सुप्रसिद्ध कहानीकार मन्नू भंडारी अब हमारे बीच नहीं रहीं। मध्यप्रदेश में मंदसौर जिले के भानपुरा गांव में 3 अप्रैल, 1931 को उनका जन्म हुआ था। उनके बचपन का नाम महेंद्र कुमारी था, लेकिन लेखन के लिए उन्होंने मन्नू नाम अपनाया। एम.ए. की पढ़ाई करने के बाद वर्षों तक वह दिल्ली के प्रतिष्ठित मिरांडा हाउस कॉलेज में अध्यापिका रहीं। धर्मयुग में धारावाहिक रूप से प्रकाशित उपन्यास ‘आपका बंटी’ से लोकप्रियता के शिखर पर पहुँचने वाली मन्नू भंडारी विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में प्रेमचंद सृजनपीठ की अध्यक्षा भी रहीं। लेखन का संस्कार उन्हें विरासत में मिला। उनके पिता सुख सम्पत राय भी जाने माने लेखक थे।
मन्नू जी की रचनाएं : कहानी-संग्रह : एक प्लेट सैलाब, मैं हार गई, तीन निगाहों की एक तस्वीर, यही सच है, त्रिशंकु, श्रेष्ठ कहानियाँ, आँखों देखा झूठ, नायक खलनायक विदूषक। उपन्यास : आपका बंटी, महाभोज, स्वामी, एक इंच मुस्कान और कलवा, एक कहानी यह भी। पटकथाएं : रजनी, निर्मला, स्वामी, दर्पण। नाटक : बिना दीवारों का घर। उन्हें मप्र हिन्दी साहित्य सम्मेलन का भवभूति अलंकरण और हिन्दी अकादमी, दिल्ली का शिखर सम्मान प्राप्त हुआ। इसके अलावा बिहार सरकार, भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता, राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, व्यास सम्मान और उत्तर-प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा भी वे पुरस्कृत मन्नू जी को भावभीनी श्रद्धांजलि।
- 28 Apr, 2025
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