अब महाराष्ट्र-झारखंड में चुनावी सरगर्मियां तेज..
■ भाजपा ने दोनों राज्यों में लगाई सौगातों -वादों की झड़ी ■ विपक्षी खेमा भी सक्रिय हुआ ■ इन दोनों राज्यों में चुनाव नवंबर में होने की चर्चा
• आदिवासी नेता नंदकुमार साय को भी दिया पद मंत्री के समतुल्य
• सीएम बघेल चुनाव के पहले संतुलन साधने में लगे
• सिंहदेव को डिप्टी सीएम के बाद साय को सीएसआईडीसी का अध्यक्ष बना कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया
• भूपेश बघेल सीएम हैं तो स्वाभाविक रूप से वे ही लीड करेंगे- सिंहदेव
रायपुर। छत्तीसगढ़ में विधानसभा के चुनाव के दिन की घोषणा का इंतजार हो रहा है और ज्यों-ज्यों वह दिन नजदीक आता जा रहा है प्रदेश के मुखिया सीएम भूपेश बघेल उसके माफिक ही फैसले लेते नजर आ रहे हैं। जून के अंत में एक ओर जहां वरिष्ठ नेता व स्वास्थ्य मंत्री टी. एस. सिंहदेव को दिल्ली में हुई पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक और चुनाव की तैयारी पर चर्चा के उपरांत डिप्टी सीएम का पद दिया गया वहीं बरसों भाजपा में रहे पर वहां यथोचित सम्मान न मिलने की वजह से कांग्रेस में शामिल हुए वरिष्ठ आदिवासी नेता नंद कुमार साय को भी सीएम बघेल ने अपने वादे के मुताबिक कैबिनेट मेंत्री का पद देकर नवाजा है। इन्हें प्रदेश के छत्तीसगढ़ स्टेट इंडस्ट्रीयल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (सीएसआईडीसी) का अध्यक्ष का पद देकर कैबिनेट मंत्री के पद से नवाजा है। सियासी कदमों पर नजर रखने वाले पारखियों ने कहा है कि सीएम बघेल ने यह फैसला लेकर एक तरह से चुनाव के पहले राजनीतिक संतुलन साधने का सफल प्रयास किया है। इन दोनों अहम फैसलों का लाभ कांग्रेस को प्रदेश के दोनों आदिवासी बहुल क्षेत्रों दक्षिण छत्तीसगढ़ में बस्तर में और उत्तर छत्तीसगढ़ में सरगुजा में मिलने की संभावना है।
इधर टी.एस. सिंहदेव भले ही छत्तीसगढ़ में पहले डिप्टी सीएम बनाए गए हों पर राज्य में इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी भूपेश बघेल के चेहरे के साथ ही मैदान में उतरने वाली है। स्वयं सिंहदेव ने इस बात का जिक्र किया है। 29 जून को पाटन के एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि इस बार पाटन के लोग विधायक नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ का सी एम चुनने जा रहे हैं।
छत्तीसगढ़ के एक वरिष्ठ कांग्रेसी सांसद का कहना है कि इस वक्त टी. एस. सिंहदेव को डिप्टी सीएम बनाये जाने के अपने मायने हैं। कांग्रेस सरकार में अतंरविरोध खत्म करने और पार्टी में आपसी तालमेल बढ़ाने की दिशा में इसे एक महत्वपूर्ण फैसला समझा जा रहा है। इसका सीधा मतलब यह हुआ है कि अब तक सरगुजा संभाग के बाहर भी जहां-जहां सिंहदेव की नाराजगी की चर्चा होती रही है वहां पर अब पार्टी में एकता नज़र आएगी। अब वे सब एक मंच पर संयुक्त रूप से पार्टी में एकता के रूप में नजर आएंगे। परोक्ष रूप से पार्टी हाईकमान ने आगामी चुनाव के लिए सीएम बघेल के नाम पर मुहर भी लगा दी है।
वैसे सरगुजा से ज्यादा नंदकुमार साय का प्रभाव बस्तर में माना जाता है। इधर सिंहदेव भी सरगुजा की 14 सीटों पर कांग्रेस के लिए पूरा जोर लगाएंगे। विधानसभा चुनाव से कुछ ही महीने पहले इस तरह के संतुलन की कोशिश को कांग्रेस के भीतर के अंतरकलह को कम करने या खत्म करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
सर्व आदिवासी समाज रहा कांग्रेस की चिंता के केंन्द्र में.. | भूपेश के ही चेहरे पर चुनाव लड़ेगी कांग्रेस पार्टीः सिंहदेव |
