• 28 Apr, 2025

पूर्व सीएम भूपेश बघेल सहित 19 पर एफआईआर

पूर्व सीएम भूपेश बघेल सहित 19 पर एफआईआर

● प्रोटेक्शन मनी के नाम पर करोडों रुपये लेने का आरोप ● ईडी के प्रतिवेदन पर ईओडब्ल्यू ने दर्ज किया केस, अब तक 9 गिरफ्तार ● इस केस में अधिकारी-कारोबारी का भी जिक्र

रायपुर।  मोदी की गारंटी में शामिल था कि भ्रष्टाचारियों को बख्शा नहीं जाएगा और  ठीक आम चुनाव के पहले इस गारंटी पर ताबड़तोड़ अमल करने का सिलसिला चल पड़ा है। इसी क्रम में बड़े नामों के शामिल  होने के लिए चर्चित महादेव सट्टा केस में राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो( ईओडब्ल्यू) ने पूर्व सीएम भूपेश बघेल समेत 19 नामजद सहित अन्य अज्ञात पुलिस और प्रशासन के अफसरों के विरुध्द जालसाजी, षड्यंत्र और भ्रष्टाचार का केस दर्ज किया है। जिन -जिन पर केस दर्ज किया गया है उन सभी पर आरोप  है कि प्रदेश में सट्टा ऑपरेट करने के लिए प्रभावशाली लोगों ने पद और  उसकी ताकत का दुरुपयोग कर मोटी प्रोटेक्शन मनी ली है। इस तरह अर्जित अवैध आय को अलग -अलग जगह निवेश किया गया है। ईडी ने इस केस में 9 लोगों को पहले ही गिरफ्तार कर लिया है।

     एक जानकारी के मुताबिक गिरोह हर माह 450 करोड़ रुपये तक की अवैध कमाई किया करता था। ईडी ने भी अपने दावे में इस आकड़े की पुष्टि की है।  जानकारों का कहना है कि महादेव  सट्टा एप के अलावा भी देश में और भी बेटिंग एप चल रहे थे। जिसमें 580 करोड़ रुपये की अवैध कमाई की गई है। इसमें राजनेताओं के अलावा पुलिस, प्रशासन के अधिकारी , कर्मचारी और कारोबारी भी शामिल हैं। इन नेताओं के ओएसडी भी शामिल हैं। ईओडब्ल्यू ने ऐसे 19 लोगों के खिलाफ नामजद केस दर्ज किया है। इसके साथ ही अज्ञात पुलिस -प्रशासन के अधिकारी-कर्मचारियों, ओएसडी, कारोबारी और निजी व्यक्तियों को आरोपी बनाया है।

    ईओडब्ल्यू ने 4 मार्च को धारा 120 बी 34 , 406,420, 467,468,471-आपीसी और 7 तथा 11 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत भी केस दर्ज किया है। एसीबी -ईओडब्वल्यू के अधिकारियों ने बताया कि प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) के प्रतिवेदन के आधार पर महादेव सट्टा मामले में केस दर्ज किया गया है। इसकी जांच की जा रही है। इसमें गिरफ्तार आरोपियो से जेल में पूछताछ की जाएगी। ईडी से सट्टेबाजी से जुड़े दस्तावेज और सबूत मांगे गए हैं।

  • सोशल मीडिया में एफआईआर की कॉपी वायरल----

महादेव सट्टा केस में एसीबी -ईओडब्ल्यू के अफसर बातचीत से बच रहे हैं। एफआईआर को लेकर वे अधिकृत जानकारी नहीं दे रहे हैं। जबकि सोशल मीडिया में ई-ओडब्ल्यू की एफआईआर की कॉपी वायरल हो रही है। इसमें दावा किया गया है कि सट्टेबाजी के प्रमोटर ऑनलाइन गेम के अलावा वाइव मैच और वाट्सएप, फेसबुग,टेलीग्राम व अन्य सोशल मीडिया प्लेफार्म के जरिये सट्टेबाजी चला रहे है इसमें आईडी बेची जा रही है।

  • कोरोना के दौरान 450 करोड़ की कमाई -----

ईडी ने इस केस के बारे में दावा किया है कि 2020 में लॉकडाउन होने के दौरान ही सट्टेबाजी के प्रमोटरों ने जमकर पैनल बांटे,कोरोना काल में हर माह करीब 450 करोड़ रुपयों की मोटी कमाई की गई। अवैध रूप से मिली रकम के लेन देन के लिए फर्जी दस्तावेज के आधार पर बैंक खाते तक खोले गए। पैनल संचालकों ने विभिन्न बैंक खातों के माध्यम से संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में प्रमोटरों को अवैध राशि हवाला से ट्रांसफर की गई।  सट्टेबाजी वेबसाइट पर विज्ञापन देने के लिए प्रमोटरों बेहिसाब खर्च किये हैं। दुबई में वार्षिक स्टार स्टडेड कार्यक्रम भी आयोजित किया गया। इसमें बॉलीवुड की मशहूर हस्तियां भी शामिल हुई।

