यानी बंद करने या आंशिक भाग  रोकने बाबत केन्द्र सरकार का निर्णय अंतिम माना जाएगा। कार्मिक, लोकशिकायत और पेंशन मंत्रालय द्वारा 6 जुलाई को इसकी अधिसूचना जारी की गई  है।

  • तो संगठन हेड से लेनी होगी इजाजत- कुछ नियमों के तहत अखिल भारतीय सेवा का कोई भी ऐसा सदस्य जिसने सुरक्षा एजेंसियों या इंटेलिजेंस महकमें में काम किया हो तो वह मौजूदा संगठन प्रमुख की इजाजत के बिना कोई भी प्रकाशन नहीं कर सकता।  ऐसा प्रकाशन जिसमें संगठन के कार्यक्षेत्र के बारे में, वहां कार्यरत लोगों की सूचना, भूमिका और किस क्षेत्र में विशेषज्ञता है आदि बातें जो उसने अपने कार्यकाल के दौरान देखी हैं, उसकी जानकारी हासिल की है, उन्हें वह प्रकाशित नहीं करेगा। इसके साथ ही अपने काम के दौरान अपने जिस स्किल का परिचय दिया उसे भी सार्वजनिक तौर पर जाहिर नहीं करेगा। इसके लिए उसे संगठन हेड की इजाजत लेनी होगी।  
  • कहीं यह मौलिक अधिकारों का हनन तो नहीं - कानून के जानकारों का कहना है कि संविधान के अनुच्छेद 19-1 में यह प्रावधान है कि कोई भी नागरिक सरकार की आलोचना कर सकता है।  वह इसकी अभिव्यक्ति किसी भी माध्यम से करने के लिए स्वतंत्र है।  ये सब बातें मौलिक अधिकारों की श्रेणी में आती हैं। 
  • उस समय 15 दिन का नोटिस देना होगा- नियम 3 (3) में उल्लेख है कि जहां किसी पेंशनभोगी को न्यायालय द्वारा किसी गंभीर अपराध का दोषी ठहराया जाता है, वहां उपनियम (2) के अधीन ऐसी दोष सिध्दि से संबंधित न्यायालय के निर्णय के आलोक में कार्रवाई की जाएगी। नियम 4 के उपनियम 3 के तहत यदि केन्द्र सरकार यह समझती है कि पेंशनभोगी पहली नजर में ही गंभीर कदाचार का दोषी है तो वह उपनियम 2 के तहत आदेश पारित कर सकती है। यदि ऐसा करना जरूरी हुआ तो इससे पहले पेंशनभोगी को एक नोटिस दिया जाएगा। इसमें प्रस्तावित कार्रवाई और उसके आधार का ब्योरा होगा।  यह नोटिस तब दिया जाएगा जब सरकार यह समझेगी कि पेंशनभोगी का काम नियम तीन के तहत नहीं है। यानी केन्द्र सरकार अपनी ईच्छा से यह मान सकती है कि पेंशनभोगी का अपराध संगीन है या गंभीर कदाचार है। अब 15 दिन के नोटिस में उसे बताया जाएगा कि सरकार उसकी पेंशन रोकना या बंद करना चाहती है। यानी नोटिस का जवाब मिलने पर केन्द्र सरकार अपना अंतिम आदेश निकालेगी। नियम 5 में लिखा है कि पेंशन को पूरी तरह रोकने या आंशिक बंद करने बाबत केन्द्र सरकार का निर्णय अंतिम माना जाएगा।