अब महाराष्ट्र-झारखंड में चुनावी सरगर्मियां तेज..
■ भाजपा ने दोनों राज्यों में लगाई सौगातों -वादों की झड़ी ■ विपक्षी खेमा भी सक्रिय हुआ ■ इन दोनों राज्यों में चुनाव नवंबर में होने की चर्चा
मोरेह (मणिपुर) । मणिपुर के जिस फ्री मुवमेंट रिजीम ( एफएमआर) समझौते के तहत भारत- म्यांमार मेंं बिना वीजा के 16 किमी भीतर तक आना-जाना होता था वह सुविधा फरवरी में रद्द की जा चुकी है , इसके बाद भी यहां के मोरेह टाउन में म्यांमारियों का अवैध रूप से बेरोकटोक आना– जाना जारी है।
म्यांमार से यहां आने के लिए दो आधिकारिक गेट हैं जो दूसरी तरफ गृहयुध्द छिड़ने के बाद से ही बंद हैं। घुसपैठ रोकने के लिए असम रायफल्स भी तैनात है फिर भी म्यामारी दूसरे रास्तों से मोरेह में घुस आ रहे हैं। पत्रकारों ने न केवल यहां पहुंच कर उन रास्तों को देखा बल्कि यहां कई म्यांमारी व्यापारियों से बात भी की। उनका कहना था कि एफएमआर क्या है और कब रद्द हुआ उन्हे इसके बारे में कुछ नहीं पता। कहा कि हम सालों से यहां ऐसे ही आ रहे हैं कभी किसी ने हमें रोका या टोका नहीं।
मोरेह यहां का कुकी जनजातीय बहुल क्षेत्र है। स्थानीय लोगों की सुरक्षा का जिम्मा इन्हीं के कथित हथियारबंद समूह संभालते हैं। इसलिए हालात तनाव पूर्व रहते हैं। यहां की यात्रा कर लौटे पत्रकारों ने बताया कि यहां शतांग और क्वाथ नाम के गांव हैं , इन गांवों में जितने लोगों से बात हुई उनमें से किसी ने भी नाम और पहचान नहीं बताई। इन्ही में से एक (सोंभू स्वालेन) बदला हुआ नाम ने बताया कि म्यांमार से हर दिन सुबह सात 7 बजे 40 से 150 पुरुष और महिलाएं आती हैं। व्यापार करते हैं और शाम 7 बजकर 30 मिनट तक लौट जाते हैं।
न इससे कोई पूछताछ होती न ही आईडी जांच होती। नदी पार करने के रास्ते इन्होंने ही बनाए हैं । करीब 25 हजार की आबादी वाले मोरेह में साढ़े तीन हजार 3500 तमिल भी रहते हैं जो 1964 से यहां बसे हैं। यहां के मणिकमं ने बताया कि म्यांमारी व्यापारी रोजमर्रा का सामान बेचने आते हैं जिनमें से 150 तो शतांग में रहने लगे हैं। जुलाई में कई लोगों को पुलिस ने पकड़कर वापस भेजा था पर कही और ज्यादा तादात में दूसरे रास्तों से लौट आए। मोरेह टेंगनापोल जिले में स्थित है।
मोरेह में एक पुलिस कंमाडो (नाम बताने से इंकार किया ) ने बताया कि हम तीन महीने यहां तैनात रहते हैं फिर दो महीने के लिए घर जाते हैं। जब लौटते हैं तो राशन और जरूरत का सामान घर से ही लाते हैं क्योंकि जो म्यामारी व्यापारी है वे हमें सामान नहीं बेचते वे सभी हमारे खिलाफ हैं।
भारत -म्यांमार के बीच पांच राज्यों में 1643 किमी की अंतर राष्ट्रीय सीमा है। इसमें मणिपुर में 370 किमी है। इसके 30 किमी बार्डर पर तारोंं की फेंसिंग की जा चुकी है। मणिकम बताते हैं कि शतांग और क्वाथ के अलावा कई गांव ऐसे भी हैं जो पिलर नंबर 81 से जुड़े हैंं। अब तक बिना बॉर्डर के लोग आते जाते थे। अब फेंसिंग से हिस्से बंट रहे हैं।
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हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं । हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। चाहे वे किसी धर्म या व्यवसाय के हों। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है फिर वह गुरूद्वारा हो, दरगाह या फिर मंदिर, तो उसे हटाना ही पड़ेगा। यह जनता के आवागमन में बाधा नहीं डाल सकती। साथ ही अवैध निर्माण तोड़ने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए। महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं । - जस्टिस बी.आर. गवई
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