अब महाराष्ट्र-झारखंड में चुनावी सरगर्मियां तेज..
■ भाजपा ने दोनों राज्यों में लगाई सौगातों -वादों की झड़ी ■ विपक्षी खेमा भी सक्रिय हुआ ■ इन दोनों राज्यों में चुनाव नवंबर में होने की चर्चा
■ कैबिनेट से मंजूर चर्चा क बाद बनेगा कानून ■ कोविंद समिति की सिफारिश पर आगे कार्रवाही के लिए कार्यान्वयन समूह बनेगा.
नई दिल्ली। केन्द्रीय कैबिनेट ने एक देश - एक चुनाव पर बड़ा कदम उठाया है। बुधवार 18 सिंतबर को इस काम के लिए गठित पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमेटी की सिफारिश को मंजूरी दे दी।
सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि एक साथ चुनाव को दो चरणों में लागू किया जाएगा। पहले चरण में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव करवाए जाएंगे फिर दूसरे चरण में इसके सम्पन्न होने के 100 सौ दिनों बाद पंचायत और स्थानीय निकायों के चुनाव होंगे। सभी चुनावों के लिए एक ही वोटर लिस्ट काम में ली जाएगी।
सिफारिशों को लागू करने और बिल को शीतकालीन सत्र में रखने के सवाल पर सीधा जवाब नहीं देते हुए मंत्री ने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह कह चुके हैं कि सरकार अपने इसी कार्यकाल में इसे लागू करवाएगी। उन्होंने कहा कि एक देश एक चुनाव के लिए सर्वसम्मति बनाई जाएगी। अगले कुछ महीनों में सभी संबंधित पक्षों से बातचीत होगी। इसके लिए एक क्रियान्वयन कमेटी का गठन भी किया जाएगा।
यदि 2029 में एक साथ चुनाव तो मप्र, छग और राजस्थान में विस्तार जरूरी .. इसके तहत यदि सभी विधानसभाओं का कार्यकाल जून 2029 में समाप्त करना है तो पांच राज्य मिजोरम, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना राज्य ऐसे हैं जिनकी विधानसभाओं को छह महीने का विस्तार देना जरूरी होगा। इनके चुनाव 2028 में ही होना है। इसके अलावा छह विधानसभाएं -गुजरात, हिमाचल प्रदेश, मेघालय, नगालैंड, त्रिपुरा और कर्नाटक का कार्यकाल एक साल एक महीने से लेकर एक साल 7 महीने का ही रहेगा। गोवा, मणिपुर, पंजाब, उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश की विधानसभाओं का कार्यकाल 2 साल 1 महीने से लेकर 2 साल 3 महीने का होगा।पुदुचेरी, बंगाल,तमिलनाडु,केरल, असम और बिहार विधानसभाओं का कार्यकाल 3 साल से लेकर 3 साल 7 महीने का होगा। जबकि हरियाणा, महाराष्ट्र , झारखंड, जम्मू-कश्मीर और दिल्ली का कार्यकाल 4 साल 4 महीने से लेकक 4 साल 7 महीने का होगा। |
क्या होंगी दिक्क्तें—
चुनाव आयोग के अनुसार 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए करीब 12 लाख पोलिंग स्टेशन बनाये गए । 2029 में पोलिंग स्टेशन बढ़कर 13 लाख 57 हजार तक पहुंच जाएंगे एसा अनुमान है। यदि लोकसभा-विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होंगे तो ईवीएम की 26 लाख 55 हजार बैलेट यूनिट, 17 लाख 78 हजार कंट्रोल यूनिट और करीब 17 लाख 79 हजार वीवीपेट मशीन की कमी होगी। लिहाजा इनको पूरा करने के लिए 7951 करोड़ का अतिरिक्त खर्च इन मशीनों पर करना होगा। इतना ही नहीं एक साथ चुनाव कराने के लिए ईवीएम मशीन को रखना भी चुनौती होगी। चुनाव आयोग कह चुका है कि ईवीएम को रखने के लिए वेयरहाउस पहले ही से कम हैं। प्राइवेट इमारतों और शिक्षण संस्थानों में इनका स्टोरेज करना पड़ता है।
