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90 की उम्र में देखा था आत्म निर्भर बनने का सपना कोरोना को दी मात और इस उम्र में शुरू किया अपना खुद का व्यवसाय
चंडीगढ़
को ई कहे कि 90 की उम्र में कोई उद्यमी बन सकता है तो एकदम से यह बात अविश्वसनीय लगती है पर चंडीगढ़ की हरभजन कौर ने इसे सच कर दिखाया है। इनके जज्बे और जुनून ने इस उम्र में उन्हें लखपति उद्यमी बना दिया है। 94 की हो रही हरभजन कौर अपने खुद के बूते पर डेढ़ लाख रुपए महीने से ज्यादा की आमदनी कमा रही है। इनकी यह सच्ची कहानी बहुत से थके- हारो और उत्साह से टूट गए लोगों के लिए एक संबल और प्रेरणा की तरह ही है।
आम बोलचाल में एक उम्र पार कर चुके लोग भी उत्साह बनाए रखने के लिए यह कहते जरूर है कि उम्र में क्या रखा है उम्र तो एक आंकड़ा भर है पर जिसे जीना सचमुच कठिन होता है। बावजूद इसके हरभजन कौर जैसी दादियां यह भली-भांति जानती हैं कि समाज में आप की उपयोगिता आपके सक्रिय रहते तक ही बनी रहती है । आपका सम्मान आप की सक्रियता और उपयोगिता में ही निहित है, लिहाजा चंडीगढ़ की दादी ने अपने उत्साह और कर्मठता से यह साबित कर दिया कि उम्र आपकी किसी भी काम है आड़े नहीं आ सकती जब तक कि आप खुद ही उसे ऐसा करने ना दें। 90 की उम्र में अपना बिजनेस शुरू किया और आज वह ब्रांड बन चुका है। छोटी सी शुरुआत की घर में बेसन की बर्फी बनाने से और आज धीरे-धीरे उनका यह व्यवसाय फलने-फूलने लगा। वह हर महीने डेढ़ लाख रुपए की कमाई कर रही है ।
वैसे तो वृद्धों के लिए एक कहावत हमेशा सुनने मिलती है कि ‘बुढ़ापे को लाठी का सहारा’ मतलब कि कोई ऐसा शख्स जो आखरी उम्र तक आप की देखभाल कर सकें लेकिन चंडीगढ़ की रहने वाली 94 साल की हरभजन कौर ने इस कहावत को गलत साबित कर दिखाया है कि अगर आपने कुछ करने का जज्बा हो तो आपकी उम्र मायने नहीं रखती। मायने रखती है तो सिर्फ आपकी लगन और महत्वपूर्ण होता है काम करने के लिए आपका पक्का इरादा। हरभजन कौर ने आज से 4 साल पहले यानी 90 साल की उम्र में स्वयं का स्टार्ट अप “ हरभजन कौर बेसन की बर्फी स्टार्टअप ” शुरू किया जो आज एक ब्रांड बन चुका है। हरभजन कौर ने बेसन की बर्फी बनाने से अपने व्यवसाय की शुरुआत की लेकिन आज भी बेसन की बर्फी के साथ आचार, कई तरह की चटनियां और शरबत भी बना रही है उनके बनाएं पकवानों को लोग काफी पसंद भी कर रहे हैं।
एक निजी टीवी से बातचीत के दौरान हरभजन कौर ने बताया कि उनकी उम्र आज 94 साल हो चुकी है। हमेशा से ही उनके मन में इच्छा थी कि वह खुद का कुछ काम शुरू करें। क्योंकि उन्होंने अपनी जिंदगी में हर जिम्मेदारी बखूबी निभायी फिर चाहे वह माता-पिता की देखभाल हो शादी हो या घर गृहस्थी हो सभी कुछ। हरभजन कौर ने कहा कि इन सबके बीच मैंने कभी अपने बलबूते पर कोई काम नहीं किया और ना ही जिंदगी भर एक भी रुपया कमाया। उनके मन में यही एक अधूरी ख्वाहिश थी कि वह खुद कुछ काम करें और अपने काम के जरिए पैसा
कमाए जिसे पूरा करने के लिए उन्होंने इसकी शुरुआत की।
किस तरह हुई स्टार्टअप की शुरुआत
मां की बढ़ती उम्र को देखते हुए एक दिन हरभजन कौर की बेटी रवीना सूरी ने उनसे पूछा कि आपको कहीं जाने की इच्छा है? या कुछ ऐसा करने की जो आप नहीं कर पाई हैं। तब हरभजन कौर ने कहा कि आज तक मुझे इस बात का मलाल है कि मैंने पैसे नहीं कमाए। फिर उनकी बेटी ने पूछा कि आपको क्या करने की इच्छा है? तब बुजुर्ग ने कहा कि मैंने जीवनभर ही घर में खाना बनाया है मुझे बेसन की बर्फी बनानी आती है मैं उसको बेचकर पैसे कमाना चाहती हूं ।कोई तो मेरी बनाई बेसन की बर्फी खरीद ही लेगा। यहीं से रखी गई स्टार्टअप की नींव।
