• 28 Apr, 2025

क्या नहीं है सोनवानी के पास ?

क्या नहीं है सोनवानी के पास ?

● सरबदा सहित अनेक जगहों में फैला है साम्राज्य ● स्कूल, कॉलेज, पोल्ट्री फॉर्म व तालाब भी, पिछले सालों में कई गुना बढ़ी सम्पत्ति ● शासन मे भर्ती घोटाले में सीबीआई जांच के लिए पत्र लिखा

रायपुर । छोटे से गांव से निकले अफसर की बड़ी महत्वाकांक्षा ने उसमें जायदाद के विस्तार की इतनी हवस पैदा कर दी कि जैसे उसने सरकार की जिम्मेदारी की जगह को ही अपनी जागीर समझ लिया। छत्तीसगढ़ 
पीएससी घोटाले के आरोपी पूर्व चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी धमतरी जिले के एक छोटे से गांव सरबदा से हैं और उन पर आरोप है कि अपनी पोस्ट और पावर के दममर उन्होंने अकूत संपत्ति बनाई है।

गांव में उनका एक शानदार बंगला, फॉर्म हाउस, 30 एकड़ से ज्यादा जमीन और खेती-बाड़ी सहित बड़ी-बड़ी गाड़ियां, पोल्ट्री फॉर्म, मछली और सूअर पालन का कारोबार इसके अलावा एक इंग्लिश मीडियम स्कूल भी जिसमें 8 वीं तक की शिक्षा दी जाती है।  अब तक की गई कार्रवाई  के आधार पर कहा जा रहा है कि स्कूल के छात्रों को लाने -ले जाने के लिए कई बसें हैं,जामगांव में कॉलेज भी है। क्या नहीं है इस अफसर की जागीर में ?

रायपुर, धमतरी, अंबिकापुर, दुर्ग  और जशपुर जिलों में घर और जमीनें हैं। इनमें से ज्यादातर संपत्तियां टामन सिंह सोनवानी ने चैयरमैन पद पर रहते हुए ही खड़ी की हैं। संपत्तियां सारी पत्नी,बेटे, बेटी और परिवार के अन्य सदस्यों के नाम पर खरीदी गई हैं। इस मामले में तीन बड़ी सरकारी एजेंसियां जांच में जुट गई हैं। आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में  सबसे पहले ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध शाखा) ने अपराध दर्ज कर जांच शुरु भी कर दी है।

दूसरी ओर चयन में गड़बड़ी के मामले में बालोद पुलिस ने नामजद एफआईआर दर्ज कर ली है। पूरे मामले में वहीं सीबीआई भी एक्शन में है। उसने शासन से दस्तावेज भी मांगे हैं। 15 फरवरी को बालोद में एफआईआर दर्ज होने के खुलासे के बाद टामन सोनवानी के गायब होने की खबर थी। इसी बीच पत्रकारों की  एक टीम उन्हें तलाशते हुए रायपुर से कोई 40 किमी दूर उनके गांव सरबदा तक पहुंच गई। वहां देखा कि गांव में सबसे बड़ा मकान या कि कहें हवेली सोनवानी की ही है। पता चला कि वे 28 फरवरी के बाद से गांव नहीं गए हैं। यहीं टीम लगभग हफ्तेभर बाद भी सरबदा पहुंची पर वे फिर भी वहां नहीं मिले।

बातचीत में पता चला कि चेयरमैन रहते हुए टामन सिंह सोनवानी रोजाना सरबदा गांव से ही रायपुर आना-जाना करते रहे। यहां हालात यह हैं कि लोग सीधे  बातचीत करने से भी भयभीत नज़र आते हैं। यहां ऑन रिकॉर्ड कुछ भी कहने से बचता सा नज़र आया। पंच सरपंच तक ने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। हालांकि पहचान न बताने की शर्त पर लोग बहुत सी राज की बातें बताने लगते हैं।
 
गांव के लोंगों ने कहा जितने भी नाम भर्ती घोटाले में अखबारों में आ रहे हैं वे सभी सोनवानी परिवार के ही हैं। मतलब गडबड़ी तो है। यहां तक कहा लोगों ने जब- कोई सोनवानी दाऊ से गाइडेंस लेने आता था तो कहते थे, चार्ट-गुपचुप का ठेला  खोल लो। गांव के कुछ लोगों के अनुसार बीते तीन-चार सालों में सोनवानी परिवार ने गांव में काफी जमीने खरीदी हैं। परिस्थितियां कुछ ऐसी बनीं कि लोगों ने विवशता में उन्हें अपनी जमीनें बेचीं। अभी भी बेच रहे हैं। माता-पिता के नाम से स्कूल खोला और टीचर दूसरे राज्य से रखे। उनके लिए  हॉस्टल भी बनवाया। 

