अब महाराष्ट्र-झारखंड में चुनावी सरगर्मियां तेज..
■ भाजपा ने दोनों राज्यों में लगाई सौगातों -वादों की झड़ी ■ विपक्षी खेमा भी सक्रिय हुआ ■ इन दोनों राज्यों में चुनाव नवंबर में होने की चर्चा
● ओपीएस देने का ऐलान करने वाले 5 राज्यों में से 4 में बस कागजी वादा
नई दिल्ली । केन्द्र ने साफ कर दिया है कि ओल्ड पेंशन स्कीम( ओपीएस) फिर से नहीं लाएगी। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने हाल ही में संसद में कहा कि न्यू पेंशन स्कीम(एनपीएस) के तहत कुछ मुद्दों को सुलझाने के लिए वित्त सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई है। एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि कमेटी एनपीएस के ही फ्रेमवर्क के तहत सुधार के उपायों पर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। ओल्ड पेंशन के प्रावधानों पर कोई विचार नहीं होगा। उधर आरबीआई ने अपने एक रिपोर्ट में राज्यों को ये चेताया है 50 लाख कर्मियों का एनपीएस में जमा 2.5 लाख करोड़ रुपये मांग कर ओपीएस देने की योजना वित्तीय अनुशासन नहीं है।
5 राज्यों में से 4 में बस कागजी वादा...
नई दिल्ली। ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर 2004 के बाद नौकरी में आए लगभग 50 लाख कर्मचारी और अधिकारी आवाज उठा रहे हैं। पिछले पांच साल में सत्ता में आई पांच राज्यों की गैर भाजपा सरकारों ने ओपीएस लागू करने का ऐलान किया है। ऐसा करने वाले राज्य राजस्थान,हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़ , पंजाब और झारखंड थे।
अब ओपीएस लाने वाले छत्तीसगढ़ और राजस्थान में सरकारें बदल चुकी हैं। कागजों में इन सभी राज्यों में पुरानी पेंशन योजना लागू है। लेकिन एक हिमाचल प्रदेश को छोड़कर कहीं भी सेवानिवृत्त कर्मचारियों को पुरानी पेंशन नहीं मिल रही है। राजस्थान में कुछ को मिली कुछ को नहीं। झारखंड अंशदान लौटाने की शर्त पर ही ओपीएस देने की बात कह रहा है। वहीं पंजाब में अब तक केवल नोटिफिकेशन जारी किया गया है।
राजस्थान-
. 600 से ज्यादा एनपीएस से जुड़े सेवानिवृत्त कर्मचारियों को अंतिम वेतन की 50 प्रतिशत राशि बतौर पेंशन मिल रही है। लेकिन सेवा काल में पढ़ाई, शादी और घर बनाने एनपीएस का बड़ा हिस्सा निकाल चुके अब सरकार का कहना है कि ये लौटाने पर ही ओपीएस देना संभव हो सकेगा। स्थिति -कागजों पर लागू।
हिमाचल प्रदेश -
सरकार ने दिसंबर 2022 में वादा किया था कि रिटायर्ड 550 कर्मचारियों को अंतिम वेतन की 50 फीसदी राशि बतौर पेंशन दी जा रही है। कुल 1000 करोड़ का बजटीय प्रावधान रखा गया है। उससे ही पेंशन दी जा रही है। स्थिति -लागू।
छत्तीसगढ़-
2018 में पुरानी पेंशन योजना लागू लेकिन किसी को पुरानी पेंशन नहीं मिली। सरकार का तर्क था कि - राज्य कर्मियों का 17,240 करोड़ रुपये का अंशदान पीएफआरडीए के माध्यम से एनएसडीएल में जमा है। केन्द्र सरकार लौटाए तो ओपीएस देना संभव होगा। केन्द्र ने इस पर दो टूक कह दिया है कि इसे लौटाने का कोई प्रावधान नहीं है। यानी यहां स्थिति- ये है कि शर्त लगाई गई है पर लागू नहीं हो सकी है स्कीम।
झारखंड-
सरकार ने 2022 के बाद रिटायर्ड एनपीएस से जु्ड़े कर्मियों के सामने शर्त रखी कि एनपीएस में 2004 से जमा हिस्सा लौटाएं तभी ओपीएस के तहत पेंशन दी जा सकेगी। स्थिति -अभी लागू नहीं की गई है।
पंजाब-
मार्च 2022 में आम आदमी पार्टी (आप ) की सरकार ओपीएस देने के वादे के साथ सत्ता में आई थी। आने के बाद नोटिफिकेशन जारी किया पर अब तक किसी को ओल्ड पेंशन नहीं, न्यू पेंशन लागू है और एनपीएस से पेंशन दी जा रही है। स्थिति-लागू नहीं।
■ भाजपा ने दोनों राज्यों में लगाई सौगातों -वादों की झड़ी ■ विपक्षी खेमा भी सक्रिय हुआ ■ इन दोनों राज्यों में चुनाव नवंबर में होने की चर्चा
हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं । हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। चाहे वे किसी धर्म या व्यवसाय के हों। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है फिर वह गुरूद्वारा हो, दरगाह या फिर मंदिर, तो उसे हटाना ही पड़ेगा। यह जनता के आवागमन में बाधा नहीं डाल सकती। साथ ही अवैध निर्माण तोड़ने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए। महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं । - जस्टिस बी.आर. गवई
हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं । हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। चाहे वे किसी धर्म या व्यवसाय के हों। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है फिर वह गुरूद्वारा हो, दरगाह या फिर मंदिर, तो उसे हटाना ही पड़ेगा। यह जनता के आवागमन में बाधा नहीं डाल सकती। साथ ही अवैध निर्माण तोड़ने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए। महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं । - जस्टिस बी.आर. गवई
■ हमारे साझा सरोकार "निरंतर पहल" एक गम्भीर विमर्श की राष्ट्रीय मासिक पत्रिका है जो युवा चेतना और लोकजागरण के लिए प्रतिबद्ध है। शिक्षा, स्वास्थ्य, खेती और रोजगार इसके चार प्रमुख विषय हैं। इसके अलावा राजनीति, आर्थिकी, कला साहित्य और खेल - मनोरंजन इस पत्रिका अतिरिक्त आकर्षण हैं। पर्यावरण जैसा नाजुक और वैश्विक सरोकार इसकी प्रमुख प्रथमिकताओं में शामिल है। सुदीर्ध अनुभव वाले संपादकीय सहयोगियों के संपादन में पत्रिका बेहतर प्रतिसाद के साथ उत्तरोत्तर प्रगति के सोपान तय कर रही है। छह महीने की इस शिशु पत्रिका का अत्यंत सुरुचिपूर्ण वेब पोर्टल: "निरंतर पहल डॉट इन "सुधी पाठको को सौपते हुए अत्यंत खुशी हो रही है। संपादक समीर दीवान
Address
Raipur
Phone
+(91) 9893260359