अब महाराष्ट्र-झारखंड में चुनावी सरगर्मियां तेज..
■ भाजपा ने दोनों राज्यों में लगाई सौगातों -वादों की झड़ी ■ विपक्षी खेमा भी सक्रिय हुआ ■ इन दोनों राज्यों में चुनाव नवंबर में होने की चर्चा
● छत्तीसगढ़ जिला खनिज संस्थान न्यास नियम के क्रियान्वयन के संबंध में निर्देश जारी ● डीएमएफ शासी परिषद की बिना प्रशासकीय स्वीकृति के कोई नया काम शुरू नहीं होगा
रायपुर। प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने छत्तीसगढ़ जिला खनिज संस्थान न्यास (डीएमएफ) राशि के उपयोग और स्वीकृत कार्यों को लेकर बड़ा निर्णय लिया है। डीएमएफ की शासी परिषद द्वारा ऐसे काम जिन्हें प्रशासकीय मंजूरी तो दी जा चुकी है लेकिन काम शुरु नहीं हुआ है ऐसे सभी कामों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है।
बताते चलें कि डीएमएफ के कामों में कांग्रेस शासनकाल में भारी भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर भाजपा आक्रामक रही है। भाजपा के घोषणा पत्र में भी इन कामों में हो रहे कथित अनियमितताओं और घोटालों की जांच का वादा किया गया था। उल्लेखनीय है कि ईडी जैसी केन्द्रीय एजेंसियां पहले ही डीएमएफ के पैसों से हुए कामों में गड़बड़ियों की जांच शुरू कर चुकी हैं।
खनिज साधन विभाग ने छत्तीसगढ़ जिला खनिज संस्थान न्यास नियम 15 के क्रियान्वयन के संबंध में नए दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। न्यास के संशोधित नियम के अंतर्गत कलेक्टर सह-अध्यक्ष जिला खनिज संस्थान न्यास , शासी परिषद द्वारा ऐसे कार्य जिन्हे प्रशासकीय स्वीकृति मिल चुकी है लेकिन उस पर काम शुरु नहीं हुआ है उन सभी पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी जाए। शासी परिषद द्वारा ऐसे तमाम कार्यों की फिर से समीक्षा की जाए। इसके बाद शसी परिषद के निर्णय या अनुमोदन अनुसार ही इस पर काम शुरू किया जाए। इससे संबंधित सभी अग्रिम आवश्यक कार्रवाई की जाए।
छत्तीसगढ़ जिला खनिज संस्थान न्यास (डीएमएफ) के अंतर्गत राशि के दुरुपयोग और स्वीकृत कार्यों में गड़बड़ी के मामले में प्रवर्तन निदेशालय ईडी की जांच चल रही है। ईडी ने संबंधित जिला कलेक्टरों से छत्तीसगढ़ जिला खनिज संस्थान न्यास (डीएमएफ)अंतर्गत चल रहे कामों की जानकारी मांगी है। इस मामले में कुछ एक जिला कलेक्टरों से पूछताछ भी की जा रही है। डीएमएफ राशि के इस्तेमाल में लगातार गड़बड़ी की शिकायतें मिलती रही हैं।
छत्तीसगढ़ जिला खनिज संस्थान न्यास (डीएमएफ) खनन संबंधी कार्यों से प्रभावित क्षेत्र के लोगों के लाभ के लिए काम करने छत्तीसगढ़ के प्रत्येक जिले में स्थापित एक गैर-लाभ वाला ट्रस्ट है। इस न्यास का वित्त पोषण खनन संस्थानों की भागीदारी से किया जाता है। इसको कानूनी वैद्यता माइंस एंड मिनरल (डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन) अधिनियम 2015 के सेक्शन 9 बी से मिलता है। 12 जनवरी 2015 से यह नियम लागू किया गया है। राज्य शासन द्वारा राज्य के खनन प्रभावित सभी राजस्व जिलों में जिला खनन न्यास की स्थापना एक गैर लाभ -सतत संस्था के रूप में स्थापित किया गया है। इसका उद्देश्य खनन संबंधी कार्यों से प्रभावित क्षेत्र के लोगों के हितों व लाभ के लिए राज्य शासन द्वारा निर्धारित कार्यों का संचालन करना है।
भ्रष्टाचार खत्म करने हर 2 साल में सोशल ऑडिट भाजपा ने अपने चुनावी संकल्प पत्र -मोदी की गारंटी में वादा किया है कि प्रदेश में छत्तीसगढ़ जिला खनिज संस्थान न्यास (डीएमएफ) के तहत प्रति दो वर्ष में अनिवार्य सामाजिक अंकेक्षण ( सोशल ऑडिट) और वार्षिक जिला खनिज न्यास रिपोर्ट कार्ड के प्रकाशन के माध्यम से भ्रष्टाचार को समाप्त किया जाएगा। | दंतेश्वरी मंदिर प्रोजेक्ट है विवादों में दंतेवाड़ा में जिला खनिज संस्थान न्यास (डीएमएफ) मद के कथित दुरुपयोग का मामला हाल ही में प्रकाश में आया है। सबसे ज्यादा विवादों में दंतेश्वरी माई का मंदिर प्रोजेक्ट को बताया गया है। रिवर फ्रंट और टेम्पल कॉरिडोर के निर्माण में (डीएमएफ) फंड से करीब 45 करोड़ रुपये खर्च किये जा रहे हैं। जानकारों का कहना है कि अनुमान के अनुसार ये काम सिर्फ 15 करोड़ रुपये में ही पूरा हो सकते थे। एक करोड़ रुपये में तैयार हो जाने वाले ज्योतिकलश भवन की लागत बढ़ते बढ़ते 8 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। मंदिर प्रोजेक्ट में अनियमितता की शिकायत हाल ही में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह से भी की गई थी। छत्तीसगढ़ (डीएमएफ) मद से विभिन्न जनपदों की तार फेंसिंग , पौधरोपण और बोरखनन के लिए करीब 15 करोड़ रुपये खर्च दिये गए। इसके साथ ही आत्मानंद स्कूलों की मरम्मत के लिए 31 करोड़ रुपये का खर्च बताया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक इसी तरह की शिकायतें कोरबा और सुकमा जिले में भी मिल रही हैं। |
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हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं । हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। चाहे वे किसी धर्म या व्यवसाय के हों। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है फिर वह गुरूद्वारा हो, दरगाह या फिर मंदिर, तो उसे हटाना ही पड़ेगा। यह जनता के आवागमन में बाधा नहीं डाल सकती। साथ ही अवैध निर्माण तोड़ने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए। महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं । - जस्टिस बी.आर. गवई
हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं । हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। चाहे वे किसी धर्म या व्यवसाय के हों। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है फिर वह गुरूद्वारा हो, दरगाह या फिर मंदिर, तो उसे हटाना ही पड़ेगा। यह जनता के आवागमन में बाधा नहीं डाल सकती। साथ ही अवैध निर्माण तोड़ने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए। महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं । - जस्टिस बी.आर. गवई
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