अब महाराष्ट्र-झारखंड में चुनावी सरगर्मियां तेज..
■ भाजपा ने दोनों राज्यों में लगाई सौगातों -वादों की झड़ी ■ विपक्षी खेमा भी सक्रिय हुआ ■ इन दोनों राज्यों में चुनाव नवंबर में होने की चर्चा
• 50 सीटों पर पुरुषों से ज्यादा महिलाओं के वोट • महिला मतदाता बहुल सीटों के अलावा दूसरी सीटों पर भी ज्यादा वोटिंग, कांग्रेस और भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र में महिलाओं के लिए कई बड़े वादे
रायपुर। प्रदेश में चुनाव तो हो चुके पर इस बार एक अच्छी खबर यह कि ग्रामीण महिलाओं में चुनाव में हिस्सा लेने की समझ और जज्बा बढ़ा है। विधानसभा निर्वाचन 2023 में अपने मताधिकार का उपयोग करने वाली महिला मतदाताओं की संख्या अपने मताधिकार का उपयोग करने वाले कुल पुरुष मतदाताओं की संख्या से अधिक है। छत्तीसगढ़ के कुल 90 विधानसभा क्षेत्रों में से 50 में पु्रुषों की तुलना में महिलाओं ने कही अधिक संख्या में मतदान किया।
छत्तीसगढ़ में ऐसा पहली बार हुआ है कि जब पु्रुषों के मुकाबले ज्यादा संख्या में महिलाएं वोट डालने बूथों पर पहुंची हैं। इधर महिलाओं के मतदान में अधिक संख्या में भाग लेने के आधार पर राज्य में दोनो ही प्रमुख राजनीतिक पार्टियां सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्षी दल भाजपा विधानसभा चुनाव के परिणामों के आकलन में जुटी हैं। यह बात तो पहले से जाहिर थी कि प्रदेश में प्रति हजार पुरुष मतदाताओं की तुलना में एक हजार तीन महिला मतदाता रही हैं । इसी को ध्यान में रखते हुए प्रदेश के चुनाव आयोग ने भी पहले से ही महिलाओं के लिए पिंक बूथ की व्यवस्था की थी । इतना ही नहीं बल्कि महिलाओं के लिए खास बने इन बूथों में चुनाव करवाने की जिम्मेदारी भी महिला अफसरों और कर्मियों के जिम्मे थी।
इसी बात का ध्यान राजनीतिक पार्टियों ने अपने घोषणा पत्र में भी रखा। दरअसल दोनों ही राजनीतिक पार्टियों ने चुनाव के दौरान अपने चुनावी घोषणापत्र में महिलाओं को ही केन्द्र में रखकर उनके लिए ही बड़ी घोषणाएं की। अपेक्षाकृत अधिक महिला मतदाताओं के मतदान में हिस्सेदारी और अपने अपने घोषणापत्र में महिला केन्द्रित योजनाओं के होने के कारण दोनो ही प्रमुख बड़ी पार्टियां यह दावा कर रही हैं कि महिलाओं की अधिक वोटिंग का लाभ उन्हें ही मिलेगा।
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के अंतर्गत क्रमशः 7 और 17 नवंबर को हुए दो चरणों के मतदान के आकड़ों के अवलोकन के बाद यह साफ है कि अपने मतदान के अधिकार का उपयोग करने में महिलाओं की सहभागिता और जागरुकता कम नहीं है।
मुख्यनिर्वाचन अधिकारी कार्यालय के मुताबिक भरतपुर, सोनहत, प्रतापपुर, रामानुजगंज,सामरी, लुण्ड्रा, अंबिकापुर, सीतापुर, जशपुर, कुनकुरी, पत्थलगांव, लैलूंगा, सारंगढ़, खरसिया, धर्मजयगढ़, रामपुर, पालीतानाखार,जैजैपुर, मरवाही,सरायपाली, बसना, खल्लारी, महासमुंद, बिलाईगढ़, राजिम, बिंद्रानवागढ़, सिहावा,डौंडीलोहारा,गुंडरदेही,संजारी बालोद, धमतरी, दुर्ग शहर, पंडरिया,
कवर्धा, खैरागढ़, डोंगरगढ़, राजनांदगांव,डोंगरगांव, खुज्जी, मोहलामानपुर, भानुप्रतापुर,कांकेर, केशकाल,कोंडागांव, नारायणपुर, बस्तर, जगदलपुर, चित्रकोट,दंतेवाड़ा, बीजापुर और कोंटा विधानसभा क्षेत्रों में मतदान केन्द्रों में आकर वोट डालने वाली महिला मतदाताओं की संख्या पुरुष मतदाताओं की तुलना में अधिक है।
पुरुषों के मुकाबले 64 हजार महिलाएं ज्यादा पहुंची वोट डालने.. प्रदेश में दो चरणों में हुए मतदान में कुल 1 करोड़ 55 लाख 61 हजार और 460 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया जिसमें 77 लाख, 48 हजार 612 पुरुष मतदाता और 78 लाख 12 हजार 631 महिला मतदाताओं ने मतदान किये। इस प्रकार चुनाव में अपने मताधिकार का उपयोग करने वाली महिला मतदाताओं की कुल संख्या भी वोट डालने वाले पुरुष मतदाताओं की तुलना में बहुत अधिक है। | आदिवासी सीटों पर भी वोटिंग में महिलाएं आगे.. अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित विधानसभा क्षेत्र - भरतपुर सोनहत,प्रतापपुर, रामानुजगंज, सामरी, लुण्ड्रा, सीतापुर,जशपुर,कुनकुरी,पत्थलगांव, लैलूंगा,धर्मजयगढ़, रामपुर, पालीतानाखार,मरवाही, बिंद्रानवागढ़, सिहावा, डौंडीलोहारा, मोहला मानपुर, भानुप्रतापपुर, कांकेर, केशकाल, कोंडागांव, नारायणपुर,बस्तर,चित्रकोट,दंतेवाड़ा,बीजापुर व कोंटा में भी पुरुषों की तुलना में वोट डालने वाली महिला मतदाताओं की संख्या ज्यादा रही है। |
■ भाजपा ने दोनों राज्यों में लगाई सौगातों -वादों की झड़ी ■ विपक्षी खेमा भी सक्रिय हुआ ■ इन दोनों राज्यों में चुनाव नवंबर में होने की चर्चा
हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं । हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। चाहे वे किसी धर्म या व्यवसाय के हों। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है फिर वह गुरूद्वारा हो, दरगाह या फिर मंदिर, तो उसे हटाना ही पड़ेगा। यह जनता के आवागमन में बाधा नहीं डाल सकती। साथ ही अवैध निर्माण तोड़ने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए। महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं । - जस्टिस बी.आर. गवई
हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं । हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। चाहे वे किसी धर्म या व्यवसाय के हों। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है फिर वह गुरूद्वारा हो, दरगाह या फिर मंदिर, तो उसे हटाना ही पड़ेगा। यह जनता के आवागमन में बाधा नहीं डाल सकती। साथ ही अवैध निर्माण तोड़ने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए। महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं । - जस्टिस बी.आर. गवई
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