लोगों को पसंद आई बर्फियां
हरभजन कौर की बेटी की मदद से बनाई गई बेसन की बर्फियों को बाजार में सबसे पहले लोगों को मुफ्त खिलाया गया। लोगों और दुकानदारों को यह बर्फियां खूब पसंद आई। इसके बाद उनके पास बर्फियों के आर्डर आने शुरू हो गए हैं। हरभजन कौर को 5 किलो बेसन की बर्फी का पहला आर्डर सेक्टर 18 ऑर्गेनिक बाजार से मिला। उनकी बनाई हुई बर्फियां लोगों को बहुत पसंद आई तो पहली कमाई उन्होंने अपनी तीन बेटियों में बराबर-बराबर बांट दी और कहा कि अपनी कमाई की बात कुछ और ही होती है। इसके बाद परिजनों ने सोचा कि मां का शौक पूरा हो गया है और अब वह आराम करेंगी, पर ऐसा नहीं हुआ।
महि ंद्रा के ट्वीट से बनी ब्रांड
अब हरभजन कौर के पास जैसे-जैसे आर्डर की संख्या बढ़ने लगी वैसे वैसे उन्होंने बर्फी बनानी शुरू कर दी। हरभजन कौर ने निजी टीवी चैनल को बताया कि इस दौरान महिंद्रा एंड महिंद्रा कंपनी के मालिक आनंद महिंद्रा को जब उनके बारे में पता चला तो उन्होंने उनकी तारीफ करते हुए एक ट्वीट भी किया था। आनंद महिंद्रा ने ट्वीट के बाद उनके पास आने वाले ऑर्डर की संख्या और ज्यादा बढ़ गई। अब घर में इतने पैमाने पर सामान तैयार करना संभव नहीं था लिहाजा उन्होंने मोहाली में एक जगह ले ली और वहां पर अपनी रसोई शुरू की। अब मोहाली में ही प्रोडक्शन का काम किया जाता है। उन्होंने कुछ लोगों को भी प्रशिक्षण देकर अपने साथ काम पर लगाया है। हरभजन कौर अमृतसर के नजदीक तरन तारन की रहने वाली हैं। जब उनकी शादी हुई तो वह अपने पति के साथ लुधियाना आ गईं लेकिन 10 साल पहले उनके पति का देहांत हो गया जिसके बाद वह अपनी बेटी के पास चंडीगढ़ आ गई । हरभजन कौर की तीन बेटियां हैं, जिनमें से चंडीगढ़ में अपनी बेटी के पास रहती है निजी टीवी ने बताया कि उन्होंने उन को प्रोत्साहित किया और उनकी सहायता की। जैसे जैसे लोगों को इसके बारे में पता चलता गया वैसे-वैसे हमारे पास आर्डर भी बढ़ते गए। कोविड-19 के पास ज्यादा ऑर्डर्स बढ़े क्योंकि तब लोग बाहर का खाना नहीं लेना चाहते थे। लोग सिर्फ घर का बना खाना ही खाना चाहते थे तब उनके पास काफी आर्डर आए। उनकी बेटी रवीना सूरी ने बताया कि बेसन की बर्फी दो पैकिंग में भेजी जाती है एक 450 ग्राम की पैकिंग है जिसका रेट ₹550 और एक 800 ग्राम की पैकिंग है जिसका रेट ₹850 है। अब बेसन की बर्फी के अलावा बदाम का शरबत, लौकी के अचार, टमाटर की चटनी दाल का हलवा बनाया जाता है। चंडीगढ़ के साप्ताहिक ऑर्गेनिक बाजार में उनकी बर्फियों की बहुत मांग है। इस उम्र में आने के बाद हरभजन कौर थोड़ा कम काम करती है लेकिन उनके बनाए हुए खाद्य पदार्थ इतने स्वादिष्ट होते हैं कि उनके ग्राहकों को इंतजार करने में कोई परेशानी नहीं होती। हरभजन कौर ने कहा कि लोगों को संदेश देना चाहती है कि अपनी ख्वाहिशों को पूरा करने की कोई उम्र नहीं होती और हमें कभी भी हार नहीं माननी चाहिए। हम जब चाहे जिंदगी की शुरुआत फिर से कर सकते हैं । आप मेहनत करेंगे तो आपको सफलता भी जरूर मिलेगी ।
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