• 28 Apr, 2025

असम में रह रहे छत्तीसगढ़ी परिवारों से मिले उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा

असम  में रह रहे छत्तीसगढ़ी परिवारों से  मिले  उपमुख्यमंत्री  विजय शर्मा

अशोक  तिवारी1
अशोक  तिवारी,  रायपुर


रायपुर।  पिछले सात सालों में जब से मैं असम में निवासरत प्रवासी छत्तीसगढ़िया लोगों के मध्य कार्य कर रहा हूं, तब से आज पहली बार ऐसा हुआ कि छत्तीसगढ़ के एक मंत्री ने खुद होकर असमिया छतीसगढ़िया लोगों मिलने की इच्छा प्रकट की। हुआ यह की सुबह आज मैंने लगभग 9:00 बजे अपना मोबाइल देखा कि उसमें 6 मिस्ड कॉल थे।वे काल बिलासपुर निवासी भाई सोमनाथ यादव तथा रायपुर निवासी सत्यव्रत सिंह के थे। दोनों ही परिचित हैं और दोनों को ही में असम में कार्य कर रहा हूं इसके बारे में अच्छी जानकारी है । सोचाकि कि सुबह-सुबह कई कॉल करने का क्या कारण होगा ? मैंने तत्काल दोनों को फोन लगाया। दोनों ने ही एक ही बात कही।उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा आज असम की राजधानी गुवाहाटी में है तथा वे वहां के  प्रवासी छत्तीसगढ़िया लोगों से भेंट करना चाहते हैं, और यदि संभव हो तो उनके घर भी जाना चाहते हैं। मैंने कहा ठीक है मैं कोशिश करता हूं, कुछ व्यवस्था करवाता हूं।

वस्तुतः असम में जिन लोगों से मेरी ज्यादा पहचान है वे सब चाय बागान के इलाकों में या फिर लोअर असम में होजाई, नागांव ,कार्बी आंगलोंग आदि जिलों में रहते हैं, यही उनकी संख्या बहुत अधिक है और गुवाहाटी शहर तथा उसके आसपास उनकी संख्या बहुत ही कम है तथापि कुछ तो लोग तो रहते ही हैं, उनमें से एक हैं शिव प्रसाद मरार , जिन्होंने खैरागढ़ विश्वविद्यालय से ही मूर्तिकला में स्नातकोत्तर की उपाधि अर्जित की है और वहां असम के  जनसंपर्क विभाग में कार्य करते हैं, मैंने संपर्क किया। शिवप्रसाद असम के ख्यातिनाम कलाकार हैं, मूर्तिकार के रूप में शिवप्रसाद राज्य के अनेक स्थानों पर कार्य कर अनेक मूर्तियां बनाई हैं।जब मैंने उनसे फोन किया और यह बात बताई तब शिवप्रसाद ने कहा कि आजकल उनका तबादला जोरहाट हो गया है , वे छुट्टी पर थे और आज ही मुझे ड्यूटी जाइन करने के लिए जोरहाट जाने वाले हैं। पर मेरी आग्रह पर वे रुक गए और उन्होंने कहा कि ठीक है मैं अपने घर को व्यवस्थित करता हूं।उन्होंने यह भी कहा कि मुझे खशी होगी कि उपमुख्यमंत्री जी मेरे घर में आयेंगे।गुवाहाटी में ही रहने वाले भार्गव होटल श्रृंखला के जनरल मैनेजर विकास पनिका से भी मैने बात की , वे भी खुशी-खुशी राजी हुए।

