• 28 Apr, 2025

दीवाली पर पहाड़ कुछ ऐसे नज़र आते हैं जैसे

दीवाली पर पहाड़ कुछ ऐसे नज़र आते हैं जैसे

अपूर्व गर्ग , शिमला
अपूर्व गर्ग , शिमला 
पहाड़ों पर     दीवाली   ऐसी मानों तारे पहाड़ों पर उतरकर त्यौहार मनाने आये हों . मानों तारे उजले -उजले वस्त्र पहन कर सबसे हिलते मिलते खूब  झिल मिला रहे हों .
 
दीवाली पर पहाड़ कुछ ऐसे नज़र आते हैं जैसे आसमान धरती पर हो और देखने वाले ख़ूबसूरती से चकित ,विस्मित होकर खुद को हवा में उड़ता महसूस करते हैं .
 
बीते करीब डेढ़ दशकों से मैं दिवाली पर शिमला में ही रहता हूँ पर आज तक नैनीताल ,मैकलॉइड्गंज , डलहौज़ी , गंगटोक में बितायी   दिवाली के चिराग बुझे नहीं हैं .
 
मेरी यादों में हमेशा पहाड़ों पर बितायी  दीवाली  की रोशनी  जलती रहती है . इस रौशनी को याद कर पन्ने पलट कर खुद   को रोशन ही नहीं 'चार्ज ' भी करता रहता हूँ .
 
नैनीताल के ताल पर पहाड़ों की रौशनी का अक्स धीरे -धीरे किसी इठलाती सजी -धजी दुल्हन की तरह उतर कर तल्ली ताल से मल्ली ताल तक पूरे ताल को ही नहीं जगमग करता बल्कि पहाड़ और ताल दिवाली की रौशनी लिए पूरे नैनीताल एक जगमगाते स्वर्ग में बदल देते हैं .
 
मैकलॉइड्गंज के बाज़ार इलाके में बस स्टैंड के पास ठंडी सी रात में देशी विदेशी सैलानियों के साथ मिलकर दीवाली का जश्न 7000 फ़ीट की ऊंचाई पर जिस जोश से मानते हैं आपका दिन ही नहीं ,साल ही नहीं कई साल के लिए सुंदर सी याद बन जाती है और ऐसी यादगार दीवाली  आप कभी न भूल पाएंगे .
 
ऐसे ही लक्ष्मी पूजा के दिन गंगटोक के MG  रोड पेरिस की सबसे खूबसूरत से ज़्यादा सुंदर नज़र आयी . कोई गाडी नहीं ..सब पैदल पूरा गंगटोक MG  रोड पर टहलता ,बधाई देता उत्सवी मूड में दिखा ,ऐसी सुंदरता ही नहीं ऐसा गज़ब अनुशासन भी कहीं देखा नहीं . गंगटोक की दीवाली की रोशनी ,सुंदरता खासकर  झिलमिलाती सड़कों पर टहलने का आनंद दीवाली की रात दुगना महसूस हुआ .
 
शिमला में दूर पहाड़ियों पर उड़ते राकेट ऐसे लगेंगे जैसे एक के बाद एक इंद्रधनुष बनते जा रहे हों . रात नौ बजे के बाद ठिठुरते हुए ,गूंजती झिलमिलाती वादियों के बीच बस यही चाहत रहती है ,ऐसी खूबसूरत रात की सुबह न हो .
 
 आम तौर पर लोग दीवाली पर घर से बाहर नहीं निकलते , घर पर दीवाली मनाते हैं . सही है ...
 
पर एक ज़िंदगी है कोई रफ़ ड्राफ्ट नहीं होता ...
ये दुनिया बहुत खूबसूरत है ,इसके हर रंग ,अलग  ख़ूबसूरती और 
हज़ारों फ़ीट की ऊंचाई पर तारों सी झिलमिलाती रोशनी अब नहीं तो कब देखेंगे ?