• 28 Apr, 2025

अब चुनावी बॉन्ड का विकल्प निकालने की जोड़तोड़

अब चुनावी बॉन्ड का विकल्प निकालने की जोड़तोड़

● सुप्रीम कोर्ट से असंवैधानिक करार देने के बाद नई स्कीम पर मंथन शुरु

नई दिल्ली । चुनावी चंदे को वैध बनाने की जुगत में निकाले गए इलेक्टोरल  बॉन्ड को सुप्रीम कोर्ट ने ही असंवैधानिक घोषित कर दिया तो सियासी हल्कों में चुनाव के लिए बॉन्ड का विकल्प तलाशने की जोड़तोड़ शुरु हो गई है। भीतरखाने के सूत्रों की मानें तो इलेक्टोरल बॉन्ड का विकल्प लाने की तैयारी की जा रही है। वित्त मंत्रालय में बकायदा इसके नवीनतम स्वरूप पर दो बैठकें भी हो चुकी हैं। इनमें यही चर्चा हुई कि अब कौन सा तरीका हो जिससे बॉन्ड का काम सध सके यानी कि जो संविधान के मानकों पर खरा उतरे और सुप्रीम कोर्ट की समीक्षा की कसौटी पर बाधा पार कर सके।

  •   नया मॉडल ऐसा होगा जो उच्चतम न्यायालय के फैसले के मानक पर खरा उतरे-

विदित है कि सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड की व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा था यदि कोई व्यक्ति 'ए' यह बॉन्ड बैंक से खरीदता है तो इसका पूरा विवरण रिकॉर्ड में दर्ज हो जाता है। लेकिन यदि 'बी'यह इलेक्टोरल बॉन्ड सर्टिफिकेट  'ए'को कुछ अतिरिक्त नगद राशि देकर हासिल कर ले और किसी राजनीतिक पार्टी सी को दे तो बी का नाम कहीं से भी रिकॉर्ड में नहीं आता है। ऐसे अंदेशों के लिए भी नए इलेक्टोरल बॉन्ड में व्यवस्था करने की तैयारी है।

  • पीएम ने कहा - व्यवस्था में कुछ खामी हो सकती है पैसा आने जाने का पता तो चल रहा था-

सरकार के भीतर मंथन इस बात को देखते हुए महत्वपूर्ण है कि पीएम मोदी ने हाल ही में एक साक्षात्कार में कहा था कि चुनावी बॉन्ड की व्यवस्था में खामियां हो सकती हैं, लेकिन पैसा आने जाने के स्रोत का पता तो चल रहा था। 2014 से पहले पैसा तो खर्च हो रहा था पर किसे पता होता था कि वह कहां से आया किसके पास गया।

  • पुरानी व्यवस्था कैसे जारी रह सकती है-

वित्त मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने पत्रकार से कहा कि चुनावी फंडिंग के नये तरीकों पर मंथन चल रहा है, पहले बोरों में भरकर नोट इधर से उधर होते  थे, इस व्यवस्था को कैसे जारी रहने दिया जा सकता है?

  • निर्वाचन आयोग से परामर्श उच्चाधिकार पैनल बनेगा-

कहा जा रहा है कि इलेक्टोरल बॉन्ड के नए अवतार वाली स्कीम को कानूनी कसौटी पर खरा उतरने के लिए विधि आयोग और कानूनी विशेषज्ञों की समिति बनाई जाएगी। चुनाव आयोग से भी व्यापक विचार विमर्श किया जाएगा। इस मुद्दे पर एक देश एक चुनाव पर गठित समिति की तरह उच्चाधिकार पैनल बनाया जा सकता है जो सभी सम्बध्द संस्थाओं के साथ तालमेल से अपनी सिफारिशें देगा।