मैंने कुछ गुवाहाटी से इतर अन्य स्थानों में निवास करने वाले छत्तीसगढ़िया लोगों से संपर्क कर यह बात बताई।सभी ने कहा कि हम कोशिश करते हैं । परिणाम स्वरूप भाई शंकर साहू जो डिब्रूगढ़ जिले के बामुनबारी नामक स्थान में रहते हैं उन्होंने कार्बी आंगलांग जिले के डोकमोका निवासी देवनाथ साहू जो वर्तमान में गुवाहाटी में रहते हैं उनका नंबर दिया।इसी तरह से किलिंग वैली, जागी रोड की रहने वाली पूर्णिमा साहू ने अपने मायके तेलीबस्ती होजाई के विनोद साहू का नंबर दिया जो पिछले दो दशक से गुवाहाटी में रहते हैं। मैंने फोन कर दोनों को बात बताई और मेरे लिए खुशी की स्थिति थी कि दोनों ने ही मंत्री जी से मिलने के लिए हामी भरी । मैंने दोनो ही को शिवप्रसाद  के घर पहुंचने का अनुरोध किया।

इस बीच शिवप्रसाद को मंत्री महोदय के ओएसडी का फोन आया और उन्होंने शिवप्रसाद से उनके घर का लोकेशन प्राप्त किया। पर काम पूर्व योजना के अनुरूप नहीं हो रहे थे,आगे परिस्थितियों बीच में कुछ ऐसा  होने लगा और मंत्री शासकीय काम में इतने उलझ गए, कि लग रहा था कि वे शिवप्रसाद के घर नहीं जा पाएंगे या नहीं।लोगों से उनकी भेंट हो सकेगी या नहीं।  मुझे थोड़ी सी चिंता हो रही थी कि मैंने लोगों को राजी किया हुआ है, मंत्रीजी के आतिथ्य के लिए तथा लोगों ने बड़ी आत्मीयता से प्रतिसाद दिया है, उन्होंने बड़ी तैयारी की थी, अपने-अपने घरों में कि मंत्री हमारे आ रहे हैं, तो उनका किस तरह से सत्कार करेंगे आदि आदि। शिवप्रसाद तो इस बात को लेकर बहुत उत्साहित हो गए थे वे अपना स्टूडियो भी दिखाना चाहते थे ।किंतु यदि मंत्री जी से बात मुलाकात नहीं होती तो बड़ी निराशा की स्थिति निर्मित हो जायेगी।

चूंकि मंत्री जी की तीन बजे फ्लाइट थी इसलिए समय की बहुत कमी थी।परिस्थिति को देखते हुए उन्होंने उन सभी को वे जहां ठहरे थे वहीं पर बुला लिया।अंत में यह सुखद स्थिति निर्मित हुई कि मंत्री  जिस स्थान पर थे, वही  तीनों  सपरिवार पहुंच गए। मंत्री  से मुलाकात हुई । उनके साथ उन्होंने भोजन भी किया और उनसे बड़ी आत्मीयता से छत्तीसगढ़ी में बातचीत की।इस भेट मुलाकात से वे सभी अभिभूत हुए। बाद में उन्होंने मुझे फोन कर इस बात की सूचना दिए कि मंत्री महोदय ने उन्हें जो सम्मान और प्रेम दिया वह अद्भुत था,उसकी वह व्याख्या नहीं कर सकते, वे बहुत गदगद थे।वहाँ छत्तीसगढ़ निवासी विक्रम सिंह जो भारतीय रेल में आजकल गुवाहाटी में राजभाषा प्रबंधक के रूप में पदस्थ है, वे भी मंत्री जी से मिलने आये।

 उपमुख्यमंत्री  वहां से एयरपोर्ट पहुंचे तो एक और छत्तीसगढ़िया भाई जो असम के भार्गव होटल समूह में जनरल मैनेजर हैं ,जिनका नाम विकास पनिका है , वे हवाई अड्डे पर मंत्री से मिलने के लिए पहुंच गए थे और उनसे भी बहुत आत्मिक मुलाकात हुई। कुल मिलाकर मंत्री महोदय तो खुश हुए होंगे ही कि उन्हें हजारों मील दूर जाकर अपने छत्तीसगढ़िया भाई  बंधुओं से मिलने का ,और उन भाई बंधुओं से जिनके पूर्वज डेढ़ सौ साल पहले छत्तीसगढ़ से  वहां जाकर बस गए थे, भेंट करने का अवसर प्राप्त हुआ। वहीं हमारे प्रवासी भाई-बहनों को इस बात की हार्दिक प्रसन्नता हुई ,कि उनके लिए पहली बार ऐसा हुआ है कि छत्तीसगढ़ का किसी मंत्री ने उनसे मिलने की इच्छा वक्त की, और इन्हें उनसे मिलने का संयोग प्राप्त हुआ, और मुलाकात अविस्मरणीय सी बन गई।

