• 28 Apr, 2025

इन बर्तनों से बूढ़ादेव की मूर्ति बनेगी | अपील पर दान में मिले कांसे के बर्तन

इन बर्तनों से बूढ़ादेव की मूर्ति बनेगी | अपील पर दान में मिले कांसे के बर्तन

रायपुर।बूढ़ादेव आदिवासी समाज के आराध्य देव हैं। रायपुर के बूढ़ातालाब में उनकी प्रतिमा स्थापित करने छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना द्वारा कांसा दान करने की अपील की गयी थी। बूढ़ादेव को मानने वाले लोग प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों से अपने-अपने घरों में रखे पुराने और नये कांसे के बर्तनों को लेकर यहां पहुंचे और उसका दान किया। देखते ही देखते यहां बर्तनों का ढेर लग गया।

इन बर्तनों को गलाकर करीब 75 फीट उंची प्रतिमा का निर्माण किया जायेगा।
   रायपुर का यह विशाल तालाब बूढ़ादेव के नाम पर ही बूढ़ातालाब रखा गया है। विवेकानंद जी जिन दिनों अपने पिता के साथ रायपुर प्रवास पर आए थे उन दिनों इस तालाब में बचपन में नहाया करते थे इसलिए इसे विवेकानंद सरोवर के नाम से भी जाना जाता है किन्तु बूढ़ातालाब ही पुराना और ज्यादा प्रचलित नाम है। दान में मिले बर्तनों के ढेर में मैंने देखा कि आज से पचास साल से लेकर  सौ साल पहले तक उपयोग किये जा रहे कांसे के बर्तन रखे हुए हैं। नई और पुरानी पीढ़ी के लोग इन बर्तनों को देखते ही रह गये। फूलकांस की थाली, माली, सईकमा, लोटा, चरू, गिलास, बटलोही (ये सब छत्तीसगढ़ी नाम हैं)सहित अनेक ऐसे बर्तन जो अब देखने को भी नहीं मिलते वे सब इस बर्तन के ढेर में रखे हुए थे।
फ़ोटो ■ गोकुल सोनी , रायपुर