कार जो सड़क पर फर्राट भरती और नदी में तैरती है..
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• निजी डेटा लीक हुआ तो कंपनियों को 500 करोड़ रुपये तक हो सकता है जुर्माना | • कंपनियां बिना अनुमति लोगों का डेटा प्रोसेस भी नहीं कर सकतीं | • सरकार कुछ खास परिस्थितियों में कर सकती है डेटा शेयर |
नई दिल्ली। इन दिनों तकनीक के बहुतायत में इस्तेमाल और सुविधाओं के सर्वसुलभ होने से लोगों की निजी जिंदगी में ज्यादा हस्तक्षेप बढ़ गये हैं। विशेष रूप से डिजिटल डेटा के इस्तेमाल से लोगों की निजता लगभग खत्म सी हो रही है। लोगों की निजता की रक्षा के मद्देनज़र केन्द्रीय कैबिनेट ने बुधवार 5 जुलाई को डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2023 को मंजूरी दे दी है।
इसी के साथ 20 जुलाई को शुरू हो रहे संसद सत्र में इसे पेश करने का रास्ता भी साफ हो गया है। बिल का मौसादा तैयार करने के लिए 21 हजार 666 लोगों की राय ली गई थी। इसके अतिरिक्त कुल 46 संगठनों, संघो और उद्योगों को भी रायशुमारी में शामिल किया गया था। इस बिल के जानकार सूत्रों के मुताबिक नया विधेयक यूरोपीय डेटा संरक्षण मानकों को आदर्श मानते हुए तैयार किए गए हैं पर इसमें अमेरिकी डेटा प्रशासन की उदारता भी शामिल की गई है। जैसे निजी डेटा की परिभाषा और उसके इस्तेमाल के लिए जनहित की व्याख्या इत्यादि। इस बिल में साफ कहा गया है कि अगर कोई इंटरमिडियरी कंपनी नागरिकों के डिजिटल डेटा का इस्तेमाल करती है या कि लीक करवाती है तो उस कंपनी पर 500 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है लेकिन यदि केन्द्र की सरकार नागरिकों के डिजिटल डेटा का इस्तेमाल जनहित में करती है तो यह उस बिल का उल्लंघन नहीं माना जाएगा।
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जिन पर लागू नहीं होगा यह नियम—
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• विशेष स्थितियां भी हैं—
वैश्विक कंपनियां जैसे गूगल और अमेजान भारतीयों का डिजिटल डेटा भारत से बाहर नहीं ले जा सकेंगी। हालांकि सरकार से अनुमति के बाद वे ऐसा कर सकेंगी। इस बात के लिए मंजूरी देने का अधिकार केन्द्र सरकार के पास ही होगा।
• डेटा संरक्षण बैंक बनाया जाएगा—
नए कानून के तहत नियमों का पालन करने के लिए एक बोर्ड बानाया जाएगा। डेटा संरक्षण बोर्ड के नियमों का उल्लंघन होने पर जुर्माना तय करने का हक बोर्ड को ही होगा।
• तीन साल से कवायाद चल रही है-
संसद में सरकार ने व्यक्तिगत डाटा संरक्षण विधेयक 2019 में पेश किया था। तब ही से इसके लिए कवायद चल रही है। इसे संसद की संयुक्त समिति के पास विचार के लिए भेज दिया गया था। उक्त समिति ने कोविड के समय रिपोर्ट सौंपी थी पर सरकार ने विधेयक पर मिली प्रतिक्रिया को देखते हुए इसे अपर्याप्त माना और इसे वापस ले लिया था। इस बारे में 18 नवंबर 2022 को फिर नया मसौदा सार्वजनिक किया गया।
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