कार जो सड़क पर फर्राट भरती और नदी में तैरती है..
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● देश में महंगे घरों के लिए कर्ज देने वाले बैंकों में निजी बैंक आगे
मुंबई। आर्थिक क्षेत्र की प्रगति दुनिया में आई किसी भी आपदा के बाद पहले से कहीं ज्यादा तेज रफ्तार की प्रगति की तरह ही देखी गई है। पुराने नजीर छोड़ भी दिये जाएं तो हाल के वर्षों में कोरोना काल के बाद हुई प्रगति पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा तेज रही है। पिछले दो से तीन वर्षों में कोरोना कोविड-19 के बाद नए घरों की चाहत नए स्तर पर पहुंच गई है। यानी घर महंगा हो, लोन मुश्किल हो या फिर महीने की किश्त यानी ईएमआई ज्यादा आये लोगों पर इनका असर कम ही देखने मिल रहा है।
इस ताजा ट्रेंड को बैंक ऑफ बड़ौदा ( बॉब) की बैंक क्रेडिट रिपोर्ट से समझ सकते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक देश में मार्च 2022 से दिसंबर 2023 के बीच सभी तरह के कर्ज औसतन 1.28 फीसदी तक महंगे हो चुके हैं। इनमें भी होम लोन 1.72 तक महंगा हुआ है इसके चलते 50 लाख रुपये तक के घर कर्ज की ईएमआई 5200 रुपये प्रतिमाह तक बढ़ चुकी है। इसके बावजूद पिछले सालभर में होम लेने वाले पहले की अपेक्षा 35 फीसदी तक बढ़ गए हैं।
हाल ही में आई आरबीआई की रिपोर्ट बताती है कि पिछले साल बैंकों ने कुल 136 करोड़ रुपये के कर्ज बांटे थे। इस बार वही आकड़ा बढ़कर 158.16 लाख करोड़ रुपये हो गया है। खास बात यह है कि सस्ते घरों की मांग34.9 फीसदी तो महंगे घरों की मांग 57 फीसदी तक रही है। सरकारी बैंकों ने 90 प्रतिशत कर्ज 11 प्रतिशत से कम ब्याज दर पर तो निजी बैंकों ने 8 से 13 प्रतिशत पर दिये हैं।
नए उद्योगों को सरकारी बैकों से ज्यादा कर्ज रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि सरकारी बैंकों ने 100 करोड़ रुपये से ज्यादा के 31 प्रतिशत कर्ज बांटे हैं। ये उन उद्योगों को दिये गए हैं जो नए निवेश के लिए आगे आए थे। प्राइवेट बैंकों ने तो उद्योगों को केवल 17 फीसदी ही कर्ज दिये हैं। इसके साथ ही पढ़ाई और पर्सनल लोन सरकारी बैंकों से ज्यादा दिये गए हैं। |
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