किसानों की आय बढ़ाने व खाद्य सुरक्षा के लिए एक लाख करोड़, रेल कर्मियों को बोनस
■ केन्द्रीय कैबिनेट के महत्वपूर्ण फैसले
• सब्जियों के साथ दूध, चीनी के भी बढ़े दाम | • अरहर की पैदावार घटने का दिखा असर | • अगले माह दोगुने हो सकते हैं प्याज के दाम |
नई दिल्ली। कोविड काल के बाद से बाजार की जो स्थिति बिगड़ी है तो इसका असर आज तीन साल बाद विकराल होकर जरूरी चीजों की कीमतों के इजाफे के रूप में दिखने लगा है। हाल के महीनों में किचन का बजट बिगड़ गया है। सरकारी आकड़ों के अनुसार एक साल में चावल, दाल और आटा 30 प्रतिशत तक महंगे हो गए हैं। इसी बीच देश के कुछ हिस्सों में टमाटर 250 रुपये प्रतिकिलो से भी पार निकल गया है। हालांकि रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाले आलू के दाम कुछ कम हुए हैं जिससे राहत है लेकिन इस राहत के साथ ही एक अंदेशा यह भी जताया गया है कि अगले महीने से प्याज के दाम में बढ़ोतरी हो सकती है।
संसद में एक सवाल के जवाब में उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने बताया है कि आलू को छोड़कर ज्यादातर खान पान की चीजें महंगी हुई हैं। अरहर-मूंग दाल, चावल, चीनी, दूध, मूंगफली तेल और आटा इनमें शामिल हैं।
बीते एक साल में आलू 12 फीसदी सस्ता हुआ है और प्याज 5 फीसदी महंगा हो गया है। यहां सर्वे से पता चला है कि औसत भारतीयों का किचन का बजट बिगाड़ने में टमाटर के बाद सबसे बड़ी भूमिका अरहर दाल की है। 31 जुलाई तक बीते एक साल में यह 30 फीसदी तक महंगी हुई है।
मंत्रालय ने बाताया कि अरहर दाल के भाव बढ़ने की मुख्य वजह घरेलू उत्पाद घटना है। पिछले साल 42.2 लाख टन अरहर का उत्पादन हुआ था। इस साल यह घटकर 34.3 लाख टन रहने का अनुमान है। टमाटर उत्पादक कई इलाकों में सफेद मक्खी का प्रकोप और बारिश से फसल कम उतरना बताया गया है और आपूर्ति भी बाधित हुई है।
क्रिसिल के मुताबिक , सप्लाई कमजोर होने से सितंबर की शुरूआत में ही प्याज के दाम 60 से 70 रुपये प्रतिकिलो तक पहुच सकते हैं। अगस्त के शुरूआत में यह 15 से 30 रुपये किलो तक बिक रहा है। क्रिसिल का कहना है कि फरवरी में महाराष्ट्र जैसी प्रमुख प्याज उत्पादक राज्यों में रबी की फसल जल्दी पक गई और मार्च में इन इलाकों में हुई बेमौसम की बारिश से शेल्फ लाइफ 6 महीने से घटकर 4-5 महीने रह गई इन सभी कारकों का भी प्याज की कीमत पर विपरीत असर पड़ने की आशंका है।
■ केन्द्रीय कैबिनेट के महत्वपूर्ण फैसले
● खाद्य तेल 13 दिन में 30 रुपये, प्याज 4 माह में 35 रुपये और आटा 6 महीने में 7 रुपये महंगे हो गए ● सरकार ने किसानों को राहत तो दी पर मुनाफाखोरों ने बाजार में दाम ज्यादा बढ़ाए इन्हे नहीं रोका..
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