• 28 Apr, 2025

भारत-अमेरिकाः ऐतिहासिक समझौते रक्षा-अंतरिक्ष में नई उड़ान

भारत-अमेरिकाः ऐतिहासिक समझौते रक्षा-अंतरिक्ष में नई उड़ान

• आर्टिमिस संधिः 2024 में अंतरराष्ट्रीय अंकरिक्ष स्टेशन के लिए संयुक्त मिशन भेजेंगे नासा-इसरो | • सीमाएं सुरक्षितः मिलेंगे निगरानी और हमले में सक्षम घातक एमक्यू 9 रीपर ड्रोन |

वाशिंगटन। अमेरीकी कम्पनी एयरो स्पेस और भारतीय की कंपनी हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लि ने 22 जून गुरुवार को हल्के लड़ाकू विमान तेजस के जेट इंजन देश में ही बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण करार पर हस्ताक्षर किए।  ये वो तकनीकी है जिसे अमेरिका ने अब तक अपने करीबी देशों से भी साझा नहीं किया है। 
 इससे पहले जनरल इंजीनियरिंग (जीई) अमेरिका की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिकल जायंट कंपनी पहले भारत को सिर्फ ये इंजन बेचा करती थी और अब रक्षा संबंधों को और मजबूती देते हुए भारत और अमेरिका के बीच एमक्यू -9 रीपर हथियार ड्रोन की बिक्री का समझौता किया है। दावा किया गया है कि यह ड्रोन एमक्यू -1 प्रीडेटर ड्रोन के मुकाबले 9 गुना ज्यादा हार्सपावर क्षमता का है और इसकी तुलना में पांच गुना ज्यादा  हथियार अपने साथ ले जा सकता है। किसी भी युध्द की स्थिति में यह लम्बे समय तक निगरानी करते हुए हमले को अंजाम दे सकता है। भारत को समझौते के तहत यह विमान मिलने के बाद हिन्द महासागर और चीन सीमा पर निगरानी की भारत की क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी। 
   इन दो अहम समझौतों के अलावा दुनिया के दो सबसे लोकतांत्रिक देशों में रक्षा और अंतरिक्ष क्षेत्र में भी बड़े सहयोग की राह खुल गई है। दोनों देशों ने अगले वर्ष के लिए संयुक्त अंतरिक्ष यात्री मिशन शुरू करने की घोषणा की है।  व्हाइट हाउस के प्रवक्ता ने गुरूवार को बताया कि भारत ने आर्टिमिस संधि में शामिल होने का फैसला किया है। इसी के तहत अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और भारत की एजेंसी इसरो ने 2024 में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए संयुक्त मिशन भेजने का फैसला किया है। 
  इसके अलावा गुजरात के सेमीकंडक्टर चिप की टेस्टिंग और असेंबलिंग का संयंत्र लगाने से संबंधित समझौता पीएम के अमेरिका दौरे की एक और बड़ी उपलब्धि मानी जा  रही है। 22 जून को ही अमेरिकी कंपनी माइक्रोन के सीईओ संजय मल्होत्रा पीएम मोदी से भेंट करने के बाद गुजरात में इस संयंत्र के निर्माण के लिए 6759 करोड़ के निवेश की घोषणा की है।

रणनीतिक समझदारी नए स्तर पर- मोदी
व्हाइट हाउस में पीएम मोदी ने कहा कि हम आर्टेमिस समझौते में शामिल होने के लिए सहमत हुए हैं। हमने अपने अंतरिक्ष सहयोग की दिशा में नई छलांग लगाई है।  पीएम मोदी ने 22 जून की रात कहा कि बाइडन के साथ आज की बातचीत के बाद भारत-अमरीका के बीच रणनीतिक साझेदारी एक नए स्तर पर पहुंच गई है। हम भारत को हरित ऊर्जा केन्द्र बनाने के लिए काम कर रहे हैं। आतंकवाद और कट्टरपंथ के खिलाफ लड़ाई में भारत और अमेरिका कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं।
सबसे महत्वपूर्ण साझेदारी में से एकः बाइडन
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि भारत-अमेरिका साथ मिलकर दुनिया के साझे भविष्य का मार्ग खोल रहे हैं।  जिसके बारे में मैं समझता हूं कि इसमें असीमित संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि भारत के साथ यह साझेदारी दुनिया में सबसे महत्वपूर्ण साझेदारी में से एक है, जो इतिहासम में किसी भी समय से अधिक मजबू, करीबी और अधिक गतिशील है। पीएम मोदी और मैंने लोकतांत्रिक मूल्यों को लेकर अधिक चर्चा की। 