पीएससी में रिश्तेदारों की भर्ती की, एफआईआर के बाद नहीं दिखे- गांव के लोगों ने कहा

टामन के पिता स्व कल्याण सिंह सोनवानी गांव के मालगुजार थे। टामन सिंह कुल 6 भाई में से एक हैं। इनमें से दो की मृत्यु हो चुकी है। भाई डिमान की बहू दीपा आदिल,भाई स्व राजेश का बेटा नितेश और बहू मीसा , भाई रमेश का बेटा साहिल, बहन की  बेटी सुनीता जोशी का नाम प्रमुख रूप से शामिल है जिनका पीएससी में चयन सोनवानी के चेयरमैन रहते हुआ है। इस बारे में हाई कोर्ट में नामजद याचिका दायर हुई थी। जिन बहुओं का पीएससी के जरिए चयन हुआ उनका सरनेम मायके का है। क्यों नहीं बदला यह भी सवाल है ? गांव वालों ने यह भी बताया कि कुछ ऐसे भी लोगों का चयन हुआ है जो सोनवानी परिवार के करीबी हैं। वे भी एफआईआर दर्ज होने के बाद से नहीं दिख रहे हैं।

फैसला उन्ही का -भतीजा

टामन सोनवानी के घर में तो कोई नहीं मिला बल्कि एक टीचर वहीं मिल गए। पड़ोस में ही टामन के भाई अनिल का घर है। उनके यहां के कर्मचारी ने कहा कि हो सकता है बाड़ी में हों पता कर लीजिए। वहां पहुंचने पर 'निरंतर पहल' के संवाददाता की मुलाकात अनिल के  बेटे सचिन से हुई। सचिन ने बताया कि ताऊ जी अंबिकापुर गए हैं वे शाम तक लौटेंगे। सवाल-जवाब के दौरान ही बताया कि उनके सामने किसी का मुंह नहीं खुलता सभी उनसे डरते हैं। सभी फैसले भी वे ही लेते हैं। जब हमने नीतिश के बारे में पूछा तो कहा कि सभी हमारे परिवार वाले ही हैं। 

पीएससी 2021 से अब तक क्या  ?

  • 2021 में 171 पदों के लिए पीएससी की परीक्षा आयोजित की गई थी। प्री एक्जाम और साक्षात्कार के बाद 170 का चयन किया गया था।
  • 2023 में नतीजे जारी किए गए। चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी पर रिश्तेदारों के चयन के आरोप लगाए गए।
  • सितंबर 2023 में भाजपा नेता ननकी राम कंवर ने गडबड़ी को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की । 
  • 18 अभ्यर्थियों की नियुक्ति आदेश रोक कर शेष को नियुक्तियां दे दी गईं। 
  • पीएससी सचिव जीवन किशोर ध्रुव परीक्षा नियंत्रक आरती वासनिक को हटाया इन पर भी आरोप लगे। 
  • आर्थिक अनियमितता के मामले में ईओडब्ल्यू में केस दर्ज किया गया। 
  • एक अभ्यर्थी ने सोनवानी के खिलाफ बालोद के अर्जुन्दा में एफआईआर दर्ज करवाई है। 

बातचीत की तो कहा कुछ नहीं-

सवाल- पीएससी चेयरमैन रहते आप पर चयन में गड़बड़ी के गंभीर आरोप लगाए गए हैं?
जवाब- कोई जवाब नहीं दिया।

सवाल- आप पर इस मामले को लेकर एफआईआर दर्ज हुई है इस पर कुछ कहना है ? 
जवाब- मुझे इस पर कुछ नहीं कहना। 

क्या कहना है जांच एजेंसियों का ?

  • एफआईआर के बाद संबंधित विभाग को दस्तावेज देने के लिए लिखा जा  रहा है। 
     - राजेश बांगड़े, जांच अधिकारी, बालोद
     
  • गड़बड़ी की जांच के संबंध में राज्य शासन ने सीबीआई को पत्र लिखा है। 
     - मनोज पिंगुआ, एसीएस , गृह विभाग
     
  • सरकार ने सीबीआई जांच की घोषणा की है, पत्र मिलने पर जांच शुरू होगी। 
     - आरसी जोशी, प्रवक्ता , सीबीआई