आज के इस आत्मिक प्रसंग के लिए मैं सभी संबंधितों को बहुत-बहुत हृदय से धन्यवाद देता हूं, आज की शुरुआत के लिए ,और अपेक्षा करता हूं कि छत्तीसगढ़ सरकार के वरिष्ठ मंत्री होने के नाते विजय शर्मा जी असम में रहने वाले प्रवासी छत्तीसगढ़िया बंधु बांधवों  और उसके साथ ही देश के अलग-अलग राज्यों और विदेशों में निवास करने वाले छत्तीसगढ़िया भाई-बहनों के लिए कुछ स्थाई व्यवस्था करेंगे ताकि वे अपने पूर्वजों की भूमि से जुड़े रहें।

असम में बस गए  छत्तीसगढ़ी परिवारों  से  ऐसे  हुई  मिलने  की  शुरुआत 
 
सन 2009 में जब मैं भोपाल में रहा करता था तब एक इस स्मारिका के माध्यम से मुझे ज्ञात हुआ कि असम में लाखों की संख्या में छत्तीसगढ़िया निवास करते हैं जिनके पूर्वज चाय बागानों में कार्य करने के लिए गए और वही बस गए थे।आजकल उन प्रथम प्रवासियों की छठवीं/सातवीं पीढ़ी चल रही हैं। मुझे सन 2009 से ही उत्कंठा थी कि मैं उनके बारे में अधिक जान सकूं ,उनसे संपर्क स्थापित कर सकूं और सैकड़ों साल के प्रवासन के बाद उनकी भाषा और संस्कृति के वर्तमान स्वरूप के बारे में प्रलेखन कर सकूं।
 
भोपाल से अपनी सेवानिवृति के पश्चात जब मैं रायपुर वापस आ गया और छत्तीसगढ़ के संस्कृति विभाग में कार्य करने लगा तब मुझे असम में रहने वाले उन छत्तीसगढ़िया लोगों के साथ संपर्क बढ़ाने की अपनी इच्छा को मूर्त रूप प्रदान करने का अवसर प्राप्त हुआ और मैं जान सका कि उनकी जनसंख्या थोड़ी बहुत नहीं बल्कि उनके खुद के अनुसार 20 लाख से भी अधिक है। उनके पूर्वजों ने सन 1850 के आसपास से असम जाना शुरू किया और उनके जाने का सिलसिला सन 1945 तक जारी रहा। सन 2017 में तत्कालीन संस्कृति संचालक स्वर्गीय आशुतोष मिश्रा जी के निर्देशन से ही इस महत्वपूर्ण कार्य की कार्य की मैं शुरुआत कर सका ।शुरुआत फरवरी 2017 में हुई जब मैं पहली बार छत्तीसगढ़ शासन की ओर से असम प्रवास पर गया, पहुना संवाद नामक एक कार्यक्रम का आयोजन किया जिसमें असम से लगभग 30 छत्तीसगढ़िया लोगों को संस्कृति विभाग के निमंत्रण पर और  सरकार के ही व्यय पर रायपुर लाया गया, उनसे संवाद स्थापित हुआ।तब से लगातार मेरा असम जाना लगातार बना हुआ है, मैंने संजीव तिवारी के साथ मिलकर असमवासी छत्तीसगढ़िया शीर्षक एक पुस्तक का लेखन भी किया ।
 
