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रायपुर (निप) । सरकारें आती हैं और अपने नंबर बढ़ाने के लिए ताबड़तोड़ घोषणाएं और फैसले करती हैं । इसी तरह उच्च शिक्षा विभाग के तहत नए नए कॉलेज को खोल दिये गए और खोले जा रहे हैं लेकिन आलम यह है कि जरुरत जितने तो दूर उससे से आधे से भी कम पढ़ाने वाले प्रोफेसर उपलब्ध हैं। स्थिति इतनी विकट है कि 226 स्नातक अंडर ग्रेजुएट यूजी कॉलेजों में सिर्फ 23 रेगुलर प्रिंसिपल हैं। शेष सभी में प्रभारी प्रिंसिपल बिठाए गए हैं।
कई असिस्टेंट प्रोफेसरों को तो दो -तीन कॉलेजों का प्रभारी बनाया गया है। यूजी कॉलेज के प्रिंसिपल को पीजी और पीजी के प्रिंसिपल को यूजी की जिम्मेदारी दे दी गई है। जाहिर है इससे कॉलेज में बच्चों की पढ़ाई पर तो फर्क पड़ ही रहा है इसके साथ ही प्रशासनिक व्यवस्था भी ध्वस्त हो रही है।
शिक्षा के लिए सरकारों की चिंता तो वाजिब है पर अंधाधुंध कॉलेज खोलने के बाद यह भी तो सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इनमे पढ़ाने के लिए सहायक प्राध्यापक और प्राध्यापकों की नियुक्ति हो पा रही है अथवा नहीं। इधर प्रिंसिपल, असिस्टेंट प्रोफेसर और प्रोफेसरों के खाली पड़े पद भरे नहीं जा पा रहे हैं। कॉलेजों में 40 फीसदी पद खाली पड़े हैं। हो ये रहा है कि इनके स्थान पर अतिथि शिक्षकों की व्यवस्था करनी पड़ रही है।
प्रदेशभर में 16 सरकारी विश्वविद्यालय है और इनसे संबंध्द 285 कॉलेज हैं। इनके अलावा 12 अनुदान प्राप्त कॉलेज हैं। इसके साथ ही पीजी यानी स्नातकोत्तर कॉलेजों में प्रिंसिपल के 59 पद स्वीकृत हैं पर इनमें केवल 35 कार्यरत हैं। इसके साथ ही यूजी प्रिंसिपल के 226 पद स्वीकृत हैं जिनमें भी हालत यह है कि 203 तीन पद खाली पड़े हैं।
2020 से 23 तक खुले 33 नए सरकारी व 76 निजी कॉलेज 2020 से 2023 तक छत्तीसगढ़ में कुल 33 नए सरकारी काॉलेजों की शुरुआत हुई है। इस दौरान 76 निजी कॉलेज भी खोले गए। कई जगह तो वर्षों से कॉलेज नहीं थे उन दुर्गम क्षेत्रों में भी कॉलेज शुरु किये गए जो निसंदेह स्वागतेय है पर इन कॉलेजों में पढ़ाने वाले सहायक प्राध्यापकों और प्राध्यापकों की नियुक्तियां नहीं हो पाई हैं। कितने तो ऐसे भी कॉलेज खुल गए जिनका अपना भवन भी नहीं है। जैसे- शासकीय महाविद्यालय जटगा, शासकीय महाविद्यालय रामपुर, उमरेली, सकरी, तखतपुर और बेलतरा में तो इन कॉलेजों के अपने भवन तक नहीं हैं।
प्रदेशभर में प्रोफेसरों के कुल 682 पद स्वीकृत हैं। वहीं असिस्टेंट प्रोफेसर के 5315 पद स्वीकृत हैं जिनमें 3146 कार्यरत हैं और 2169 पद खाली पड़े हैं। इसी तरह खेल अधिकारी के स्वीकृत 154 में से 79 में कार्ररत हैं और 75 पद खाली पड़े हैं। इसी तरह लाइब्रेरियन के 162 स्वीकृत पदों में से 82 पर ग्रंथपाल कार्यरत हैं बाकी के 80 पद खाली ही पड़े हैं। इनसे सहज ही अनुमान लग सकता है कि सरकारें चाहे जो भी हों वे शिक्षा जैसे अति जरूरी विषय को लेकर कितनी गंभीर रहे हैं।
इतना सब होने पर भी गंभीरता का स्तर यहीं से दिख जाता है जब सहायक प्राध्यापकों को कार्यसहयोग के नाम पर मनचाही जगहों पर तबादला दे दिया जाता है। प्रदेश में एक दो नहीं बल्कि 84 प्राध्यापक और सहायक प्राध्यापक कार्यसहयोग के नाम पर मूल पदस्थापना की जगह से हटकर दूसरे कॉलेजों में काम कर रहे हैं जबकि उनका वेतन मूल कॉलेज से निकल रहा है। जिन कॉलेजों में नियमित शिक्षक नहीं हैं उन्हीं कॉलेजों का प्रभार दूसरे कॉलेज के प्राचार्यों को दिया गया है। जैसे ही पर्यवीक्षा अवधि खत्म हो रही है वहां का प्रभार वहीं के सहायक प्राध्यापको को दिया जा रहा है। इसकी प्रक्रिया चल रही है। - शारदा वर्मा , आयुक्त उच्च शिक्षा विभाग |
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