• 28 Apr, 2025

हाथियों की आवाजाही के लिए एनएच में बनेंगे पांच अंडर पास

हाथियों की आवाजाही के लिए एनएच में बनेंगे पांच अंडर पास

● सरगुजा में सबसे ज्यादा हाथियों का उत्पात ...

अंबिकापुर।  सरगुजा में सबसे ज्यादा हाथियों का उत्पात रिपोर्ट किया गया है। हाथियों के विचरण क्षेत्र लगातार सिकुड़ने की वजह से ही उनके आचरण में यह देखने में आता है। पर्यावरण के लगातार खराब होने को ही इसके लिए जिम्मेदार माना गया है। छत्तीसगढ़ की सरकारों ने इस समस्या के निदान के लिए दूसरे प्रदेशों से हाथियों के विशेषज्ञ भी बुलवाए थे। लगातार सिकुड़ते जंगल से यह समस्या पहले से और ज्यादा गहरा गई है। अब अंबिकापुर को झारखंड से जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 343 अंबिकापुर रामानुजगंज मार्ग में हाथियों के सुरक्षित आवागमन के लिए अंडर पास बनाए जाएंगे।

सरगुजा संभाग में यह पहली सड़क होगी जिसमें हाथियों के मुवमेंट के लिए अंडर पास बनाए जाएंगे। एनएच और वाइल्ड लाइफ के अफसरों के संयुक्त दौरे के बाद इसके लिए जगह सुनिश्चित कर ली गई है और जल्द ही इस पर काम शुरू होने के संकेत हैं। हाथियों की ज्यादा आवाजाही वाले क्षेत्र की पहचान कर ली गई है और इन्हीं स्थानों पर सड़क के नीचे से अंडर पास बनाए जाएंगे। इस काम के पहले फेज के लिए 72 किमी लम्बी सड़क के निर्माण के लिए ठेके काम पूरा हो चुका है। इस पर 450 करोड़ रुपये खर्च अनुमानित है। दरअसल दो साल पहले ही एनएच के निर्माण के लिए मंजूरी मिल गई थी, लेकिन वाइल्ड लाइफ से स्वीकृति नहीं मिलने से इस पर काम शुरु नहीं हो पा  रहा था। अब यह बाधा दूर हो गई है।

  हाथियों की सबसे ज्यादा आवाजाही जिस रास्ते पर है अंडरपास भी उन्हीं रास्तों पर बनाए जाएंगे। एनएच के अफसरों के अनुसार चांची, अलखड़िया, बासेन,औंराघुरिया( लुरघुटा) और चारपारा में अंडरपास बनाए जाने हैं।  अंडरपास की ऊंचाई पांच मीटर और चौड़ाई 40 मीटर होगी। अंडर पास में हाथी नीचे से हाथी आना जाना करेंगे और ऊपर से वाहनों की आवाजाही होगी। छत्तीसगढ़ में सबसे सरगुजा संभाग ही प्रभावित है क्योंकि यह क्षेत्र ही पिछले तीन दशकों से  उनका स्वाभाविक बसाहट का इलाका रहा है। इसी से वे झारखंड के जंगलों में आसानी से आ जा सकते हैं , जहां से माना जाता है कि वे यहां आए थे। जानकारों के अनुसार 90 के दशक  में पड़ोसी राज्यों ओडिशा और झारखंड के जंगलों से भटककर आये हाथियों ने सरगुजा को अपना स्थायी ठिकाना बना लिया है। एक गणना के अनुसार अलग-अलग दल में करीब सौ से अधिक हाथी यहां हैं। 
 

● हर बस्ती के पास बनेगा स्टॉपेज, अंधे मोड़ खत्म होंगे, दो टोल प्लाजा भी

अंबिकापुर-रामानुजगंज-गढवा एनएच 343 में जहां जहां बस्ती है वहां बसों के साथ ट्रकों के लिए करीब 20 स्टॉपेज बनेंगे। जहां-जहां जंक्शन है वहां वहां सड़क सुरक्षा के मानदंड के हिसाब से काम होगा। सड़कों पर पानी का जमाव न होने पाए इसके लिए निकासी के पाइप लगाए जाएंगे। इस मार्ग पर ककना ओर लुरघुटा में दो जगहों पर टोल प्लाजा भी बनाया जाएगा।

● गागर, महान और गेउर नदी पर बनेंगे छोटे-बड़े पुल, सड़क चौड़ी होगी

इस मार्ग पर कुल 23 छोटे-बड़े पुलिया और पुल भी बनाए जाएंगे। इनमें गागर,  महान और गेउर नदी पर बड़े पुल बनेंगे। पुराने सभी पुल -पुलिये की जगह नए पुल बनाए जाएंगे। बड़े पुल उंचाई में अधिक होंगे जिससे बाढ़ आने पर भी पुल पर पानी नहीं चढ़ सके। अभी तेज बारिश से नदीं में पानी का स्तर बढने पर पानी पुलिया के ऊपर से बहने लगता है। इसके साथ ही पहले की अपेक्षा सड़क दस मीटर चौड़ी होगी।

जगह और डेडलाइन भी तय -
 
एनएच के ईई नितेश तिवारी ने बताया कि अंबिकापुर-रामानुजगंज-गढ़वा एनएच में हाथियों की आवाजाही के लिए अंडर पास प्रस्तावित है। इसके लिए वाइल्ड लाइफ के अफसरों के साथ दौरा कर जगह भी तय कर ली गई है। अब एक समझौते के तहत डेढ़ साल के भीतर सड़क निर्माण करने की समय सीमा भी तय कर ली गई है।