मैं प्रतिवर्ष एक दो बार असम चला ही जाता हूं। मैंने असम के उन लगभग सभी इलाकों में वहां रहने वाले छत्तीसगढ़िया लोगों के अनेक बस्तियों में जाकर उनसे संपर्क स्थापित करने की कोशिश की है। मेरे जाने के बाद से उन लोगों का अपने पूर्वजों की भूमि छत्तीसगढ़ से संपर्क बढ़ाने के लिए बहुत ऊर्जा मिली है, उनके बीच अपनी छत्तीसगढ़िया संस्कृति के बारे में एक नवीन चेतना का संचार हुआ है, छत्तीसगढ़ी भाषा और छत्तीसगढ़ी संस्कृति से संबंधित आयोजन की लगातारिता शुरू हो गई है।
 
● छत्तीसगढ़ से लोगों का  असम आना- जाना  बढ़  गया  है  ---
 
छत्तीसगढ़ से भी लोगों का वहां जाना काफी बढ़ गया है। मैं खुद प्रयास कर छत्तीसगढ़ से बहुत से लोगों को वहां ले गया हूं ।वहां के लोग यहां आना शुरू कर दिए हैं ,मेरे संपर्क के अतिरिक्त भी अन्य लोग छत्तीसगढ़ से असम आनाजाना कर रहे हैं,स्वर्गीय मिनीमाता जी के एक स्मारक का निर्माण किया जा रहा है।कई मर्तबा छत्तीसगढ़ी संस्कृतियों के ऊपर भव्य आयोजन वहां पर हो चुके हैं।नेता, अधिकारी, मंत्री,कलाकार,विभिन्न समाज और संस्कृति से जुड़े हुए व्यक्तियों का भी वहां जाना हो चुका है,संपर्क स्थापित होने लगे हैं, असम में निवासरत कतिपय समाज के  लोगों को अपने समाज की उत्त्पति,इतिहास, इष्टदेव,अनुष्ठान पर जानने की इच्छा हुई, उन्हें भी सहयोग दिया, इस सन के लिए में लगातार प्रयास करते आ रहा हूं। मैं खुद महसूस करता हूं कि जब मैंने 2017 में इसकी शुरुआत की थी तब और आज की स्थिति में इन गतिविधियों ने बहुत अधिक प्रभाव असम के लोगों के ऊपर डाला है।
 
● उम्मीद है कोई ठोस  व्यवस्था  जरूर  होगी---
 
 मैंने अपना प्रयास निरंतर बनाये रखा है, ऐसा कोई भी दिन नही जाता जब असम के किसी व्यक्ति से कोई चर्चा न होती हो ,किसी मुद्दे पर बात नही होती या किसी योजना की रूपरेखा न बनती हो। बड़ी प्रसन्नता है कि डेढ़ सौ साल बाद ही सही छत्तीसगढ़ द्वारा उनकी कुछ सुध तो ली जा रही है। आवश्यकता है इस सुध को और मजबूत बनाने की, और जिस तरह से अनेक राज्यों में अपने  प्रवासी समाजों के लिए अलग मंत्रालय या विभाग या कोई प्रशासनिक संरचना कार्य करती है, वैसे ही छत्तीसगढ़ में भी प्रवासी छत्तीसगढ़िया लोगों के लिए कोई ठोस व्यवस्था की जाए, जो केवल असम ही नहीं बल्कि देश के अन्य राज्यों में निवास करने वाले और दुनिया भर के अलग-अलग देशों में निवास करने वाले प्रवासी छत्तीसगढ़िया लोगों के बीच  एक सांस्कृतिक सेतु के निर्माण का कार्य करें,और लोगों को उनके पूर्वजों की भूमि से निरंतर जोड़ने के लिए भांति भांति की गतिविधियां संचालित करने का आरंभ हो सके।इस दिशा में में लगातार कोशिश कर रहा हूं, पिछले दोनो मुख्यमंत्रियों ने मेरे प्रस्तावों पर सहमति भी दी थी किंतु उन दोनो ही बार लालफीताशाही के कारण मामला ठंडे बस्ते में चला गया।इस बार एक उपमुख्यमंत्री ने रुचि ली है जिसके कारण लगता है कि शायद अब इस दिशा में कुछ सकारात्मक काम की शुरुआत हो सकेगी।