• 28 Apr, 2025

आत्मसमर्पण नीति नक्सलियोंं के लिए आखिरी मौका

आत्मसमर्पण नीति नक्सलियोंं के लिए आखिरी मौका

■ छत्तीसगढ़ में सरेंडर पॉलिसी की तर्ज पर बन सकती है राष्ट्रीय नीति ■ नक्सल समस्या पर अंतिम प्रहार की तैयारी में है फोर्स ■ माओवादियों को मिलने वाली वित्तीय सहायता रोकने दम लगाएगी सरकार

नई दिल्ली।  मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व वाली छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार आने वाले एक या दो महीने में नक्सल क्षेत्रों के लिए आत्मसमर्पण नीति पेश कर सकती है।  कहा गया है कि इस नीति का  उद्देश्य नक्सली कैडरों को समाज की मुख्यधारा में शामिल होने का अंतिम अवसर प्रदान करना है। इस नीति पर केन्द्रीय गृह मंत्रालय स्तर पर विमर्श किया जाएगा। कहा तो यह भी जा रहा है कि यह नक्सलियों के लिए एक अद्यतन राष्ट्रव्यापी समर्पण नीति बन सकती है।

विवरण को जानने वाले एक अधिकारी ने कहा कि जैसे ही  छत्तीसगढ़ की सरकार गृह मंत्रालय द्वारा सशक्त होकर आत्मसमर्पण की नीति को अंतिम रूप देगी वैसे ही केन्द्र इसकी समीक्षा करेगा और फिर इसकी प्रबल संभावना है कि इसे राष्ट्रीय नीति के रूप में अपनाएगा।

प्रदेश की राजधानी रायपुर में नक्सलियों के मामले में हुई उच्च स्तरीय बैठक में केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने छत्तीसगढ़ पुलिस को आश्वासन दिया है कि नक्सल गतिविधियों पर उनकी चल रही कार्रवाइयों के लिए उन्हें हथियार या दूरसंचार उपकरण  जैसे सभी संसाधन  20 दिनों के भीतर उपलब्ध करा दिये जाएंगे।

रायपुर में 24 अगस्त को हुई नक्सल ऑपरेशन की समीक्षा बैठक के दौरान माओवादियों के वित्त पोषण ही चर्चा का मुख्य विषय रहा और इसे तत्काल प्रभाव से बंद करने की योजना पर चर्चा हुई। अधिकारियों ने बताया कि राज्य के अधिकारियों से कहा गया है कि  माओवादियों से मिलने वाली वित्तीय सहायता को रोकने के लिए विशिष्ट  नीतियां बनाएं।  मंत्री अमित शाह ने कहा कि वर्ष 2026 तक भारत को नक्सल मुक्त बनाने का लक्ष्य भी है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने पहले ही माओवादियों से जुड़े कई मामलों को जिनमें वित्त पोषण से जुड़े मामले भी शामिल हैं उन्हें गृहमंत्रालय के निर्देश पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी(एनआईए) को सौंप दिया है। बैठक में श्री शाह ने सभी राज्यों से प्रत्येक राज्य में माओवादियों को वित्तपोषित करने वाली बुनियादी ढांचे और और सपोर्ट नेटवर्क पर पूरी तरह से हमला करने के लिए मिलकर काम करने का आग्रह किया । शाह ने वामपंथी उग्रवाद के मामलों में  एनआईए को शामिल करने के महत्व पर जोर दिया और सुझाव भी दिया कि वर्तमान में पुलिस बलों द्वारा संभाले जा रहे ऐसे सभी मामलों को एनआई को सौंप दिया जाना चाहिए । इसके अतिरिक्त जांच और अभियोजन के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को एनआईए विशेषज्ञों से प्रशिक्षण प्राप्त करना चाहिए जो आतंवाद के वित्तपोषण के मामलों के विशेषज्ञ हैं।

राज्य जांच एजेंसी बनाने पर भी चर्चा-

अधिकारियों ने यह भी बताया कि प्रत्येक नक्सल प्रभावित राज्य में एक राज्य जांच एजेंसी स्थापित करने के बारे में चर्चा हुई।ये एजेंसियां एनआईए का सहायता करने वाली नोडल निकायों के रूप में काम करेंगी जो कि छत्तीसगढ सरकार द्वारा मार्च में माओवादी मामलों को विशेष रूप से एड्रेस करने के लिए स्थापित एनआईए के लिए स्थापित एसआईए के समान है। 

छत्तीसगढ़ में चल रहे अभियान की सराहना की-

रायपुर में हुई नक्सल ऑपरेशंस सुरक्षा बैठक में मौजूद अधिकारियों ने बताया कि बैठक में शामिल सुरक्षा प्रतिष्ठानों के वरिष्ठ अफसरों ने माओवादियों के खिलाफ छत्तीसगढ़ के अभियान की सराहना की। एक अधिकारी ने कहा,छत्तीसगढ़ माओवादियों के लगभग

80 प्रतिशत समस्या ने निबट रहा है और इसलिए छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों की सफलता और विफलता दोनों का लाल सेना की लड़ाई पर असर पड़ेगा। इसलिए उनकी कार्रवाई और अभियान की सराहना की गई । गृह सचिव गोविंद मोहन और खुफिया ब्यूरो निदेशक तपन डेका के अलावा , बैठक में छत्तीसगढ़, ओडिशा, मध्यप्रदेश, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र के मुख्य सचिवों और डीजीपी ने भाग लिया।