अब महाराष्ट्र-झारखंड में चुनावी सरगर्मियां तेज..
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रायपुर। राज्य में अब नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव साथ कराए जाएंगे। पहले इसे लेकर संशय की स्थिति थी। सूत्रों के मुताबिक अब दिसंबर और जनवरी में चार चरणों में चुनाव कराए जा सकते हैं। राज्य निर्वाचन आयोग ने भी मतदाता सूची के पुनरीक्षण और प्रकाशन की तिथियां तय कर दी है। 29 नवंबर तक मतदाता सूची तैयार हो जाएगी। इसके प्रकाशन के साथ ही नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव के लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिये जाएंगे। इसके बाद अगले एक महीने में ओबीसी आरक्षण का मामला भी सुलझा लिये जाने की उम्मीद है।
इसके लिए छत्तीसगढ़ पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग वार्ड वार सर्वे का काम शुरू कर चुका है। प्रदेश मेंं पछड़ा वर्ग की आबादी 48 से 52 प्रतिशत तक है। जिन शहरों में आबादी 40 फीसदी से ज्यादा है वहां भी इनको आरक्षण 25 फीसदी ही मिलता है। आयोग के मुताबिक रायपुर, बिलासपुर और दुर्ग जैसे बड़े शहरों में पछड़ा वर्ग की आबादी ज्यादा है।
यहां पर एस एसटी वर्ग 10 से 15 फीसदी हैं। ऐसे में यहां ओबीसी को 35 प्रतिशत तक आरक्षण मिल सकता है। दरअसल आरक्षण का पैमान अधिकतम 50 प्रतिशत तक है। राज्य में अभी तक नगरीय निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में ओबीसी को 25 फीसदी आरक्षण दिया जाता रहा है। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार छत्तीसगढ़ पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग ओबीसी को उनकी आबादी के अनुपात में आरक्षण देने के लिए सर्वे करा रहा है। निकाय चुनाव और पंचायत चुनाव एक साथ कराने की सिफारिश को लेकर सरकार ने एक कमेटी गठित की है। अगले कुछ दिनों में उक्त कमेटी के सुझाव भी सार्वजनिक हो जाएंगे।
पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग अगले महीने के अंत तक आरक्षण संबंधी अंतरिम सिफारिशें सरकार को सौंप देगा। ऐसे में चुनाव साथ कराने की बड़ी बाधा भी दूर हो जाएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि पंचायत चुनाव अपने तय समय से पहले तो कराए जा सकते हैं पर निकाय चुनाव की तिथि आगे नहीं बढ़ सकती ।
विशेषज्ञों का मानना है कि निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ कराने में दो बड़ी चुनौतियां हैं। पहला तो स्थानीय चुनाव में होने वाले विवादों से निबटने के लिए सुरक्षा के इंतजाम का है। प्रदेश में नक्सल मोर्चे पर तैनात 60 हजार जवानों को चुनाव में लगाया जा सकता है। इसमें केन्द्रीय बल अलग से नहीं बुलाया जाएगा।
पूरे प्रदेशभर में घर -घर जाकर सर्वे का काम किया जा रहा है । ओबीसी आरक्षण संबंधी रिपोर्ट के कारण निकाय चुनाव में कोई बाधा नहीं आयेगी। आयोग समय पर अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप देगा।
आर एस विश्वकर्मा, अध्यक्ष छत्तीसगढ़ पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग
विशेषज्ञ की राय-
तीन परेशानियां दूर करनी होगी-
निकाय चुनाव और पंचायत चुनाव को एक साथ करने में कोई तकनीकी दिक्कत नहीं है। हालांकि तीन मूलभूत परेशानियां हैं। पहली -मतदाता सूची तैयार करना, दूसरा चुनाव कराने के लिए बड़े पैमाने पर अमले की जरूरत औऱ तीसरा है- चुनाव के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सुरक्षा बलों का व्यापक स्तर पर इंतजाम। राज्य में 11 हजार से ज्यादा पंचायतें हैं । पंचायतों के चुनाव में हिंसा होती है। इसके लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने होंगे। विधानसभा और लोकसभा चुनाव के समय केन्द्र 50-60 हजार जवान भेजता है। अभी केन्द्र सरकार कोई पैरा मिलिटरी भेजेगी नहीं। ओबीसी आरक्षण तय करना होगा।
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हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं । हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। चाहे वे किसी धर्म या व्यवसाय के हों। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है फिर वह गुरूद्वारा हो, दरगाह या फिर मंदिर, तो उसे हटाना ही पड़ेगा। यह जनता के आवागमन में बाधा नहीं डाल सकती। साथ ही अवैध निर्माण तोड़ने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए। महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं । - जस्टिस बी.आर. गवई
हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं । हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। चाहे वे किसी धर्म या व्यवसाय के हों। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है फिर वह गुरूद्वारा हो, दरगाह या फिर मंदिर, तो उसे हटाना ही पड़ेगा। यह जनता के आवागमन में बाधा नहीं डाल सकती। साथ ही अवैध निर्माण तोड़ने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए। महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं । - जस्टिस बी.आर. गवई
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