कार जो सड़क पर फर्राट भरती और नदी में तैरती है..
■ चीन 2046 में जी रहा है, इसकी तरक्की की रफ्तार देखते ही बनती हैं…..
• कोयले पर केन्द्रित पहला रोड कॉरीडोर, दोनों और चार फिट की बाउंड्री भी • पहला एक्सेस कंट्रोल रोड सहित और भी विशेषताएं • इस परियोजना की अनुमानित लागत 1181.91 करोड़ कही जा रही है
रायुपर। छत्तीसगढ़ के गठन के बाद से अधोसंरचना विकास की एक अच्छी शुरुआत हुई है जिनमें सड़क नेटवर्क सबसे अहम और उपयोगी पहल कही जा सकती है। इसी कड़ी में केन्द्र की भारतमाला परियोजना में रायपुर से बिलासपुर होकर धनबाद तक 707 किमी लंबी ऐसी 6 लेन रोड बनने जा रही है जो छत्तसगढ़ की व्यावसायिक गतिविधियों के लिए बहुत उपयोगी साबित होगी। इकॉनॉमिक कॉरीडोर का काम करने वाली इस सड़क की एक दो नही 20 खूबियां बताई गईं हैं।
इसके साथ ही यह प्रदेश की पहली ऐसी सड़क होगी जिसे एक्सेस कंट्रोल सड़क कहा जा रहा है यानी इस पर आने जाने वाले लोगों को नियंत्रित किया जा सकेगा। जिसके दोनो ओर चार –चार फिट ऊंची दीवार भी बनायी जाएगी। इतना ही नहीं इसके साथ ही रायपुर से बिलासपुर के लिए बनी फोर लेन सड़क भी आगे चल कर 6 लेन रोड में बदल दी जाएगी। अभी राजधानी रायपुर से झारखंड के बड़े शहर धनबाद पहुंचने में पूरे 11 घंटे लगते हैं इस 6 लेन रोड के बन जाने से यह समय 7 घंटे में सिमट जाएगा। सड़क को बनने में दो साल का समय लगेगा । कॉरीडोर को नेशनल हाइवे के अधीन 6 लेन बनाने का प्रस्ताव केन्द्र को भेज दिया गया है। अभी इसके बिलासपुर के 70 किमी हिस्से में काम चालू कर भी दिया गया है। इस परियोजना की अनुमानित लागत 1181.91 करोड़ कही जा रही है। इसके बारे में जैसा कि कहा गया है कि यह एक्सेस कंट्रोल रोड होगी तो इसका अर्थ यह हुआ कि इस 707 किमी रोड में प्रवेश की अनुमति कुछ ही जगहों से होगी। जैसे बिलासपुर से उरगा तक 70 किमी में सिर्फ चार जगहों पर एंट्री की जा सकेगी। अभी बिलासपुर से ढेंका तक 70 किमी में काम चल रहा है। कोरबा के तरदा गांव से काम शुरू हुआ है और बलौदा, हरदीविशाल, बाछौद तक पहुंच चुका है। कहीं मिट्टी का बेस तैयार है तो कहीं ओवर और अंडर ब्रिज का काम चल रहा है। इन इलाकों में पोल शिफ्टिंग से सड़क निर्माण के काम करने वालों के जगह –जगह कैंप लगे हैं। जहां-जहां और जैसे-जैसे जमीन उपलब्ध हो रही है निर्माण भी उसी तरह गति पकड़ता जा रहा है। सड़क दो दोनों ओर बाउंड्री के लिए पांच-पांच मीटर जमीन छोड़ी जा रही है।
इस समय बिलासपुर में सात गांवों की जमीन अधिगृहीत की जा रही है जिसमें बिलई, गतौरा, हरदाडीह, नवागांव, निमतरा, परसदा और रलिया शामिल हैं। यह काम एक इंफ्रा कंपनी कर रही है जो अनेक राज्यों में सड़क निर्माण के कई काम कर चुकी है।
707 किमी की पहली सीधी सड़क | अभी धनबाद तक का सफर 11 घंटों का | तीन फ्लाई ओवर और 144 छोटे-बड़े पुल.. | कोयला क्षेत्र को होगा लाभ |
राष्ट्रीय राजमार्ग के इस परियोजना के परियोजना प्रबंधक गौरांग देवधरे ने बताया कॉरीडोर अलग अलग हिस्सों में बन रहा है। रायपुर से बिलासपुर तक सड़क बन चुकी है, जिसकी इस नई परियोजना के अनुसार चौड़ाई बढ़ाई जानी है। अभी बिलासपुर से कोरबा तक रोड बन रही है। इसके पूरा हो जाने के बाद उरगा से पत्थलगांव तक बनेगी। | अभी अलग अलग सड़कों से रायपुर से धनबाद पहुंचने में 11 घंटों का समय लग जाता है। यह न्यूनतम समय है। यह नई सड़क बन जाने से यह दूरी केवल 7 घंटों की रह जाएगी। इसके साथ ही रायपुर से बिलासपुर, बिलासपुर से कोरबा और जशपुर की दूरियां भी घट कर आधी रह जाएंगी। लेकिन सड़क से बाहर आने की सुविधा 20 से 25 की दूरी पर ही मिल सकेगी। | इकॉनॉमिक कॉरीडोर में आम सड़कों से ट्रैफिक न आने पाये इसलिए 70 किमी में ही 2 आरओबी, 3 फ्लाईओवर, 6 बड़े पुल, 13 छोटे पुल और 125 पुलिया बनाये जा रहे हैं। कॉरीडोर का निर्माण 24 महीनों में होना था, लेकिन कुछ तकनीकी कारणों और जमीन अधिग्रहण में हुई देरी से इसमें भी देर हुई। | इस सड़क के बनने का लाभ बिलासपुर में साउथ ईस्टर्न कोल फील्ड लिमिटेड (एसईसीएल) कंपनी की कोरबा समेत कई जिलों को होगा जहां कोयले की खदानें हैं। यहां से कुल 16 कोयला खानों से कोयले की उत्तखनन जारी है। सड़क के कोरबा से जुड़ने के कारण क्षेत्र और आसपास जमुनापाली, चिरमिरी समेत कई जगह इसकी खदानों से कोयला परिवहन को इस सड़क से बल मिलेगा। उल्लेखनीय है कि धनबाद भी कोयले के लिए विख्यात है। कोल इंडिया की बोकारो में सीसीएल कंपनी यही काम कर रही है जो झारखंड और धनबाद से जुड़ी है। इससे दोनों जगह कोयले की राह आसान होने वाली है। |
■ चीन 2046 में जी रहा है, इसकी तरक्की की रफ्तार देखते ही बनती हैं…..
■ एनसीआर की तर्ज पर एससीआर बनाने में लग सकता है समय ■ एससीआर में रायपुर, नवा रायपुर, दुर्ग- भिलाई, कुम्हारी, चरौदा, आरंग, पाटन, खरोरा, तिल्दा अभनपुर होंगे शामिल
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