अब महाराष्ट्र-झारखंड में चुनावी सरगर्मियां तेज..
■ भाजपा ने दोनों राज्यों में लगाई सौगातों -वादों की झड़ी ■ विपक्षी खेमा भी सक्रिय हुआ ■ इन दोनों राज्यों में चुनाव नवंबर में होने की चर्चा
• पीएम मोदी ने कहा यह नए भारत की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब, विकसित भारत के संकल्प को साकार करेगा, विश्व को भी करेगा प्रभावित • संगोल को किया साष्टांग दंडवत
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर मोदी ने 28 मई रविवार को नव निर्मित भव्य संसद भवन को हिन्दू रीति से पूजा अर्चना कर देश को समर्पित किया। राजदंड या सेंगोल की विधिविधान से पूजा अर्चना कर पूरे अनुष्ठान के साथ करीब 21 विपक्षी लपार्टियों के इस ऐतिहासिक काम का बहिष्कार कर दिया।
इस अवसर पर पीएम मोदी ने कहा कि नया संसद भवन विकसित भारत के सपनों को साकार करेगा जो अन्य देशों को प्रगति के लिए प्ररित करेगा। यह आत्मनिर्भर भारत के सूर्योदय का साक्षी भी बनेगा। सुसज्जित भव्य लोकसभा के नए भवन में अपने पहले उद्बोधन में पीएम मोदी ने कहा कि नया संसद भवन महज इमारतभर नहीं है बल्कि 140 करोड़ भारतवासियों की आकांक्षाओं और सपनों का प्रतिबिंब भी है। यह राष्ट्रीय पक्षी मोर की आकृति में सुरुचिपूर्ण ढंग से विकसित किया गया है। यह विश्व को भारत के दृढ संकल्प का देता है। उन्होंने कहा यह योजना को यथार्थ से, नीति को निर्माण से , ईच्छा शक्ति को क्रिया शक्ति से, संकल्प को सिध्दि से जोड़ने वाली अहम कड़ी साबित होगा।
स्पीकर ओम बिड़ला, उपसभापति हरिवंश, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा, पूर्व स्पीकर सुमित्रा महाजन, केन्द्रीय मंत्रियों और राज्य के मुख्यमंत्रियों अनेक विपक्षी दलों के सदस्यों और विशिष्ट अतिथियों की तालियों की गड़गड़ाहट के बीच पीएम मोदी ने कहा कि यह नूतन और पुरातन के सहअस्तित्तव का भी आदर्श है।
प्रधानमंत्री मोदी ने संगोल को कर्तव्य सेवा और राष्ट्रपथ का प्रतीक बताते हुए कहा-जब भी संसद की कार्रवाई शुरू होगी ये संगोल सभी को प्रेरणा देगा। आजादी के 25 साल पहले गांधी जी के असहयोग आंदोलन से देश को विश्वास से भर दिया था तब हर भारतीय आजादी के लिए जी जान से जुट गया था। इसका नतीजा देश ने 1947 में देश की आजादी के रूप में देखा। आजादी का अमृतकाल भी देश के इतिहास में ऐसा ही पड़ाव है। भारत आजादी के 100 वर्ष पूरे करेगा। अगले 25 वर्षों हमें मिलकर भारत को विकसित राष्ट्र बनाना है। भारत लोकतांत्रिक राष्ट्र ही नहीं बल्कि मदर ऑफ डेमोक्रेसी भी है।
प्रधानमंत्री ने कहा – भारत जब तरक्की करता है तब दुनिया तरक्की करती है। इसलिए अब भारत की भूमिका विश्व मंच पर काफी बड़ी हो गई है। सैकड़ों साल की गुलामी में हम अपने मूल कौशल को ही भूल चुके हैं। नए संसद भवन में विरासत, वास्तु कला, कौशल, संस्कृति और संविधान के स्वर सुनाई देते हैं।
• 75 रुपये का सिक्का जारीः-पीएम मोदी ने इस अवसर पर 44 मिमी व्यास और 34.65 ग्राम का एक 75 रुपये मूल्य का सिक्का जारी किया। इसके एक तरफ अशोक स्तंभ बना हुआ है। सिक्के में 50 फीसदी चांदी, 40 फीसदी तांबा और 5- 5 प्रतिशत जिंक और निकल आदि घातु का इस्तेमाल किया गया है।