राज्य में इसी समय सर्व आदिवासी समाज ने सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। इसका सीधा अर्थ है कि यदी सर्व आदिवासी समाज के लोग चुनाव लड़ते हैं तो कांग्रेस का वोट कटेगा। इन सबके दूरगामी नतीजों को देखते हुए वरिष्ठ आदिवासी नेता नंद कुमार साय का पहले कांग्रेस प्रवेश कराया गया फिर उन्हें कैबिनेट स्तर का मंत्री का दर्जा (सीएसआईडीसी) का अध्यक्ष बनाकर दिया गया। कहा जाता है कि भाजपा में रह कर साय कभी मुख्यमंत्री तो कभी केन्द्रीय मंत्री ही बना देने का इंतजार करते रहे। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अघ्यक्ष तो बने पर हमेशा ही उन्हें मंत्रालय के अधीन ही रहना पड़ा। जाहिर है मंत्री हो जाने की कसक तो बनी ही रही। अब कांग्रेस में आने के बाद नंद कुमार साय को नेता प्रतिपक्ष होने के बाद पहली बार केन्द्रीय मंत्री के दर्जे वाला महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। कहना न होगा कि कांग्रेस ने न केवल सम्मान दिया बल्कि सीएम बघेल ने उन्हें हर उस जगह पर साथ रखा जहां होने के लिए भाजपा में रहते हुए श्री साय को मशक्कत करनी पड़ती थी। | उप मुख्यमंत्री बनाये गए टी.एस. सिंहदेव से पूछने पर कि आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का चेहरा कौन होगा उन्होंने कहा कि – भूपेश बघेल मुख्यमंत्री हैं और आम तौर पर चुनाव लड़ते समय मुख्यमंत्री और प्रदेशकांग्रेस के अध्यक्ष का चेहरा ही सामने किया जाता है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में तो परंपरा रही है कि सब एकजुट होकर चुनाव लड़ते हैं हमने पिछली बार भी तो ऐसे ही किया था। एक व्यक्ति अकेले चुनाव नहीं लड़ सकता, जीत सुनिश्चित नहीं कर सकता है। सिंहदेव ने कहा कि पिछली बार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के तौर पर बघेल जी का चेहरा आगे किया गया था। इस बार वे मुख्यमंत्री हैं । सिंहदेव ने राज्य के पहले उपमुख्यमंत्री नियुक्त होने के बाद कहा कि उन्होंने कभी भी ढाई साल मुख्यमंत्री पद के फार्मूले की बात नहीं की थी और दावा किया ये सब मीडिया द्वारा बनाई गई चर्चा थी। दिल्ली से गुरूवार 29 जून को रायपुर हवाई अड्डे पर पहुंचने पर डिप्टी सीएम टी. एस. सिंहदेव ने अपनी नयी नियुक्ति के लिए पार्टी का आभार व्यक्त किया और कहा कि देर आए दुरुस्त आए। प्रदेश में चुनाव के ठीक पहले की गई इस नियुक्ति पर श्री सिंहदेव ने कहा कि एक दिन के लिए दी गई जिम्मेदारी भी महत्वपूर्ण होती है। |
सिंहदेव को जिम्मेदारी से विपक्ष को तकलीफ क्योः बघेल |
सीएम भूपेश बघेल ने दुर्ग प्रवास पर कहा कि टी एस सिंहदेव के डिप्टी सीएम बनने पर विपक्ष को दिक्कत तो नहीं होनी चाहिए। आखिर विपक्ष को इस फैसले से तकलीफ क्यों हो रही है। छत्तीसगढ़ में तो इतिहास गढ़ा है। |
■ भाजपा ने दोनों राज्यों में लगाई सौगातों -वादों की झड़ी ■ विपक्षी खेमा भी सक्रिय हुआ ■ इन दोनों राज्यों में चुनाव नवंबर में होने की चर्चा
हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं । हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। चाहे वे किसी धर्म या व्यवसाय के हों। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है फिर वह गुरूद्वारा हो, दरगाह या फिर मंदिर, तो उसे हटाना ही पड़ेगा। यह जनता के आवागमन में बाधा नहीं डाल सकती। साथ ही अवैध निर्माण तोड़ने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए। महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं । - जस्टिस बी.आर. गवई
हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं । हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। चाहे वे किसी धर्म या व्यवसाय के हों। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है फिर वह गुरूद्वारा हो, दरगाह या फिर मंदिर, तो उसे हटाना ही पड़ेगा। यह जनता के आवागमन में बाधा नहीं डाल सकती। साथ ही अवैध निर्माण तोड़ने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए। महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं । - जस्टिस बी.आर. गवई
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