2024 के आम चुनाव में 70 लाख कर्मचारी चुनाव कार्य में तैनात किये गए थे। हर पांच साल बाद 15 फीसदी अधिक कर्मचारियों की इस काम के लिए जरूरत होती है।
झारखंड और महाराष्ट्र में तय समय पर चुनाव-
कैबिनेट की मंजूरी के बाद महाराष्ट्र और झारखंड के चुनावों की तारीखों पर असर की संभावना नही है। हरियाणा और जम्मू कश्मीर के बाद यहां चुनाव होंगे।
संवैधानिक उपाय की सिफारिश -
यदि केन्द्र या राज्य सरकार बहुमत खोती है तो कोविंद समिति और लॉ कमीशन की सिफारिश है कि ऐसी स्थिति में बची हुई अवधि के लिए ही चुनाव कराए जाएं।
स्टेटमेंट्स -
कैबिनेट ने एक देश एक चुनाव की सिफारिशों को मंजूर कर लोकतंत्र की मजबूती और विविधता की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। मैं पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के प्रयासों को धन्यवाद देता हूं।
नरेन्द्र मोदी , प्रधानमंत्री
यह व्यावहारिक नहीं है । जब भी चुनाव आते हैं भाजपा असल मुद्दों से ध्यान हटाने ऐसे पैंतरे चलाती है। ऐसा करना संविधान और संघवागद के खिलाफ है। देश इसे कभी स्वीकार नहीं करेगा।
मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस अध्यक्ष
■ भाजपा ने दोनों राज्यों में लगाई सौगातों -वादों की झड़ी ■ विपक्षी खेमा भी सक्रिय हुआ ■ इन दोनों राज्यों में चुनाव नवंबर में होने की चर्चा
हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं । हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। चाहे वे किसी धर्म या व्यवसाय के हों। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है फिर वह गुरूद्वारा हो, दरगाह या फिर मंदिर, तो उसे हटाना ही पड़ेगा। यह जनता के आवागमन में बाधा नहीं डाल सकती। साथ ही अवैध निर्माण तोड़ने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए। महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं । - जस्टिस बी.आर. गवई
हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं । हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। चाहे वे किसी धर्म या व्यवसाय के हों। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है फिर वह गुरूद्वारा हो, दरगाह या फिर मंदिर, तो उसे हटाना ही पड़ेगा। यह जनता के आवागमन में बाधा नहीं डाल सकती। साथ ही अवैध निर्माण तोड़ने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए। महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं । - जस्टिस बी.आर. गवई
■ हमारे साझा सरोकार "निरंतर पहल" एक गम्भीर विमर्श की राष्ट्रीय मासिक पत्रिका है जो युवा चेतना और लोकजागरण के लिए प्रतिबद्ध है। शिक्षा, स्वास्थ्य, खेती और रोजगार इसके चार प्रमुख विषय हैं। इसके अलावा राजनीति, आर्थिकी, कला साहित्य और खेल - मनोरंजन इस पत्रिका अतिरिक्त आकर्षण हैं। पर्यावरण जैसा नाजुक और वैश्विक सरोकार इसकी प्रमुख प्रथमिकताओं में शामिल है। सुदीर्ध अनुभव वाले संपादकीय सहयोगियों के संपादन में पत्रिका बेहतर प्रतिसाद के साथ उत्तरोत्तर प्रगति के सोपान तय कर रही है। छह महीने की इस शिशु पत्रिका का अत्यंत सुरुचिपूर्ण वेब पोर्टल: "निरंतर पहल डॉट इन "सुधी पाठको को सौपते हुए अत्यंत खुशी हो रही है। संपादक समीर दीवान
Address
Raipur
Phone
+(91) 9893260359