इसके बाद प्रमोटरों के अलग -अलग प्लेटफार्म और  बनाए । पैनल ऑपरेटरों , शाखा ऑपरेटरों के माध्यम से ऑनलाइन सट्टेबाजी के अवैध काम फैलाए गए। आरोप है कि इन्होंने अवैध कमाई का 70 से 80 फीसदी हिस्सा अपने -अपने पास रखा और बाकी पैसा पैनल ऑपरेटरों, शाखा संचालकों को बांट दिये। बाद में इसी से 580 करोड़ रुपये की कमाई की गई। 

ईडी का आरोप हवाला के माध्यम से दी जाती थी प्रोटेक्शन मनी-

महादेव बुक के प्रमोटर और ऑपरेटर हवाला के माध्यम से पुलिस -प्रशासनिक अधिकारियों -कर्मचारियों और राजनेताओं तक प्रोटेक्शन मनी पहुंचाते थे। ये ईडी का आरोप है। पैसा पहुंचाने के लिए एक सिस्टम बनाया गया था। इसमें से कुछ पुलिस अधिकारी थे जिनके पास पैसा पहुंचता था। वही बाकी लोगों को पैसा बांटते थे।  वही बाकी लोगों को पैसा बांटते थे। ईडी ने कुछ लोगों की संपत्ति भी जब्त की है।

  • सट्टेबाजी में 6000 करोड़ रुपये आय का शक -

जांच के बाद ईडी ने दावा किया है कि सट्टेबाजी में 6000 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई प्रमोटर ने की है। महादेव बुक के दो अन्य बेटेंग एप चलाए जा रहे थे। इनसे मिलने वाले पैसों को विदेश भेजा जाता था। वहां से भारत के शेयर बाजार में निवेश किया जा रहा था। सट्टेबाजी के प्रमोटर दुर्ग-भिलाई और रायगढ़ के रहने वाले थे जो विदेश में ही शिफ्ट हो गए हैं और वहीं से बैठकर सट्टे को आपरेट कर रहे हैं।

  • इन 19 लोगों पर अपराध दर्ज ----

अफसरों ने बताया कि ईडी ने प्रतिवेदन में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के अलावा सट्टा प्रमोटर रवि उप्पल, शुभम सोनी, चन्द्रभूषण वर्मा असीम दास, सतीश चंद्राकर, नितीश दीवान, सौरभ चंद्राकर , अनिल र्फ अतुल अग्रवाल, विकास छापरिया, रोहित गुलाटी, विशाव आहूजा, धीरज आहूजा, अनिल दम्मानी, सुनील दम्मानी, सिपाही भीमसिंह यादव, हरिशंकर टिंबरेवाल, सुरेश बागड़ी, सूरज चोखानी सहित 
अज्ञात पुलिस अधिकारी ओएसडी और कारोबारी के नाम शामिल हैं। 

हार के डर से एफआईआर में जबरन मेरा नाम डाला, पर मैं डरने वाला नहीं -भूपेश बघेल..

दिल्ली के दबाव में आकर कर रही है ईडी कार्रवाई..

रायपुर।   कथित सट्टा एप मामले में एफआईआर दर्ज होने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मोदी और साय सरकार को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि भाजपा यह समझ चुकी  है कि राजनांदगांव में चुनाव हार रही है इसलिए दबाव डालने के लिए सट्टा मामले में एफआईआर में जबरन मेरा नाम डाला गया है। उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से राजनीति से प्ररित है और दिल्ली के इशारे पर ही कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने पूछा कि महादेव एप के प्रमोटर रवि उप्पल और सौरभ चंद्राकर को केन्द्र सरकार गिरफ्तार क्यों नहीं कर रही है। क्या उनसे भी वसूली की गई है जिसके कारण उन्हें छोड़ा जा रहा है।  

भूपेश ने कहा प्रोटेक्शन मनी उनसे ली जाती है जिसे बचाया जाय या जिसके खिलाफ कार्रवाई रोक दी जाए  पर यहां तो हमने महादेव एप में 70 से ज्यादा एफआईआर दर्ज कर 400 से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी की थी। इस मामले में गूगल को चिट्ठी लिख कर इस एप को बंद करने का आग्रह भी किया था। केन्द्र सरकार आखिर इस एप  को बंद क्यों नहीं कर रही है। एप के प्रमोटरों से पैसे ले लिए हैं क्या ?

  • राजनीतिक और कानूनी कदम उठाएंगे--

भूपेश बघेल ने कहा कि भाजपा मेरा नाम एफआईआर में डाल मुझे डराना या राजनीति को प्रभावित करना चाहती है तो उसे भ्रम में नहीं रहना चाहिए। मैं किसी भी तरह डरने वाला नहीं हूँ। और न ही मैदान से हटने वाला हूँ। उन्होंने कहा इसके लिए जो भी राजनीतिक और कानूनी कदम जरूरी होगा वह जरूर उठाएंगे। 

कानून की नज़र में कोई छोटा-बड़ा नहीं होता - डिप्टी सीएम विजय शर्मा

कानून अपना काम करता है। अनेक विषयों के कारण जांच आवश्यक हो गई थी। अतः इसे लिया गया है। कानून की नज़र में कोई छोटा-बड़ा नहीं होता है, अगर किसी ने अपराध किया है तो उस सजा भी जरूर होगी।