• उपराष्ट्रपति का संबोधन पहले पढ़ा गया, 20 विपक्षी दल नहीं हुए शामिल | समारोह में पहले उप राष्ट्रपति फिर राष्ट्रपति का संदेश पढ़ा गया। संसद के मुख्य कक्ष में चुनिंदा लोगों को ही आमंत्रित किया गया था। इसमें टाटा संस के चेयरमैन चन्द्रशेखर, दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस भी शामिल थे। बैठने की व्यवस्था नेताओं के कद और वरिष्ठता के आधार पर रखा गया था। हर सीट के लिए नम्बर दिये गए थे। इस अवसर पर 25 राजनीतिक दल उपस्थित थे जबकि 20 विपक्षी पार्टियों ने इस समरोह का बायकाट किया था।
• स्पीकर आखरी समय तक देखते रहे व्यवस्थाः- पूरे कार्यक्रम में सबसे ज्यादा प्रभाव स्पीकर ओम प्रकाश बिड़ला का ही दिखाई दे रहा था। वे छोटी-छोटी व्यवस्थाओं को अंतिम समय तक देखते रहे और जरूरी सुधार भी करवाते रहे। जब प्रधानमंत्री गेट पर पहुंचने वाले थे तो उन्होंने गेट पर खड़े रह कर उस जगह की सफाई भी करवाई।
• पीएम इसे राज्याभिषेक मान रहे हैं- राहुल गांधीः- कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि संसद तो लोगों की आवाज़ है लेकिन प्रधानमंत्री नए संसद के उद्घाटन को राज्याभिषेक की तरह ले रहे हैं। राकांपा नेता शरद पवार ने कहा कि मैं नए संसद का उद्घाटन कार्यक्रम देखकर इसलिए खुश हूँ कि मैं उस समारोह में नहीं गया। उन्होंने कहा कि क्या हम देश को पीछे ले जा रहे हैं।
स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा यह अवसर – राष्ट्रपति मुर्मू |
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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने संदेश में कहा कि संसद के नए भवन के उद्घाटन का यह अवसर भारतीय इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा। यह अवसर हमारी विविधतापूर्ण भारत भूमि के सबसे उत्तरी छोर से दक्षिण बिन्दु तक पूर्वी सीमा से पश्चिमी तट रेखा तक रहने वाले सभी देश वासियों के लिए गौरव और अतुलनीय आनंद का अवसर है। |
■ भाजपा ने दोनों राज्यों में लगाई सौगातों -वादों की झड़ी ■ विपक्षी खेमा भी सक्रिय हुआ ■ इन दोनों राज्यों में चुनाव नवंबर में होने की चर्चा
हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं । हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। चाहे वे किसी धर्म या व्यवसाय के हों। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है फिर वह गुरूद्वारा हो, दरगाह या फिर मंदिर, तो उसे हटाना ही पड़ेगा। यह जनता के आवागमन में बाधा नहीं डाल सकती। साथ ही अवैध निर्माण तोड़ने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए। महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं । - जस्टिस बी.आर. गवई
हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं । हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। चाहे वे किसी धर्म या व्यवसाय के हों। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है फिर वह गुरूद्वारा हो, दरगाह या फिर मंदिर, तो उसे हटाना ही पड़ेगा। यह जनता के आवागमन में बाधा नहीं डाल सकती। साथ ही अवैध निर्माण तोड़ने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए। महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं । - जस्टिस बी.आर. गवई
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