बड़े समझौते एक नज़र में – 

  • देश में सेमीकंडक्टर वे जेट इंजन के संयंत्र बनेंगे
  • दोनो देश संयुक्त रूप से जेट इंजन बनाएंगे
  • माइक्रोन अमेरिकी कंपनी 22.5 हजार करोड़ की लागत से संयंत्र लगाएगी। इसी तरह सेमीकंडक्टर असेंबली पर 6.5 हजार करोड़ निवेश करेगी।
  • एप्लाइड मटेरियल्स भी सेमीकंडक्टर सेंटर खोलेगी। चिप निर्माता लैम रिसर्च देश में 60 हजार इंजीनिरयर्स को ट्रेनिंग देगी।
  • नासा-इसरो अंतरिक्ष स्टेशन का दौरा करने के लिए संयुक्त मिशन पर राजी
भारत ने अपना सियोल खोजा, 2031 तक उत्पादन तीन गुना बढ़ेगा

पूर्वी एशियायी देशो ने दशकों तक बुनियादी ढांचे, उत्पादन और निर्यात में निवेश व विदेशी मुद्रा के स्वागत के जरिये तेज विकास हासिल किया। भारत ने इस माडल को खारिज कर नुकसान उठाया।  इन मामलों में दक्षिण कोरिया के रास्ते पर है।  मोदी ने एक औद्योगिक आधार बनाने के उद्देश्य से बुनियादी ढांचे के पक्ष में, राजनीतिक प्रवृत्ति पर अंकुश लगाकर चौंका दिया है। 

विदेशी कंपनियों को नकारा नहीं जा रहा, मोदी ने इस हफ्ते टेस्ला के फाउंडर एलन मस्क को भारत में निवेश के लिए राजी कर लिया है।  यह समय सचमुच भारत के लिए परिवर्तनकारी क्षण है। भारत दुनिया में तेजी से तरक्की कर और बढ़ रहे अमेरिका और चीन के साथ अच्छी तरह तालमेल बिठा रहा है। जिसने सही मायनों में व्यावसायियों को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया है। 

मार्गन स्टेनली के विश्लेषकों ने पिछले सप्ताह भारत के लिए एक विशेष लाभार्थी होने की अपनी अपेक्षा को रेखांकित किया है।  इसके मुताबिक कहा गया है कि हम – भारत में 2031 तक मैनुफेक्चरिंग बेस को तीन गुना होते देख रहे हैं जिसमें जीडीपी का हिस्सा 16 फीसदी से बढ़कर 21 फीसदी हो जाएगा।  सीटी ग्रुप इंक के अर्थशास्त्री समीरन चक्रवर्ती और बकर जैदी ने कहा – निवेशक सहमत हैं कि भारत गोल्डीलॉक्स चरण से गुजर रहा है।  ब्लूमबर्ग के इकॉनॉमिस्ट सर्वे के मुताबिक इस वर्ष भारत 7 प्रतिशत की विकास दर के साथ बढ़  सकता है।  अगले दशक तक इसके 6 फीसद हो जाने का अनुमान किया गया है।  जबकि भारत की जीडीपी चीन से बहुत नीचे है। ठोस विकास दरें ऐसे समय में विशेष रूप से आकर्षक कहानी पेश करती हैं जब चीन की आर्थिकी निराशाजनकक है