अब महाराष्ट्र-झारखंड में चुनावी सरगर्मियां तेज..
■ भाजपा ने दोनों राज्यों में लगाई सौगातों -वादों की झड़ी ■ विपक्षी खेमा भी सक्रिय हुआ ■ इन दोनों राज्यों में चुनाव नवंबर में होने की चर्चा
● कुल 71 हैं मंत्रिमंडल में, 37 नए, टीडीपी और जदयू के 4
● 30 कैबिनेट मंत्रियों में 21 फिर से बनाए गए , 5 स्वतंत्र प्रभार, 36 राज्य मंत्री
● शीर्ष 7 मंत्रियों में राजनाथ, शाह, गडकरी, शिवराज, निर्मला सीतारमण और जयशंकर शामिल
● 30 कैबिनेट मंत्रियों में टीडीपी, जदयू, लोजपा, जेडीएस और हम पार्टी का एक-एक शामिल
● 37 पुराने चेहरे नहीं - अनुराग ठाकुर, रुपाला, नारायण राणे जैसे 6 नेता जीतकर भी आउट
● सरकार में 7 पूर्व सीएम, 7 महिलाएं, 27 ओबीसी, 10 एससी, 5 एसटी, मुस्लिम नहीं, भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर के बेटे भी मंत्री
● 22 राज्यों से 71 मंत्रीः - यूपी से 10 मंत्री यहां से पिछली बार 14 थे। बिहार से 8 , महाराष्ट्र और गुजरात से 6-6 मंत्री शामिल
● एनडीए में 10 फीसदी हिस्सेदारी वाली टीडीपी- जदयू को सरकार में 5 फीसदी हिस्सा
● सबसे बड़ा सवाल -भाजपा अध्यक्ष और लोकसभा अध्यक्ष कौन बनेगा।
नई दिल्ली । जब पीएम मोदी ने लगातार तीसरी बार सरकार बनाने पर पहले शपथ ली -मैं नरेन्द्र दामोदर दास मोदी ईश्वर की शपथ लेता हूं कि...और वे तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बन गए। राष्ट्रपति भवन में हुए गरिमापूर्ण शपथ समारोह में इस बार कुल 72 सांसदों ने शपथ ली जाहिर है यह अब तक का सबसे बड़े आकार वाला जम्बो मंत्रिमंडल बना है। इससे पहले मोदी की सरकार में कभी इतने मंत्रियों ने एक साथ शपथ नहीं ली। 2019 में जब दूसरी बार एनडीए की सरकार बनी थी तब पीएम मोदी के अलावा 57 ने शपथ ली थी बाद में यह संख्या बढ़कर 74 तक पहुंच गई थी। इस बार नए मंत्रिमंडल में पीएम के अलावा 30 बिनेट मंत्री, पांच स्वतंत्र प्रभार वाले और 36 राज्य मंत्री शामिल किए गए हैं। 240 सीटों वाली भाजपा में पीएम समेत 61, 16 सीटों वाली टीडीपी से 2 और 12 सीटों वाली जदयू से 2 सांसदों ने मंत्रीपद की शपथ ली। कैबिनेट में 37 नए चेहरों को जगह दी गई है। जिसमें 34 रिपीट किए गए हैं। 2019 में 21 नए चेहरों ने शपथ ली थी और 36 को दोबारा मौका मिला था। इनमें से भी 43 मंत्री तीन या फिर चार बार के सांसद है
मंत्रिमंडल में सदस्यों की औसत आयु 59 वर्ष है। अन्नपूर्णा देवी और किशन रेड्डी को प्रमोट कर कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। मोदी कैबिनेट में 53 सीटों वाले 15 सहयोगी दलों के 11 सांसदों को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई है। पिछली कैबिनेट में सहयोगी दलों के 3 और 2014 में 5 मंत्री थे। नियम के मुताबिक पीएम मोदी सिर्फ 81 मंत्री ही बना सकते हैं। इस तरह अभी 9 और मंत्री बनाये जाने की गुंजाइश है।
यूपी के परिणाम का असर मंत्रिमंडल में भी दिखा है। यहां से राजनाथ सिंह और हरदीप पुरी कुल दो ही कैबिनेट मंत्री हैं। एक राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार रालोद से और 7 राज्यमंत्री हैं। पिछली बार उत्तरप्रदेश से 4 कैबिनेट और 1 0 राज्यमंत्री थे। यूपी में (10) के बाद बिहार से सबसे ज्यादा (8) मंत्रीं हैं। इनमें 4 कैबिनेट और 4 राज्यमंत्री हैं। पिछली बार तीन केन्द्रीय और 2 राज्य मंत्री थे। महाराष्ट्र में बड़े झटके के बावजूद भी 2 कैबिनेट, 1 स्वतंत्र प्रभार और 3 राज्यमंत्री हैं। महाराष्ट्र में इसी साल विधानसभा चुनाव भी होने हैं। सबसे ज्यादा 5 कैबिनेट मंत्री गुजरात से हैं। अमित शाह, मनसुख मांडविया और सी आर पाटिल लोकसभा जीते हैं। जेपी नड्डा और एस जयशंकर गुजरात से राज्यसभा सदस्य हैं। इसके अतिरिक्त एक राज्यमंत्री भी गुजरात से ही हैं। पिछली बार 4 कैबिनेट और 3 राज्यमंत्री थे।
अब भाजपा अध्यक्ष और लोकसभा अध्यक्ष पद को लेकर कयास का दौर शुरू हो गया है। वर्तमान अध्यक्ष जे पी नड्डा का कार्यकाल 30 जून को खत्म हो रहा है। नए अध्यक्ष के लिए महासचिव सुनील बंसल और विनोद तावड़े के नामों की चर्चा भी चल रही है। बंसल राजस्थान से हैं इस बार तो भाजपा को ओडिशा राज्य में बड़ी कामयाबी मिली है। तावड़े महाराष्ट्र से हैं और महाराष्ट्र में शिंदे को भाजपा के पाले में लाने में तावड़े की बड़ी खास भूमिका रही है। वहीं स्पीकर ले लिए कहा जा रहा है कि ओम बिड़ला को फिर मौका मिल सकता है या फिर गुजरात के वरिष्ठ सांसद या सहयोगी दलों से कोई दावेदार हो सकता है।
■ भाजपा ने दोनों राज्यों में लगाई सौगातों -वादों की झड़ी ■ विपक्षी खेमा भी सक्रिय हुआ ■ इन दोनों राज्यों में चुनाव नवंबर में होने की चर्चा
हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं । हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। चाहे वे किसी धर्म या व्यवसाय के हों। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है फिर वह गुरूद्वारा हो, दरगाह या फिर मंदिर, तो उसे हटाना ही पड़ेगा। यह जनता के आवागमन में बाधा नहीं डाल सकती। साथ ही अवैध निर्माण तोड़ने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए। महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं । - जस्टिस बी.आर. गवई
हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं । हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। चाहे वे किसी धर्म या व्यवसाय के हों। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है फिर वह गुरूद्वारा हो, दरगाह या फिर मंदिर, तो उसे हटाना ही पड़ेगा। यह जनता के आवागमन में बाधा नहीं डाल सकती। साथ ही अवैध निर्माण तोड़ने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए। महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं । - जस्टिस बी.आर. गवई
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